Interview: जंगल में खाना पकाते नजर आएंगे सुनील शेट्टी और संजय दत्त, दोनों ने इंटरव्यू में खोले दिल के राज
खुद का ख्याल रखते हुए बढ़ती उम्र को अपनाना जरूरी है। यह मानना है अभिनेता सुनील शेट्टी का। नौ अक्टूबर से डिस्कवरी प्लस-डिस्कवरी चैनल पर प्रसारित शो स्टार वर्सेस फूड सर्वाइवल शो में जंगल में सुनील शेट्टी और संजय दत्त वहां की चुनौतियों के बीच खाना बनाते नजर आएंगे। सुनील से इस शो संजय के साथ उनकी दोस्ती अपनी फिटनेस और आगामी फिल्म समेत कई मुद्दों पर बात की।
1. जंगल में शूटिंग करने की दिक्कतें क्या रहीं?
कठिनाइयां हुईं, लेकिन उससे यह सीखा कि प्रकृति के बीच में रहना दिमाग की शांति के लिए बहुत जरूरी है। जंगल में शारीरिक चुनौतियां तो होती ही हैं, लेकिन अगर आप रोजमर्रा की जिंदगी से एक अलग दुनिया में जा सकते हैं, फिर भले ही वह दो-तीन दिन के लिए हो, उससे बड़ी थेरेपी नहीं है। मेरे साथ मेरे बहुत ही प्रिय दोस्त संजय (दत्त) हैं। वह जैसे हैं, वैसे ही कैमरे के सामने रहते हैं। जंगल में हम दोनों को अहसास हुआ कि बुढ़ापा जब आ जाता है, तो मुश्किलें कितनी बढ़ती हैं। एक छोटी सी चीज, जो हम पहले बिना सोचे समझे किया करते थे, आज उसके लिए बहुत मेहनत करनी पड़ रही है। हमारे साथ शेफ रणबीर बरार थे, तो खाना बहुत अच्छा मिला। इसके साथ ही यह भी समझ आया कि दोस्तों के साथ अपनी मानसिक शांति के लिए किसी ऐसी जगह पर जाना चाहिए, जहां मोबाइल से दूर शांति हो।
2. संजय दत्त खाना अच्छा पकाते हैं। आपका साथ उन्हें कितना मिला?
केवल संजय के करीबी ही जानते हैं कि वह बहुत ही आउटडोर किस्म के इंसान हैं। जंगलों में समय बिताना उन्हें पसंद है। संजू को मसालों की बहुत अच्छी जानकारी है। मैं केवल एक असिस्टेंट की तरह मदद कर रहा था। बाबा (संजय) ने आधा भी नहीं खाया, जितना मैंने खाया है। शारीरिक तौर पर चुनौतीपूर्ण शो था, तो खाना जरूरी था।
3. आप अपनी फिटनेस के लिए जाने जाते हैं। उम्र को हावी न होने देने का क्या कोई फार्मूला है?
मेरा मानना है कि उम्र तब हावी हो जाती है, जब आप अपने आप को अब भी 21 साल का ही समझते हैं। 60 की उम्र को अपनाना जरूरी है। मैं उम्र को रोक नहीं सकता हूं, लेकिन उसको आने में देरी करवा सकता हूं। मेरी प्रक्रिया यही है कि मैं बढ़ती उम्र को पीछे धकेलूं। आज भी हर शारीरिक एक्टिविटी करते वक्त मुझे उतनी ही मेहनत करनी पड़ती है। जितना मैंने अपनी बाडी बनाते वक्त की थी। जबकि ऐसा नहीं होना चाहिए, क्योंकि जब किसी बिजनेस में आप सेट होते हैं, तो मेहनत कम होती है। लेकिन फिटनेस के मामले में ऐसा नहीं होता है।
आगे बोले कि मैं फिट हूं, लेकिन संघर्ष दोगुना है। यह मेहनत दुनिया को नहीं दिखाई देती है। यह सिर्फ मेहनत, लगन, निरंतरता और अनुशासन से ही संभव है। मुझे पता है कि यह हर किसी के लिए संभव नहीं है। मैं यह कर पाता हूं, क्योंकि मेरी टीम है, जो मेरा काम बांट लेती है। इस वजह से मुझे जिम जाने, परिवार के साथ समय मिलता है। मेरे बच्चे मुझे प्रेरित करते हैं और यकीन दिलाते हैं कि पापा आप अभी भी फिट हैं, जिम न छोड़ो। जब आप मानसिक रूप से शांत हों, तभी शारीरिक तौर भी शांति मिलती है।
4. आपकी और संजय दत्त की दोस्ती कई सालों से है। इंडस्ट्री में दोस्ती बरकरार रखना आसान नहीं होता है
हम दोनों का व्यक्तित्व एक जैसा है। हम दोनों दिमाग से नहीं, दिल से काम करते हैं। दोस्ती में एकदूसरे पर भरोसा रखना और एक दूसरे को सपोर्ट करना बहुत जरूरी होता है। मैं और संजू बहुत अलग हैं। वह रातों के राजा हैं और मैं दिन का। 24 घंटे हमारी वाचमैनगिरी चलती है। वह मेरे हीरो हैं। उन्होंने हमेशा मेरी इज्जत की है, भले ही सिनेमा में मैं उनका जूनियर रहा हूं। मुझे हमेशा लोगों में अच्छाइयां दिखाई देती हैं। बुराइयां देखने जाऊं, तो उतनी ही मुझमें भी होंगी। हम एकदूसरे की सराहना करते हैं। कोई तकलीफ हो, तो मुझे पता है कि संजय का फोन पहले आएगा। मैं भी वैसा हूं।
5. आप और संजय वेलकम टू द जंगल फिल्म में भी साथ काम कर रहे हैं। इस फिल्म में दोस्त और जंगल फिर साथ है...
इसमें कोई फिजिकल जंगल नहीं है। हां, अलग-अलग तरह के जानवर साथ रहते हैं, (हंसते हुए) बस, दिखते इंसान हैं। फिल्म का जो लुक आया है, उसमें 22 कलाकार एक ही फ्रेम में हैं। हर किसी की अपनी पहचान, व्यक्तित्व, खूबी और प्रतिभा है। कोई इनसिक्योरिटी नहीं है। सब एकदूसरे की सराहना करते हैं।
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6. क्या वाकई इतने कलाकारों के बीच कोई इनसिक्योरिटी नहीं हुई?
यही तो मुश्किल है। फिल्म इंडस्ट्री जब मुश्किलों से गुजर रही थी, तो उसकी सबसे बड़ी वजह यह भी थी। जब कलाकार सहज हो जाता है, तो फिल्में चलने लग जाती हैं। हालीवुड में यूनिवर्स वाली फिल्में बनती हैं। उसमें कई कलाकार होते हैं, ताकि दर्शक जब वह फिल्में देखें, तो उनके पैसे वसूल हो सके। लोगों के पास न वक्त है, न बेकार खर्च करने के लिए पैसे।
उन्हें थिएटर में बुलाने के लिए मेहनत करनी पड़ती है। इसलिए क्रिकेट इतना बड़ा खेल है। दोनों टीमों को मिलाकर 22 खिलाड़ी खेलते हैं। दर्शक बिल्कुल देखने आएंगे। हर कोई एकदूसरे की ऊर्जा से काम करता है। जैसे ही नए एक्टर अपने आप में सहज होंगे और एकदूसरे की सराहना करते हुए काम करने के लिए तैयार होंगे, तो फिल्में और उनका बिजनेस उतना ही बड़ा होगा। एनिमल और टाइगर 3 फिल्मों में कई कलाकार हैं। मैं इन फिल्मों में देखना चाहता हूं।
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7. बड़े पर्दे पर दोबारा एक्शन करते हुए आप कब दिखेंगे?
हंटर टूटेगा नहीं तोड़ेगा शो में एक्शन किया था। उसका दूसरा सीजन आएगा, उसमें और एक्शन होगा। एक्शन शारीरिक हो या एटीट्यूड में वह मेरी स्क्रिप्ट में होना जरूरी है। मैं एक्शन यह सोचकर नहीं करता हूं कि दर्शक उसकी सराहना करेंगे। मैं किसी फिल्म में केवल अपनी मौजूदगी के लिए काम नहीं करता हूं। यह निर्णय बहुत पहले ही ले लिया था।