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Movie Review: मनोरंजक है ये 'मनमर्जियां', मिले इतने स्टार

फिल्म मनमर्जियां में तापसी पन्नू, अभिषेक बच्चन और विक्की कौशल की अहम भूमिका है।

By Rahul soniEdited By: Published: Wed, 12 Sep 2018 02:45 PM (IST)Updated: Sat, 15 Sep 2018 02:03 PM (IST)
Movie Review: मनोरंजक है ये 'मनमर्जियां', मिले इतने स्टार
Movie Review: मनोरंजक है ये 'मनमर्जियां', मिले इतने स्टार

-पराग छापेकर

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स्टार कास्ट: अभिषेक बच्चन, तापसी पन्नू और विक्की कौशल

निर्देशन: अनुराग कश्यप 

निर्माता: आनंद एल राय

प्रेम और रिश्तों की असमंजस फिल्मकारों का पसंदीदा विषय है। दो लोगों का प्रेम होना उनका बिछड़ना ,किसी एक की शादी, प्रेम का अधूरा रह जाना, फिर कहीं ना कहीं आकर्षण होना, यह मानवीय संवेदना है। लेकिन इस मनमर्जी के साथ-साथ सामाजिकता भी जुड़ी हुई है। सामाजिक मूल्यों के साथ-साथ नैतिक मूल्य भी जुड़े हुए हैं। बी आर चोपड़ा की 'गुमराह' से लेकर 'सिलसिला' समेत आजतक की कई फिल्में इस एक प्रेम त्रिकोण को अलग परिभाषित करती रही हैं। इसी कड़ी को आगे बढ़ा रहे हैं अनुराग कश्यप फिल्म 'मनमर्जियां' के साथ। 

फिल्म की कहानी में कोई नयापन भले ना हो लेकिन उसके ट्रीटमेंट में जरूर नयापन है और सबसे बड़ी बात कश्यप अपने कंफर्ट जोन से बाहर आकर शुद्ध प्रेम कहानी पहली बार कह रहे हैं। यही इस फिल्म की खासियत भी है। 'मनमर्जियां' में सब कुछ एकदम सटीक है। खूबसूरत से प्रेमी प्रेमिका है, समझदार और हैंडसम सा पति है और खूबसूरत लोकेशंस हैं। सुरीला संगीत है। भव्य प्रोडक्शन है। देश के जाने-माने निर्देशक अनुराग कश्यप हैं।जुड़वा बहनों का डांस है और भरपूर हॉट सींस भी हैं। युवा दर्शकों के लिए शायद हर मसाला अनुराग कश्यप ने डालने की कोशिश की है।

अभिनय की बात करें तो तापसी पन्नू का किरदार रूमी वैसे ही जबरदस्त लिखा गया है। उसको तापसी ने तूफानी बना डाला। जिस आत्मविश्वास और क्राफ्ट के सहारे वो पूरी फिल्म में चली है वैसा कम ही एक्टर्स कर पाते हैं। विक्की कौशल स्क्रीन को चकाचौंध से भर देते हैं। अभी तक जितने भी उन्होंने किरदार किए हैं से बिल्कुल अलहदा इस किरदार में विक्की ने जान फूंक दी। अभिषेक बच्चन इन दो तूफानों को ना सिर्फ समेटने का काम करते हैं बल्कि पूरी फिल्म को एक ठहराव देते हैं। उनके संयमित अभिनय से फिल्म का पेस और रिदम बरकरार रहता है। तमाम सारी अच्छाइयों के बावजूद कुछ बातें खटकती हैं।

फिल्म की लंबाई इंटरवल तक आपके संयम की परीक्षा लेती नजर आती है। फिल्म पारिवारिक नहीं है। आप अपने बच्चों को या अपने माता-पिता के साथ इस फिल्म को देखने में संकोच कर जाएंगे। फिल्म में पंजाबी परिवार का चित्रण ऐसा किया है मानो कहानी गुजरात में कहीं जा रही हो। और पूरे परिवार का मकसद सिर्फ अहिंसा परमो धर्म हो। पारिवारिक मूल्य, सामाजिक मूल्य और नैतिक मूल्यों का कोई अर्थ इस फिल्म में नजर नहीं आता। अमृता प्रीतम की कविता 'मैं तेनु फिर मिलांगी' इस नज़्म से फिल्म का मध्यांतर किया गया और शायद लेखक ने इतने ही अभिजात्य प्रेम की कल्पना कर इस कहानी को लिखा होगा लेकिन बाजार के समीकरण कहें या निर्देशकीय समझ, फिल्म में प्रेम से ज्यादा वासना नजर आती है। इसलिए किसी किरदार से आपकी नजदीकी नहीं बनती। कुल मिलाकर 'मनमर्जियां' अनुराग कश्यप जैसे दिग्गज निर्देशक की होने के बावजूद मनोरंजक तो बन गई मगर कुछ कहती नजर नहीं आती। 

जागरण डॉट कॉम रेटिंग: पांच (5) में से तीन (3) स्टार

अवधि: दो घंटे 15 मिनट


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