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हर हाल में खुशहाल रहा मैं - जीशान अय्यूब

फिल्म ‘नो वन किल्ड जेसिका’, ‘रांझणा’ और ‘तनु वेड्स मनु रिटर्न्स’ से अपनी अलग पहचान स्थापित कर चुके हैं मोहम्मद जीशान अय्यूब। अब उनके खाते में बड़े बैनर की फिल्में हैं। हाल ही में वे ‘ऑल इज वेल’ में हंसोड़ विलेन तो ‘फैंटम’ में रॉ एजेंट की भूमिका में थे।

By Monika SharmaEdited By: Published: Wed, 09 Sep 2015 12:37 PM (IST)Updated: Wed, 09 Sep 2015 12:56 PM (IST)
हर हाल में खुशहाल रहा मैं - जीशान अय्यूब

फिल्म ‘नो वन किल्ड जेसिका’, ‘रांझणा’ और ‘तनु वेड्स मनु रिटर्न्स’ से अपनी अलग पहचान स्थापित कर चुके हैं मोहम्मद जीशान अय्यूब। अब उनके खाते में बड़े बैनर की फिल्में हैं। हाल ही में वे ‘ऑल इज वेल’ में हंसोड़ विलेन तो ‘फैंटम’ में रॉ एजेंट की भूमिका में थे। आगे वे ‘रईस’ में शाहरुख खान के संग दिखेंगे और ‘कथा’ की रीमेक में भी।

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खुशकिस्मती से मिली ‘रईस’

‘रईस’ मिलने से जीशान अय्यूब बहुत खुश हैं। वे कहते हैं, ‘अब मुझे बड़ी कमर्शियल फिल्में मिलने लगी हैं। पहले काम मिलना मुश्किल था, अब फिल्मों और किरदार के बीच चयन को लेकर कंफ्यूजन रहता है। ‘ऑल इज वेल’ और ‘फैंटम’ के बाद लोगों ने अलग नजरिए से मुझे देखना शुरू कर दिया है। मेरे लिए समय बदल रहा है। ‘रईस’ जैसी फिल्म मिलना बहुत बड़ी बात है मेरे लिए। मेरे लिए ही क्या, क्वालिटी काम करने वालों के लिए इंडस्ट्री और ओपन हुई है।’

शांत हुई जिज्ञासा

शाहरुख खान के काम से प्रभावित जीशान अय्यूब कहते हैं, ‘शाहरुख लगातार क्वॉलिटी काम देने में लगे हुए हैं। उनके संग काम करना अलग अनुभव है। शाहरुख से काफी कुछ सीखने को मिला। मेरी जिज्ञासा शांत हुई कि वे इमेज सेंट्रिक रोल क्यों करते हैं? उनके परतदार शख्सियत वाले रोल कम क्यों रहते हैं? फिल्मों को लेकर उनका पर्सपेक्टिव लगातार बदलता रहा है। ऐसा नहीं है कि उन्होंने हमेशा सिर्फ लार्जर दैन लाइफ रोल ही किए हैं। वैसा होता तो उनके खाते में ‘पहेली’, ‘चक दे इंडिया’, ‘स्वदेस’ जैसी फिल्में नहीं होती। वे ‘रईस’ नहीं करते। दरअसल वे लगातार संतुलन साधने में लगे हुए हैं।’

आज भी खुश हूं

जीशान अय्यूब ने हर तरह का समय देखा है। उनका कहना है कि वह दिल्ली में थियेटर करते समय भी खुश थे और आज भी खुश हैं। वे बताते हैं, ‘मुझसे अधिकतर लोग पूछते हैं कि आपका संघर्ष का समय कैसा रहा? मैैं ईमानदारी से जवाब देता हूं तो उन्हें झूठ लगता है। मैैं जब दिल्ली में था तो एक नाटक के दस हजार रुपए कमाता था। कभी एक महीने में एक नाटक तो कभी दो महीने में एक नाटक करता था। कुछ चीजें नहीं कर पाता था, फिर भी खुश था। फिर आज उन दिनों को खराब क्यों कहूं? मैैं मुंबई में अपनी पत्नी के साथ आठ बाई आठ के कमरे में रहता था, तब भी खुश थे। समय बदला, पैसा आया, बड़ा घर ले लिया, तब भी खुश था और आज भी खुश हूं। मेरा कोई वक्त खराब नहीं रहा। मेरा मानना है, जो काम करें ईमानदारी से करें। नकली रहने पर आप एक्सपोज हो जाएंगे।’

दर्शकों को छोटा समझना भूल

जीशान अय्यूब का मानना है कि आज के दर्शकों को सबकुछ पता है, इसलिए उनको छोटा समझने की गलती नहीं करनी चाहिए। वे कहते हैं, ‘फिल्म दर्शकों ने पिछले कुछ सालों में माइंडलेस फिल्म बनाने वालों को जवाब दिया है। दर्शक दमदार कहानी पर आधारित फिल्में देखना पसंद करते हैैं। अब जाकर हमारी इंडस्ट्री में उस तरह की फिल्म बनने लगी हैं। दर्शकों की अच्छी प्रतिक्रिया आ रही है। मैं हमेशा से कहता आया हूं कि दर्शकों को छोटा मत समझो। वो आपसे ज्यादा समझदार हैं। वो हर रोज अपनी मेहनत से कमाकर खाते हैं। अब जाकर हमारी इंडस्ट्री में दर्शकों को छोटा समझने की सोच कम हो गई है!’

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