Pallavi Joshi Interview: 'तुम बहुत बुरी कलाकार हो, कभी भी अच्छी एक्टर बन ही नहीं सकती'
Pallavi Joshi Interview भारतीय विज्ञानियों के सामने जल्द से जल्द और किफायती वैक्सीन (टीका) बनाकर करोड़ों देशवासियों को सुरक्षित करने की बड़ी चुनौती थी। हालांकि भारतीय विज्ञानियों ने बहुत ही कम समय में वैक्सीन तैयार कर यह कर दिखाया। विज्ञानियों के इसी उपलब्धि पर आधारित फिल्म द वैक्सीन वार 28 सितंबर को प्रदर्शित होगी। उनकी फिल्म और सिनेमा जगत के विभिन्न पहलुओं पर बातचीत
मुंबई, जेएनएन। कोरोना काल में देश जहां आधारभूत और चिकित्सा संबंधी अलग-अलग समस्याओं से जूझ रहा था। वहीं भारतीय विज्ञानियों के सामने जल्द से जल्द और किफायती वैक्सीन (टीका) बनाकर करोड़ों देशवासियों को सुरक्षित करने की बड़ी चुनौती थी। हालांकि, भारतीय विज्ञानियों ने बहुत ही कम समय में वैक्सीन तैयार कर यह कर दिखाया। विज्ञानियों के इसी उपलब्धि पर आधारित फिल्म द वैक्सीन वार 28 सितंबर को प्रदर्शित होगी।
कोरोना काल में देश जहां आधारभूत और चिकित्सा संबंधी अलग-अलग समस्याओं से जूझ रहा था। वहीं भारतीय विज्ञानियों के सामने जल्द से जल्द और किफायती वैक्सीन (टीका) बनाकर करोड़ों देशवासियों को सुरक्षित करने की बड़ी चुनौती थी। हालांकि, भारतीय विज्ञानियों ने बहुत ही कम समय में वैक्सीन तैयार कर यह कर दिखाया। विज्ञानियों के इसी उपलब्धि पर आधारित फिल्म द वैक्सीन वार 28 सितंबर को प्रदर्शित होगी। अभिनेत्री पल्लवी जोशी ने इसमें वैक्सीन निर्माण टीम का हिस्सा रही विज्ञानी और नेशनल इंस्टीट्यूट आफ वायरोलाजी की निदेशक प्रिया अब्राहम की भूमिका निभाई है। पल्लवी इस फिल्म की प्रोड्यूसर भी हैं। उनसे उनकी फिल्म और सिनेमा जगत के विभिन्न पहलुओं पर बातचीत :
1.अभिनेत्री के साथ-साथ प्रोड्यूसर की भी जिम्मेदारियां हैं, क्या टिकट खिड़की का दबाव महसूस कर रही हैं?
लोग अधिकतर बाक्स आफिस की ही भाषा समझते हैं, लेकिन हर चीज टिकट खिड़की के नजरिए से नहीं देखी जा सकती है। मुझे नहीं पता कि यह 15, 25 या 350 करोड़ रुपये कमाई करने वाली फिल्म होगी। मुझे बस इसमें खुशी है कि हमारे ट्रेलर को लोगों की बहुत अच्छी और सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली है। मैं बस इतना सोचती हूं कि इस फिल्म में हमारी जितनी लागत लगी है, अगर उतना वापस आ जाए, तो हम एक और फिल्म बना सकते हैं। पैसा, शोहरत और नाम कमाने की एक उम्र होती है, वो उम्र अब मेरे लिए पीछे छूट गई है।
2.इन दिनों फिल्मों की कमाई के आंकड़े भी उनके प्रचार में खूब प्रयोग किए जा रहे हैं। इसे आप कैसे देखती हैं?
यह चलन कई वर्षों से चलता आ रहा है और मुझे हमेशा यह बहुत अश्लील लगा है। कभी अंबानी (मुकेश अंबानी) को ट्वीट करते हुए देखा है कि मैंने इतने हजार करोड़ रुपये का मुनाफा कमाया है। ये आंकड़े यह दिखाने के लिए प्रयोग किए जाते हैं कि हम दूसरों से बहुत ऊपर हैं। मैं तो अपने आपको किसी आम इंसान से अलग नहीं समझती हूं।
हमारे संस्कार तो यही कहते हैं कि आपको अपने काम से जो भी मिले, उसे अपने पास रखना चाहिए। द कश्मीर फाइल्स के समय सभी उसकी कमाई के आंकड़े बता रहे थे, लेकिन हमने कभी कमाई के बारे में कुछ नहीं बोला। हमने सिर्फ यही बोलते रहे कि किसने फिल्म या कलाकारों की क्या तारीफ की।
3.सुनने में आया कि इस भूमिका के लिए आपने अपने व्यक्तित्व में काफी बदलाव भी किया?
प्रिया अब्राहम को ढेर सारे जानने वाले है, उसके ऊपर से आजकल इंटरनेट मीडिया का जमाना है, छोटी सी भी गलती बहुत ज्यादा बन जाती है। प्रिया मलयाली पृष्ठभूमि से हैं। फोन पर बातचीत के दौरान मैंने उनसे पूछा कि आप हिंदी में बात कर सकती हैं क्या? तो उन्होंने अंग्रेजी में बोला कि यस यस माई हिंदी इज वेरी फ्लूएंट (हां, मेरी हिंदी बहुत धाराप्रवाह है)। फिर मैंने कहा कि तो हम हिंदी में बात करते हैं, लेकिन वह आगे भी अंग्रेजी में ही बात करती रहीं।
तब मैं समझ गई कि उनकी हिंदी बहुत अच्छी नहीं है। उनके अंग्रेजी बोलने की शैली भी अलग है, आर शब्द का उच्चारण बहुत स्पष्ट होता है। उनकी भूमिका निभाने के लिए मुझे ऐसी छोटी-छोटी कई चीजें करनी पड़ी। प्रिया जी से पहली मुलाकात के बाद ही मेरी टीम के सभी लोगों ने कह दिया था उनकी भूमिका आप ही निभाएंगी। फिल्म में मैं काफी हद तक उनके जैसी दिखी भी हूं।
4.क्या आप रिसर्च के स्तर से ही इस फिल्म से जुड़ी रही हैं?
इस फिल्म की रिसर्च मैंने बिल्कुल नहीं की। जब इसकी रिसर्च चल रही थी, तो मैं फिल्म द कश्मीर फाइल्स के पोस्ट प्रोडक्शन को अंतिम रूप देने में जुटी थी और डॉक्यूमेंट्री सीरीज द कश्मीर फाइल्स अनरिपोर्टेड की भी तैयारियां शुरू हो चुकी थी। रही बात फिल्म से जुड़ने की, तो मैं शुरू से ही इससे जुड़ी रही। विवेक (पल्लवी के पति और फिल्मकार विवेक रंजन अग्निहोत्री) जब भी किसी कहानी के बारे में सोचते हैं, तो सबसे हम एकदूसरे से चर्चा करते हैं कि उसे बनानी चाहिए या नहीं। फिर रिसर्च शुरू होती है।
5.साल 2021 के बाद इस साल फिर से आप दोनों (पल्लवी और विवेक) को राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार मिला, तो क्या राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार वाली जोड़ी कह सकते हैं…
पहली बार मैं बहुत खुश थी क्योंकि पहली बार ऐसा हुआ था कि पति-पत्नी दोनों को एक ही साल में और एक ही फिल्म के लिए राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार मिला हो। इस साल ऐसा होने पर खुशी तो हुई, लेकिन कोई नई बात नहीं लगी। मैंने अपना पहला राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार साल 1994 में फिल्म वो छोकरी के लिए जीता था। (हंसते हुए) उसके बाद जो मैंने दो जीते तो उसके साथ दो विवेक के भी आ गए, तो मेरे राष्ट्रीय पुरस्कारों की अहमियत थोड़ी कम हो गई है। मजाक की बातें अलग, लेकिन मुझे विवेक पर बहुत गर्व है।
6.क्या आपके लिए कोई ऐसा मौका रहा, जब किसी ने कहा हो कि आप यह काम नहीं कर सकती, लेकिन आपने कर दिखाया हो?
मैं उस निर्देशक का नाम तो नहीं लूंगी, लेकिन पिछली सदी के आठवें दशक में एक बहुत बड़े निर्देशक के साथ काम कर रही थे। वह लगातार मुझसे कहते रहते थे कि मैं बहुत बुरी कलाकार हूं। उन्होंने यह तक कहा था कि तुम कभी अच्छी एक्टर बन ही नहीं सकती हो। उसके कुछ साल बाद मुझे अपनी एक्टिंग के लिए पहला राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार मिला था। उसके बाद मैंने उनके साथ फिर कभी काम नहीं किया।
7.अपने प्रोडक्शन के बाहर वाले प्रोजेक्ट में किन चीजों को प्राथमिकता दे रही हैं?
अपने प्रोडक्शन के बाहर मैंने एक वेब सीरीज की है, उसकी शूटिंग हो चुकी है। सभी को लगता है कि मैंने अपना प्रोडक्शन शुरू किया है और मेरे पति निर्देशक हैं, तो अब मैं बाहर की फिल्में नहीं करूंगी। औरतों के बारे में ऐसी धारणाएं क्यों बनती हैं, मुझे नहीं पता। फिर मन में ये आता है कि ठीक है, आप अपनी धारणा लेकर बैठे रहिए हम अपनी फिल्में करते रहेंगे।
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