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Interview: असल जिंदगी में अगर एेसा होता तो शर्माकर बेहोश हो जाते शाहरुख़ खान

शाहरुख़ खान ने जागरण डॉट कॉम से खास बातचीत में फिल्मी दुनिया में अपनी जर्नी को लेकर कई राज़ खोले।

By Rahul soniEdited By: Published: Wed, 19 Jul 2017 04:16 AM (IST)Updated: Wed, 19 Jul 2017 05:17 AM (IST)
Interview: असल जिंदगी में अगर एेसा होता तो शर्माकर बेहोश हो जाते शाहरुख़ खान
Interview: असल जिंदगी में अगर एेसा होता तो शर्माकर बेहोश हो जाते शाहरुख़ खान

मुंबई। बॉलीवुड के किंग खान शाहरुख़ मानते हैं कि उन्हें लव वाले जॉनर के बारे में कुछ भी नॉलेज नहीं है। प्यार की बातें उन्हें कभी समझ ही नहीं आई है। पर वो लव स्टोरी वाली फिल्म करते हुए अपना दिमाग नहीं लगाते बल्कि डायरेक्टर पर भरोसा करते हैं। शाहरुख़ की फिल्म 'जब हैरी मेट सेजल' 4 अगस्त को रिलीज़ हो रही है जिसमें वो गाइड की भूमिका में हैं। इसको लेकर जागरण डॉट कॉम से एक्सक्लूसिव इंटरव्यू के दौरान शाहरुख़ ने फिल्मी करियर और फिल्मों से जुड़े कई राज़ खोले। पढ़िए शाहरुख़ से खास बातचीत - 

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सवाल - फिल्म 'जब हैरी मेट सेजल' को लेकर कैसा एक्सपीरियंस रहा

शाहरुख़ - यह बहुत क्लोज फिल्म है जिसमें दो या तीन लोग ही हैं। हां, कैरेक्टर्स आते-जाते रहते हैं। इस फिल्म को लेकर अलग एक्सपीरियंस रहा है। इम्तियाज़ अली की राइटिंग बिल्कुल अलग है। सारी ट्रेपिंग लव स्टोरी होने के बावजूद भी इजी गोइंग है। पूरा आइडिया यह है कि फिल्म देखकर अॉडियंस को लगे कि वो हैरी और सेजल से मिल चुके हैं। चूंकि यह बहुत सिंपल लव स्टोरी है।

सवाल - विदेशों की तुलना में अपने देश में सड़कों पर शूट करना कितना मुश्किल था

शाहरुख़ - जब हम फिल्म की शूटिंग पंजाब में कर रहे थे तब थोड़ा मुश्किल था। लेकिन लोग तो प्यार ही करते हैं। कई बार लोग नहीं हटते तो उन्हें शूटिंग में ही डाल देते हैं। 'जब हैरी मेट सेजल' में एक मेले का सीन था। इसमें एक सीन शूट किया है जिसमें सब लोग छत पर खड़े हैं। सारी छत भर गई थी। हमने शॉट में भी ले लिया था कि ये सभी सेलिब्रेशन में शामिल है। तो कई बार एेसा करना पड़ता है। हां, आने वाली फिल्म की शूटिंग मेरठ में है तो वहां थोड़ी परेशानी होगी। पर यह परेशानी न हो तो स्टारडम कैसा फिर। इसलिए कोई टेंशन नही है।

सवाल - लव स्टोरी लंबे अरसे से कर रहे हैं तो खुदको एक जैसे रोल के लिए कैसे तैयार करते हैं

शाहरुख़ - मैंने अच्छे डायरेक्टर्स और राइटर्स के साथ लव स्टोरी वाली फिल्में की हैं। पर ईमानदारी से कहूं तो मुझे ये जॉनर समझ नहीं आता। ''मैं आखें खोलता हूं तो तुम्हे देखता हूं'' ये डायलॉग या ये सब बातें मुझसे सोची भी नहीं जाती। मैं सोचता हूं कि, करण जौहर, आदि, यश जी और इम्तियाज़ ये सब बातें सोचते होंगे। उन्हें यह मालूम है कि ये बातें लड़के और लड़कियों को अच्छी लगेगी। "तुम नहीं समझोगी अंजली कुछ-कुछ होता है'' मुझे नहीं लगता कि इसमें कोई कमाल है लेकिन दुनिया में लड़के लड़कियों को अच्छा लगता है। अब सवाल यह है कि मैं डायरेक्टर को कैसे ये सब करने से मता करता हूं तो मैं अपनी सोच को लव स्टोरी में लाता ही नहीं हूं। मैं बस डायरेक्टर की लव स्टोरी को लेकर परिभाषा समझने की कोशिश करता हूं। कई बार रोहित या आनंद एल राय के साथ काम करते हुए एेसा भी हो जाता है कि वो बोलते हैं कि अब आपको क्या बताए रोमांस के बारे में आप तो कर दीजिए बस। लेकिन मैं जानना चाहता हूं उनकी परिभाषा को। मैं कभी सवाल नहीं करता कि चेंज करो या नहीं। 'कुछ कुछ होता है' फिल्म में काजोल को शादी वाले दिन बोलना था कि मैं तुमसे प्यार करता हूं। लेकिन असल में एेसा हो तो मैं असल जिंदगी में करूं तो शर्माकर बेहोश ही हो जाऊ। पर मैं डायरेक्टर्स पर भरोसा करता हूं कि इस सबको यह समझ आता है। इम्तियाज़ की भाषा इस फिल्म में अलग है तो मुझे उन पर पूरा भरोसा है।

सवाल - गाइड अनुष्का के लिए है या फिर वो खुद किसी की तलाश में है

शाहरुख़ - गाइड को फिल्म में मेटाफर जैसा यूज किया है। हमेशा गाइड हमें रास्ता दिखाते हैं। लेकिन हम उनसे कभी नहीं पूछते कि उनकी मंजिल क्या और कहां है। पर फिर भी वो रोज इंट्रेस्ट से सबको दिखाते हैं पर वो भी तो ऊब जाते होंगे। चूंकि वो नई जगहों पर नहीं जाते। हम लोग तो छुट्टी में बाहर जाते हैं। तो इसलिए उस गाइड कोभी किसी चीज की तलाश है। गाइड मेटाफर एेसे यूज किया है कि वो किसी चीज की तलाश में है। फिल्म में सॉन्ग 'सफर' गाइड का स्टेट अॉफ माइंड के बारे बखूबी बतलाता है। फिर उसकी लाइफ में लड़की आती है और यह पता चलता है कि क्या उसकी तलाश खत्म होती है कि नहीं।

सवाल - फिल्म तो बन जाती है लेकिन पर्दे के पीछे एक्टर और डायरेक्टर के बीच की केमेस्ट्री का डॉक्यूमेंटेशन भी बनना चाहिए क्या? एेसा रिवाज़ अभी इंडस्ट्री में नहीं है 

शाहरुख़ - हां हम एेसा कर सकते हैं। मैं इस पर वैसे इतना विश्वास नहीं करता। थोड़ा अजीब लग सकता है। बहुत सारे एक्टर्स डायरेक्टर के साथ जाते हैं अलग-अलग लोकेशन पर या होटल में। हां, डॉक्यूमेंट कर सकते हैं। पर मुझे इतना इम्पोर्टेट नहीं लगता ये सब। अमिताभ बच्चन जी डॉक्यूमेट कर सकते हैं क्योंकि उनके पास तो बहुत कुछ है बताने के लिए जो लोगों के काम आएगा। मैं तो सिर्फ यह मानता हूं कि आम खाओ गुठलियों से क्या मतलब है। मैं किताब बस बेटी के लिए लिखा रहा हूं। नहीं लगता कि एक्टिंग पर मुझे किताब लिखना चाहिए चूंकि इसको लिखते समय यूनिफॉर्मिटी होना चाहिए। जबकि मेरी एक्टिंग प्रोसेस बहुत अलग है तो डर है कि कहीं लोगों को मिसलीड न कर दे। एक और बात है कि सोचने का नजरिया सक्सेसफुल स्टार की तरह है क्योंकि में सुपरस्टार हूं और दिमाग में पुरानी बाते नहीं आती। अगर मैं यह लिखूं कि एक डायरेक्टर ने मुझे रोल दिया और मैंने ठुकर दिया तो यह इगो कहलाएगा। तो दूसरे लोग सुलझे हुए हैं वो लिखें तो बहुत अच्छी बात है। 

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सवाल - बेटी सुहाना को गाइड करने के लिए किताब कितनी लिख ली है

शाहरुख़ - किताब एक्टिंग पर है। थोड़ी लिखी थी लेकिन बेटी सुहाना लंदन लेकर चली गई। इसलिए बहुत सारी बातों को फिर से टेलिफोन से सुनकर लिखा है। सुहाना पढ़ने के लिए साथ लेकर गई हैं। मैं फिर से लिखना शुरू करूंगा।

पराग छापेकर


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