Move to Jagran APP

Movie Review: राजनीतिक फ़िल्मों का युग आरंभ, द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर

राजनीतिक गलियारों में किस तरह के खेल किए जाते हैं? आखिर हमारा लोकतंत्र का सबसे बड़ा मंदिर किस तरह से राजनीतिक अखाड़ा बनता है? इतने बड़े देश को चलाने वाले प्रधानमंत्री के ऑफिस में आखिर होता क्या है?

By Hirendra JEdited By: Published: Fri, 11 Jan 2019 11:14 AM (IST)Updated: Sat, 12 Jan 2019 07:48 AM (IST)
Movie Review: राजनीतिक फ़िल्मों का युग आरंभ, द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर
Movie Review: राजनीतिक फ़िल्मों का युग आरंभ, द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर

-पराग छापेकर

loksabha election banner

स्टार कास्ट: अनुपम खेर, अक्षय खन्ना आदि।

निर्देशक: विजय रत्नाकर गुट्टे

पटकथा: मयंक तिवारी

निर्माता: सुनील बोहरा, धवल गाडा

वैसे तो पिछले कुछ समय से बॉलीवुड में बायोपिक का चलन तेजी से चल ही रहा है मगर यह पहली बार है कि किसी पॉलीटिकल शख्सियत पर आधारित फिल्म सत्य घटनाओं और उन्हीं के नामों के साथ बनी है! द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह के मीडिया एडवाइजर संजय बारू की किताब पर आधारित है।

जहां तक फिल्म और फिल्म के ग्रामर का सवाल है निर्देशक विजय गुट्टे पूरी तरह से सफल नज़र आते हैं इस तरह के परिपक्व फिल्म बनाने के लिए काफी परिपक्वता की जरूरत है! जहां तक फिल्मक्राफ्ट का सवाल है एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर एक संपूर्ण डेब्यू फिल्म है।

मगर पूरी फिल्म में एक भी दृश्य ऐसा नहीं है जहां पर डॉ मनमोहन सिंह को जीनियस क्यों माना गया? उनके किस काम के कारण जनता ने उन्हें प्यार किया? उनके किन आर्थिक सुधारों के कारण दुनिया ने उनका लोहा माना? यह कहीं भी उल्लिखित नहीं होता! फिल्म में डॉ मनमोहन सिंह सिर्फ राजनीतिक गलियारों में और काम करने की इच्छा के बीच फंसे एक मजबूर इंसान के अलावा कुछ भी नजर नहीं आते!

अभिनय की बात करें अनुपम खेर वैसे ही एक समर्थ अभिनेता हैं। उन्होंने डॉ मनमोहन सिंह को जीवंत पर्दे पर ला खड़ा किया है यहां तक की उनकी आवाज को भी उन्होंने पकड़ कर अपने किरदार को विश्वसनीयता देने की कोशिश की है। संजय बारू के किरदार में अक्षय खन्ना सीन को एक अलग स्तर पर लेकर जाते हैं और पर्दे पर उनकी सशक्त उपस्थिति देखते ही बनती है! बाकी सारे किरदार अभिनेता कम और मिमिकरी आर्टिस्ट ज्यादा लगे हैं।

कुल मिलाकर एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर ऐसी शुरुआत है जिसके साथ भारतीय राजनीति पर सही मायनों में फिल्म बनाने का सिलसिला शुरू हो सकता है, जिससे अभी तक फिल्म इंडस्ट्री लगातार बचती रही है।

आप यह फिल्म अनुपम खेर के जानदार अभिनय के लिए और राजनीतिक गलियारों में किस तरह के खेल किए जाते हैं? आखिर हमारा लोकतंत्र का सबसे बड़ा मंदिर किस तरह से राजनीतिक अखाड़ा बनता है? इतने बड़े देश को चलाने वाले प्रधानमंत्री के ऑफिस में आखिर होता क्या है? इस दुनिया में झांकने का मौका इस फिल्म के माध्यम से आपको मिलता है और शायद इसीलिए यह फिल्म देखी जा सकती है।

जागरण डॉट कॉम रेटिंग: पांच (5) में से तीन (3) स्टार

अवधि: 1 घंटा 50 मिनट


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.