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Romeo Akbar Walter Movie Review: रोमियो अकबर वाल्टर, केवल इतने स्टार मिले

Romeo Akbar Walter Movie Review तमाम बड़े सितारे ग्रैंड प्रोडक्शन वैल्यू और बेहतरीन लोकेशंस बुरे स्क्रीनप्ले का शिकार हो गए।

By Hirendra JEdited By: Published: Thu, 04 Apr 2019 12:23 PM (IST)Updated: Fri, 05 Apr 2019 01:35 PM (IST)
Romeo Akbar Walter Movie Review: रोमियो अकबर वाल्टर, केवल इतने स्टार मिले
Romeo Akbar Walter Movie Review: रोमियो अकबर वाल्टर, केवल इतने स्टार मिले

-पराग छापेकर

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फिल्म- रोमियो अकबर वाल्टर (Romeo Akbar Walter Movie Review) 

स्टारकास्ट: जॉन अब्राहम, जैकी श्रॉफ, सिकंदर खेर, मौनी रॉय आदि।

निर्देशक: रॉबी ग्रेवाल

निर्माता: वायाकॉम 18 मोशन पिक्चर्स

बॉक्स ऑफिस पर इन दिनों देश भक्ति पर आधारित फिल्मों का लगातार आना एक परंपरा सी बन गयी है और इसी कड़ी को आगे बढ़ाते हुए इस सप्ताह रिलीज़ हो रही है- जॉन अब्राहम अभिनीत फिल्म रॉ। रॉ यानी रोमियो अकबर वॉल्टर। यह फिल्म 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध और बांग्लादेश के जन्म की पृष्ठभूमि पर बनाई गई है।

रोमियो एक बैंक में काम करता है और रॉ उसे एक एजेंट के रूप में चुनकर अकबर मल्लिक बनाकर पाकिस्तान भेज देता है। वो वहां से कई महत्वपूर्ण जानकारियां भेजता है। इस बीच उसे किन-किन परेशानियों का सामना करना पड़ता है और रोमियो से अकबर मल्लिक बना यह रॉ एजेंट वाल्टर कैसे बनता है, इसी ताने-बाने पर बुनी गई है फिल्म रॉ।

अभिनय की बात करें तो जॉन अब्राहम अपने किरदार में रमे नजर आते हैं। सिकंदर खेर का अभिनय भी दमदार है। रॉ प्रमुख की भूमिका में जैकी श्रॉफ खासा प्रभावित करते हैं! जबकि मौनी रॉय के पास बहुत कुछ करने का स्कोप नहीं था। बहरहाल, फिल्म की प्रोडक्शन वैल्यू कमाल की है! जिस तरह के लोकेशंस चुने गए हैं वो फिल्म को विश्वसनीयता प्रदान करते हैं।

रॉ की सबसे बड़ी कमजोरी है उसका स्क्रीनप्ले! जब आप जासूसी जैसी विषय पर फिल्म बनाते हैं तो आपको आपके किरदार से कहीं ज्यादा दिमाग लगाना पड़ेगा ताकि नायक विश्वसनीय लगे। दुश्मनों की पार्टी में हीरोइन से संवाद करना, बीच सड़क पर टैक्सी में बैठ कर रोमांस करना आदि एक रॉ एजेंट के लिए कतई मूर्खतापूर्ण काम है। इससे उसकी विश्वसनीयता कम होती है!

इंटरवल के पहले की बात करें तो फिल्म काफी बोझिल जान पड़ती है! इंटरवल के बाद फिल्म की रफ्तार ठीक है मगर तब तक दर्शकों का ध्यान फिल्म पर वापस खींच लाना मुश्किल काम है। कुल मिलाकर यह कहा जाए तो गलत नहीं होगा कि अगर रॉबी ग्रेवाल अपने स्क्रीनप्ले पर और काम करते तो फिल्म का स्वरूप कुछ अलग होता!

तमाम बड़े सितारे, ग्रैंड प्रोडक्शन वैल्यू और बेहतरीन लोकेशंस बुरे स्क्रीनप्ले का शिकार हो गए। अगर आप देश भक्ति पर आधारित फिल्म देखना पसंद करते हैं और अगर आप इतिहास में झांकना चाहते हैं तो एक बार यह फिल्म देख सकते हैं अन्यथा कुछ और विकल्प देखें।

जागरण डॉट कॉम रेटिंग: पांच (5) में से दो (2) स्टार

अवधि: 2 घंटे 19 मिनट


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