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फिल्म रिव्यू : रावण के नजरिए से 'महायोद्धा राम' (2 स्‍टार)

फिल्म देखते हुए प्रसंग और घटनाओं के चित्रण में रावण की साजिश दिखाई गई है। राम के बाल काल से लेकर अंतिम युद्ध तक रावण की क्रिया और राम की प्रतिक्रिया है।

By Pratibha Kumari Edited By: Published: Thu, 03 Nov 2016 06:30 PM (IST)Updated: Fri, 04 Nov 2016 07:22 AM (IST)
फिल्म रिव्यू : रावण के नजरिए से 'महायोद्धा राम' (2 स्‍टार)

अजय ब्रह्मात्मज

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प्रमुख कलाकार- जिमी शेरगिल, कुणाल कपूर, गुलशन ग्रोवर, मौनी राय
निर्देशक- रोहित वेद
स्टार- 2

हिंदी में एनीमेशन फिल्में कम बनती हैं। एनीमेशन को मुख्य रूप से कार्टून और विज्ञापनों तक सीमित कर दिया गया है। कुछ सालों पहले एक साथ कुछ फिल्मेंं आई थीं। उन्हें भी बच्चों को ध्यान में रख कर बनाया गया था। यही बात ‘महायोद्धा राम’ के बारे में भी कही जा सकती है। रोहित वैद के निर्देशन में बनी इस एनीमेशन फिल्म में राम की कहानी है। रामलीला देख चुके और रामचरित मानस पढ़ चुके दर्शकों को यह एनीमेशन फिल्म देखते हुए उलझन हो सकती है। एक तो लेखक ने ‘महायोद्धा राम’ की कहानी रावण के नजरिए से लिखी है। फिल्म देखते हुए प्रसंग और घटनाओं के चित्रण में रावण की साजिश दिखाई गई है। राम के बाल काल से लेकर अंतिम युद्ध तक रावण की क्रिया और राम की प्रतिक्रिया है। रावण को पहले ही दृश्य में राक्षस बता दिया जाता है और राम को अवतार बताया गया है। राक्षस किसी भी तरह अवतार की इहलीला समाप्त करना चाहता है। रामकथा के क्रम और कार्य व्यापार में भी तब्दीली की गई है।

किरदारों के एनीमेशन स्वरूप गढ़ने में कल्पना का अधिक सहारा नहीं लिया गया है। एक राम नीलवर्ण के हैं। राक्षसों को अजीबोगरीब आकृतियां दी गई हैं, जो पश्चिम की एनीमेशन फिल्मों से प्रेरित और प्रभावित लगती हैं। परिवेश और पृष्ठभूमि की सज्जा पर समुचित ध्यान नहीं दिया गया है। जंगल, पहाड़, नदियां और जीव-जंतु के एनीमेशन में प्रभाव नहीं है। एनीमेशन की दुनिया काफी आगे बढ़ चुकी है। यह फिल्म कुछ साल पुरानी लगती है। एनीमेशन के साथ वीएफएक्स के इस्तेमाल से ऐसी फिल्में अच्छी लगती हैं। ’महायोद्धा राम’ कि किरदारों को फिल्म कलाकारों ने आवाजें दी हैं। सदाशिव अमरापुरकर, कुणाल कपूर, जिमी शेरगिल, गुलशन ग्रोवर, मौनी राय और अमीन सयानी की आवाजों से ही थोड़ा-बहुत प्रभाव बना है।

इस फिल्म की कथा-पटकथा समीर शर्मा और रोहित वेद की है। उन्होंने अपनी सुविधा और सोच से रामकथा के हिस्सों को लिया और छोड़ा है। इस फिल्म के गीतकार जावेद अख्तर और संवाद लेखक वरूण ग्रोवर भी जुड़े हैं। उनकी मौजूदगी के बावजूद गीत और संवाद बेअसर हैं। हो सकता है कि उन्हें कहा गया हो कि इसे खिलंदड़े अंदाज में पेश करना है। फिल्म में राम और सीता मार्शल आर्ट्स की प्रैक्टिस करते नजर आते हैं। इस फिल्म पर लोकप्रिय संस्कृति का स्पष्ट असर है। इस फिल्म में किरदारों को भाषा देने की पॉलिटिक्स समझ के परे है। पूरी फिल्म हिंदी में बन सकती थी, क्योंकि मंथरा को पुरबिया, वानरों को हरियाणवी और कैकेयी को हिंदी की कोई बोली दी गई है? क्या दासियां और कुमाता हिंदी की बोलियां बोलती हैं।

अवधि- 108 मिनट

abrahmatmaj@mbi.jagran.com


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