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Mithya Web Series Review: सच-झूठ के बीच झूलता टीचर-स्टूडेंट का माइंड गेम और एक कत्ल... पढ़ें पूरा रिव्यू

Mithya Web Series Review जी-5 पर रिलीज हुई मिथ्या वेब सीरीज में हुमा कुरैशी और भाग्यश्री की बेटी अवंतिका दसानी मुख्य भूमिकाओं में हैं। सीरीज का निर्देशन रोहन सिप्पी ने किया है। मिथ्या बिंज वॉच के काबिल है या नहीं पढ़ें रिव्यू।

By Manoj VashisthEdited By: Published: Fri, 18 Feb 2022 09:53 PM (IST)Updated: Sat, 19 Feb 2022 07:33 AM (IST)
Mithya Web Series Review: सच-झूठ के बीच झूलता टीचर-स्टूडेंट का माइंड गेम और एक कत्ल... पढ़ें पूरा रिव्यू
Mithya Web Series Review Staring Huma Qureshi Avantika Dassani. Photo- Instagram

मनोज वशिष्ठ, नई दिल्ली। सच, सच होता है और झूठ, झूठ। इनके बीच अगर कुछ होता है तो वो सब मिथ्या है। जी-5 की वेब सीरीज मिथ्या एक टीचर और स्टूडेंट के बीच माइंड गेम की कहानी है, जिसकी शुरुआत क्लास में होती है और अंत जेल की सलाखों के पीछे। क्लास में शुरू हुआ शह-मात का खेल उस वक्त खूनी हो जाता है, जब एक कत्ल होता है। इस बीच बहुत कुछ ऐसा होता है, जो दोनों की निजी जिंदगी से संबंधित और प्रेरित है।

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मिथ्या बेवफाई, धोखा, नफरत और प्रतिशोध की भी कहानी है। इस सीरीज में दर्शकों को बांधे रखने के लिए पर्याप्त मसाले थे, मगर कमजोर लेखन की वजह से मिथ्या एक बेहतरीन मिस्ट्री-थ्रिलर बनते-बनते रह गयी। मिथ्या के सभी प्रमुख किरदारों के चारित्रिक गुणों-अवगुणों को देखते हुए उन्हें एक्सप्लोर करने की अपार संभावनाएं भी थीं, जिसका फायदा निर्देशक रोहन सिप्पी नहीं उठा सके। कहानी को समेटने की जल्दबाजी के चलते ना तो प्लॉट और ना ही किरदारों को ठीक से पेश किया जा सका।

मिथ्या की कथाभूमि दार्जिलिंग है, जहां के एक कॉलेज में जूही अधिकारी (हुमा कुरैशी) हिंदी की प्रोफेसर है। जूही के पिता आनंद त्यागी (रजित कपूर) अंग्रेजी के जाने-माने लेखक रहे हैं, लेकिन जूही ने पिता के नक्शे-कदम पर ना चलते हुए हिंदी को अपना पेशा बनाया। जूही की शादी नील अधिकारी (परमब्रत चटर्जी) से हुई, जो खुद उसी कॉलेज में प्रोफेसर है।

जूही अपनी शादी से संतुष्ट नहीं है और साथी प्रोफेसर विशाल (इंद्रनील सेनगुप्ता) को अपनी भावनाओं की संतुष्टि के लिए फेंटेसाइज करती है। इन सबके बीच जूही की परेशानियां उस वक्त बढ़नी शुरू होती हैं, जब वो कॉलेज के ट्रस्टी राजगुरु (समीर सोनी) की बेटी रिया राजगुरु के निबंध पर साहित्यिक चोरी का आरोप लगाती है। दिमाग से शातिर रिया किसी भी कीमत पर इस आरोप को स्वीकार नहीं करती और इस मामले को इतना तूल देती है कि कॉलेज को जूही के आरोपों की जांच के लिए एक कमेटी बनानी पड़ती है।

इसके बाद जूही और रिया के बीच स्थायी रूप से तनाव की गाढ़ी लकीर खिंच जाती है। जूही अपनी नापसंदगी को खुलकर जाहिर करती रहती है, मगर चालाक रिया अपनी नफरत को छिपाकर खुद को हमेशा पीड़िता की तरह पेश करती है। जूही और रिया के इस माइंड गेम में नील फंस जाता है और एक रात उसका कत्ल हो जाता है। मौका-ए-वारदात पर मौजूद सबूतों के आधार पर कत्ल का आरोप जूही पर लगता है और वो सलाखों के पीछे पहुंच जाती है, मगर तब कहानी में एक चौंकाने वाला मोड़ आता है और एक ऐसे राज का खुलासा होता है, जो जूही के लिए रिया की नफरत की वजह है और इस राज के दूसरे छोर पर जूही के पिता हैं।

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इस कहानी को एक जबरदस्त थ्रिलर में बदलने की तमाम संभावनाएं मौजूद हैं, मगर स्क्रीनप्ले की जल्दबाजी ने किये-धरे पर पानी फेर दिया। एल्थिया कौशल और अन्विता दत्ता ने स्क्रीनप्ले में जो घटनाएं ली हैं, वो नील के कत्ल के दिन से आठ दिन पहले की हैं और हर एपिसोड फ्लैशबैक से होते हुए कत्ल के दिन के करीब पहुंचता जाता है। सिर्फ आठ दिनों में जूही और रिया के बीच तनाव का इस मंजिल पर पहुंचना कि उसमें नील का कत्ल हो जाए, चौंकाता है।

जूही और रिया के बीच तनाव इस कहानी की बुनियाद है, मगर उस तनाव को इतनी जल्दी और अचानक बिल्ड-अप कर दिया गया है कि दर्शक उसे जज्ब नहीं कर पाता। कुछ दृश्यों को छोड़ दें तो जूही और रिया के बीच चल रहा माइंड गेम जरूरी रोमांच पैदा करने में असफल रहता है। सीरीज आखिरी के दो एपिसोड्स में पेस पकड़ती है और दिलचस्पी जगाती है।

हर एपिसोड इस तरह लिखा गया है कि शुरुआत जेल में जूही और रिया की बातचीत से होती है, जो उनके बीच चल रहे माइंड गेम के आधार पर होती है। फिर एपिसोड पिछली घटनाओं को जोड़ते हुए नील के कत्ल के दिन तक पहुंचता है। रिया और उसके पिता के बीच तल्ख रिश्ते के ट्रैक को भी खानापूर्ति के लिए दिखा दिया गया है। वहीं, जूही और विशाल के ट्रैक का भी बेहतर इस्तेमाल किया जा सकता था।

रिया के किरदार में भाग्यश्री की बेटी अवंतिका दसानी हैं, जिन्होंने अभिनय की दुनिया में अपनी पारी शुरू की है। एक शातिर, खतरनाक साजिशकर्ता और बड़े बाप की बिगड़ैल बेटी के किरदार में रिया के अभिनय और संवाद अदाएगी में एकरूपता है। उन्होंने इस किरदार की नकारात्मकता को चेहरे पर लाने की भरपूर कोशिश की है, मगर इसके लिए फिलहाल उनके पास सीमित एक्सप्रेशंस हैं, जो उनके अभिनय की एकरूपता का कारण बनता भी है। हालांकि, इसमें कोई शक नहीं कि रिया में संभावनाएं हैं और वक्त के साथ अभिनय में निखार और विविधता की उम्मीद की जा सकती है।

रिया और जूही, दोनों ही काफी जटिल किरदार हैं। जूही कभी ताकतवर तो कभी बेबस नजर आती है और हुमा ने दोनों ही मोर्चों पर अपना दम दिखाया है। हालांकि, हुमा इससे बेहतर अभिनय के लिए जानी जाती हैं। नील के किरदार में परमब्रत चटर्जी बेचारे नजर आते हैं। वहीं, अंग्रेजी का सेलेब्रेटेड लेखक होने के दंभ की आभा में लिपटे आनंद त्यागी के किरदार में रजित कपूर जमे हैं और इस कहानी में हो रही नकारात्मक घटनाओं के लिए वो काफी हद तक जिम्मेदार हैं। सिनेमैटोग्राफी में जिस तरह से दार्जिलिंग के बादलों, बारिश और धुंध को कैद किया गया है, वो इस साइकोलॉजिकल थ्रिलर को मुकम्मल बैकग्राउंड देता है और सीरीज को एक अवसाद भरा मिजाज। दृश्यों के रहस्य-रोमांच को बढ़ाने में बैकग्राउंड स्कोर की तेज ध्वनि कई बार संवादों को बाधित करती है। खासकर, संवाद का अंतिम वाक्य या शब्द सुनने के लिए मशक्कत करनी पड़ती है।

छह एपिसोड्स की यह वेब सीरीज ब्रिटिश टीवी शो चीट का भारतीय रूपांतरण है, जिसका निर्माण अप्लॉज एंटरटेनमेंट ने किया है। अप्लॉज इससे पहले ब्रिटिश शोज क्रिमिनल जस्टिस और डॉक्टर फॉस्टर के भारतीय रूपांतरण क्रिमिनल जस्टिस और आउट ऑफ लव ला चुका है। मिथ्या का हर एपिसोड लगभग आधे घंटे का है। धैर्य के साथ सीरीज देखने बैठेंगे तो इसे पूरा देखा जा सकता है। हालांकि, सीरीज बिंज वॉच के लिए मजबूर नहीं करती।

कलाकार- हुमा कुरैशी, अवंतिका दसानी, परमब्रत चटर्जी, रजित कपूर, समीर सोनी, इंद्रनील सेनगुप्ता आदि।

निर्देशक- रोहन सिप्पी

निर्माता- अप्लॉज एंटरटेनमेंट, अ रोज ऑडियो विजुअल्स प्रोडक्शन

अवधि- प्रति एपिसोड लगभग आधा घंटा

रेटिंग- **1/2


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