आकाश छू रही है 'तितली' - शरत कटारिया
अतरराष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल्स में पिछले काफी समय से भारतीय फिल्में सराहना बटोर रही हैं। बीते साल भर में ‘तितली’ ने तकरीबन 22 आला दर्जे के फिल्म फेस्टिवल सर्किट में वाहवाही लूटी। वह इस साल मई में फ्रांस में रिलीज हुई और बॉक्स ऑफिस पर अच्छी कमाई की। फिल्म के सहलेखक
अतरराष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल्स में पिछले काफी समय से भारतीय फिल्में सराहना बटोर रही हैं। बीते साल भर में ‘तितली’ ने तकरीबन 22 आला दर्जे के फिल्म फेस्टिवल सर्किट में वाहवाही लूटी। वह इस साल मई में फ्रांस में रिलीज हुई और बॉक्स ऑफिस पर अच्छी कमाई की। फिल्म के सहलेखक ‘दम लगाके हईशा’ के निर्देशक शरत कटारिया हैं। शरत इससे पहले ‘भेजा फ्राई’, ‘हम तुम और शबाना’, ‘भेजा फ्राई-2’, ‘10 मिली लव’, ‘सनग्लास’ जैसी फिल्मों का लेखन कर चुके हैं।
विद्या बालन को है इस तरह के रोल्स का इंतजार
अब लेखक आजाद है
शरत पारिवारिक फिल्म बनाने में यकीन रखते हैं। ‘दम लगाके हईशा’ हो या ‘तितली’, उनकी फिल्में और कहानियां काफी हद तक रियल होती हैं। दिल्ली से ताल्लुक रखने वाले शरत कहते हैं, ‘रियलिस्टिक फिल्में बनाने से ऑडियंस जुड़ाव महसूस करती है। यह राइटिंग के लिए बेहद अहम है। आजकल का दौर राइटर के लिए स्वर्णिम है। कारण यह है कि, वे व्यक्तिगत अनुभवों और आसपास घटित होने वाली घटनाओं का उसमें समावेश कर पा रहे हैं। इससे लेखक का आत्मविश्वास भी बढ़ता है। अतीत में कहानियां एक फॉर्मूले पर आधारित होती थीं। कोशिश होती थी कि उसे उस दायरे में कहा जाए। अब वो दायरा खत्म हो चुका है। लेखकों की राह आसान हो चुकी है और वे पूरी आजादी से काम कर सकते हैं। उन्हें अपने लेखन का पेटेंट भी मिल जाता है। पहले फिल्मों का ट्रेंड बदलने में समय लगता था। अब अलग-अलग तरह की फिल्में बन रही हैं। अहम बात यह है कि लेखन में मुझे प्रतिस्पर्धा भी नहीं लगती। सबको अपने विचारों को व्यक्त करने का अधिकार है। यह टेक्नीकल काम नहीं है।’
खुशी है कहानी पसंद आई
फिल्म ‘तितली’ के विषय में शरत बताते हैं, ‘इसकी कहानी काफी हद तक रियल है। इसे लिखने तक मैं ‘दम लगाके हईशा’ की कहानी लिख चुका था और वह एनएफडीसी के राइटर लैब में थी। उसमें मेरी मेंटोर उर्मि जुवेकर स्क्रिप्ट लिखने में मदद कर रही थीं। उन्होंने मुझे निर्देशक कनु बहल से मिलाया। कनु एक राइटर की तलाश में थे। उनके साथ बातचीत हुई और बात बन गई। कॉन्सेप्ट कनु का था। उनके पास कहानी की वृहद संरचना थी। यह तीन लड़कों की कहानी है। सबसे छोटा भाई जुर्म की दुनिया से निकलना चाहता है। उसका नाम तितली है। वह तितली की भांति खुले आसमान में सांस लेना चाहता है लेकिन बड़ा भाई विक्रम उसे वैसा कुछ नहीं करने देता। फिल्म को कान्स फिल्म फेस्टिवल समेत कई अंतरराष्ट्रीय फेस्टिवल में सराहा गया। कान्स में मैंने शिरकत की थी। वहां लोगों की प्रतिक्रिया जबरदस्त थी। खुशी हो रही थी मेरी कहानी को पसंद किया जा रहा है। मैं कभी अपनी लिखी फिल्म की कहानी के सेट पर नहीं जाता। मेरी भूमिका गहराई से कहानी लिखने की होती है ताकि निर्देशक उसे बखूबी पर्दे पर उतार सके। मैं खुद निर्देशक हूं। अगर कोई दूसरा राय-सलाह देता है तो चिढ़ होती है। ‘तितली’ को कनु ने बखूबी पर्दे पर उतारा।’
कारवां बढ़ता गया
शरद 13 साल से फिल्म इंडस्ट्री से जुड़े हैं। वह बताते हैं, ‘मुंबई आने पर मेरी मुलाकात साउंड रिकॉर्डिस्ट रसूल पोकुट्टी से हुई। उन्होंने पूछा, ‘क्या करते हो?’ मैंने बताया जामिया यूनिवर्सिटी से मास कम्युनिकेशन में मास्टर डिग्री ली है और किसी को असिस्ट करना चाहता हूं। उन्होंने कहा, ‘मेरे दोस्त रजत कपूर एक फिल्म बना रहे हैं। तुम मेरा नाम लेकर उन्हें फोन कर लो।’ उस जमाने में मोबाइल फोन नहीं होते थे। मैंने लैंडलाइन पर वायस मैसेज छोड़ा। दो-तीन बार संपर्क करने के बाद उन्होंने मुझे बुलाया। तब रजत कपूर ने कहा, ‘मैं फिल्म नहीं बना रहा, पर लिख रहा हूं। मुझे नहीं पता तुम क्या करोगे पर मुझे जॉइन कर लो।’ छह महीने मेरे पास कोई काम नहीं था। वो हाथ से लिखते थे, मैं उसे कंप्यूटर पर टाइप करता था। फिर मैं उसे पढ़ता था। अक्सर राय देता था कि सीन में मुझे यह ठीक नहीं लग रहा। एक दिन उन्होंने मुझसे सीन लिखने को कहा। मेरे सीन को पढ़कर उन्होंने कहा कि तुमने बहुत खराब लिखा। इस बात से दिल को बहुत चोट पहुंची। मैंने लगातार लिखना शुरू किया। मुझे लगता है कि मैं रजत के कारण ही राइटर बन पाया। हुआ यूं कि सागर बैलेरी और रजत कपूर ‘भेजा फ्राई’ बना रहे थे। उनके पास डायलॉग राइटर नहीं था। उन्होंने मेरी ‘10 मिली लव’ की स्क्रिप्ट पढ़ी थी। उन्होंने डायलॉग लिखने को कहा। मैंने उसे लिखा। फिल्म हिट हुई और उसके बाद राइटिंग के प्रस्ताव आने लगे।’
स्मिता श्रीवास्तव
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