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Film Review: अपनी आशिकी के जरिए आयुष्मान खुराना और वाणी कपूर ने उठाया ये खास मुद्दा, जानें कैसी है 'चंडीगढ़ करे आशिकी'

लिंग परिवर्तन के मुद्दे पर फिल्म बनाने की उनकी कोशिश अच्छी है। उन्होंने कामेडी के साथ इस मुद्दे की संवेदनशीलता को समझते हुए अपनी बात कहने की कोशिश की है। हालांकि फिल्म की कहानी इस मुद्दे को गहराई से दिखा पाने में कमजोर पड़ जाती है।

By Anand KashyapEdited By: Published: Sun, 12 Dec 2021 08:28 PM (IST)Updated: Mon, 13 Dec 2021 09:52 AM (IST)
Film Review: अपनी आशिकी के जरिए आयुष्मान खुराना और वाणी कपूर ने उठाया ये खास मुद्दा, जानें कैसी है 'चंडीगढ़ करे आशिकी'
फिल्म चंडीगढ़ करे आशिकी- तस्वीर : Instagram: ayushmannk

प्रियंका सिंह। अभिनेता आयुष्मान खुराना ने फिल्म 'चंडीगढ़ करे आशिकी' में फिर वर्जित विषय चुना है। हालांकि इस बार उनका किरदार उसके खिलाफ है। फिल्म की कहानी चंडीगढ़ में सेट है। जिम का मालिक मनविंदर मुंजाल उर्फ मनु (आयुष्मान खुराना) एक स्थानीय बाडी बिल्डिंग चैंपियनशिप जीतना चाहता है, क्योंकि उसका जिम घाटे में चल रहा है। तभी वहां जुंबा क्लास चलाने के लिए मानवी ब्रार (वाणी कपूर) आती है।

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उसके आते ही जिम में एडमिशन लेने वालों की भीड़ बढ़ जाती है। मनु और मानवी एक-दूसरे को पसंद करने लगते हैं, लेकिन मानवी का एक सच है कि वह एक ट्रांस-गर्ल है यानी उसने लिंग परिवर्तन कराया है। यह जानने के बाद मनु के पैरों तले जमीन खिसक जाती है। यहां से कहानी अलग मोड़ लेती है। 'काय पो छे' और 'केदारनाथ' जैसी फिल्में बना चुके अभिषेक कपूर ने इस फिल्म के जरिए खुद एक नये जोन में कदम रखा है।

लिंग परिवर्तन के मुद्दे पर फिल्म बनाने की उनकी कोशिश अच्छी है। उन्होंने कामेडी के साथ इस मुद्दे की संवेदनशीलता को समझते हुए अपनी बात कहने की कोशिश की है। हालांकि फिल्म की कहानी इस मुद्दे को गहराई से दिखा पाने में कमजोर पड़ जाती है। लिंग परिवर्तन कराने वाले लोगों को आसानी से अपना लेने वाले दृश्य हजम नहीं होते हैं। मनु के विधुर पिता का एक मुस्लिम महिला के साथ प्यार में पड़ने वाला एंगल बेमानी लगता है, क्योंकि किसी खास समुदाय का जिक्र कहानी को कोई दिशा नहीं देता है।

हालांकि तुषार परांजपे और सुप्रतीक सेन ने डायलाग्स और स्क्रीनप्ले के जरिए काफी हद तक कहानी को संभालने की कोशिश की है। सिर्फ शरीर लड़के का था..., आदमी वाली शक्ल लेके निकल जा यहां से..., ट्रांस लोगों के चक्कर में पडना नहीं है, मुझे सब नार्मल चाहिए... जैसे संवाद सोचने पर मजबूर करते हैं कि लिंग परिवर्तन के बावजूद अब भी कितना मुश्किल है किसी इंसान को उसकी नयी पहचान के साथ अपनाना।

फिल्म में वाणी कपूर का काम सराहनीय है। ट्रांस गर्ल बनने के बाद लोगों की नजरों में खुद को लड़की दिखाने की कवायद, परिवार और समाज के तानों को सुनने के बाद खुद को मजबूत कर लेना, अपनी शर्तों पर जीना और समाज को बदलने की कोशिश किए बिना अपने लिए समाज में जगह बनाने की मेहनत उन्होंने अपने अभिनय के जरिए दिखाने की कोशिश की है। आयुष्मान चंडीगढ़ से ही हैं। वहां के लड़के के किरदार की बारीकियों को वह दिखाने में कामयाब रहे।

पहलवान दिखने के लिए उनकी मेहनत पर्दे पर नजर आती है। लड़का से लड़की बनी मानवी की सच्चाई जानने के बाद ठगा हुआ सा महसूस करने वाले दृश्यों में आयुष्मान मजेदार लगे हैं। एक आधुनिक, समझदार और बेटी के लिए चिंतित पिता के किरदार को कंवलजीत सिंह ने बखूबी निभाया है। मनु के दोस्तों के किरदार में जुड़वा भाई गौरव और गौतम शर्मा, मनु के पिता और दादा के किरदार में क्रमश: गिरीश धमीजा और अंजन श्रीवास्तव का काम अच्छा है। आयुष्मान की आवाज में गाना माफी... सिचुवेशन पर फिट बैठता है।

मुख्य कलाकार : आयुष्मान खुराना, वाणी कपूर, कंवलजीत सिंह, गौरव शर्मा, गौतम शर्मा, अंजन श्रीवास्तव, गिरीश धमीजा

निर्देशक : अभिषेक कपूर

अवधि : एक घंटा 57 मिनट

रेटिंग : ढाई स्टार 


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