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किस्मत ने मुझे यहां लाकर खड़ा कर दिया - कुलदीप सरीन

‘क्राइम पेट्रोल’ से पहचान पाने वाले कुलदीप सरीन छोटे व बड़े पर्दे पर लगातार सक्रिय हैं लेकिन वे मानते हैं कि उन्हें नहीं मिला मुकम्मल मुकाम। रतन से बातचीत के अंश

By Monika SharmaEdited By: Published: Sat, 15 Aug 2015 04:04 PM (IST)Updated: Sat, 15 Aug 2015 04:37 PM (IST)
किस्मत ने मुझे यहां लाकर खड़ा कर दिया - कुलदीप सरीन

‘क्राइम पेट्रोल’ से पहचान पाने वाले कुलदीप सरीन छोटे व बड़े पर्दे पर लगातार सक्रिय हैं लेकिन वे मानते हैं कि उन्हें नहीं मिला मुकम्मल मुकाम। रतन से बातचीत के अंश...

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आपने दिल्ली में बहुत समय बिताया। खुद को कहां का मानते हैं?
मैं मूल रूप से ग्वालियर का हूं। पढ़ाई करने के बाद दिल्ली आकर एनएसडी से जुड़ गया। इसके बाद दिल्ली के दिलशाद गार्डन का होकर रह गया हूं। मैं मुंबई में भले ही रहता हूं लेकिन दिल दिल्ली में ही लगा रहता है।

दिल्ली की खास बात आप क्या मानते हैं?
बहुत सी बातें हैं लेकिन दिल्ली की तीन बातें खास हैं, जो दिल्ली को हमारे अंदर जिंदा रखती हैं। एक यहां की सड़कें, दूसरी हरियाली और तीसरा फैशन। यहां के लोग बहुत दिलवाले होते हैं।

दिल्ली में आपकी पसंदीदा जगह?
कुतुब मीनार, हुमायूं मकबरा, लोधी गार्डन, इंडिया गेट जाना बहुत पसंद है। यहां जाकर सुकून महसूस करता हूं।

यहां के स्ट्रीट फूड के बारे में क्या कहेंगे?
दिल्ली खाने के मामले में बहुत विविधता सहेजे है। हर जगह का अपना खाना और स्वाद है। सीपी में बंगाली मार्केट इसके लिए मुख्य जगह है। पुरानी दिल्ली की चटपटी चीजें तो आप कभी भूल ही नहीं सकते हैं। यमुना पुल पर बिकने वाली खस्ता कचौड़ी का अपना अलग स्वाद है। वहां लोग बेझिझक लाइन लगाकर खाते दिखते हैं।

आप एनएसडी के छात्र रहे हैं। अभी वहां जाना होता है?
हां, जाना होता है लेकिन तब और अब में बहुत चेंज आया है। वहां काम इतना हुआ है कि पुराने सारे ठौर-ठिकाने खत्म हो गए हैं। उनकी यादें आज भी हमारे जेहन में हैं। दिल्ली इन दिनों जवां हो गई है। मेट्रो ने इस काम में अहम भूमिका निभाई है। लोग अब कैजुअल ड्रेस में भी टहलते दिख जाते हैं और यह खराब भी नहीं लगता है।

फिल्म करने की इच्छा थी, पहचान मिली छोटे पर्दे से। क्या कहेंगे?
ऊपर वाला जो लिखता है, वही होता है। मेरे साथ भी शायद वही हुआ। मैं कभी नहीं चाहता था कि फिल्मों के अलावा कहीं और अभिनय करूं लेकिन किस्मत ने मुझे वहीं लाकर खड़ा किया। यह ऊपर वाले का करम है और अब मैं उसकी इनायत से बहुत खुश हूं।

अभिनय की दुनिया में कैसे आए और आप कितने खुश हैं?
मेरी बचपन से ही इसमें रुचि थी। ग्वालियर से पढ़ाई करने के बाद मैं दिल्ली आ गया। यहां आने के बाद मैंने मन से काम किया। अलग पहचान बनाई और लोगों से अच्छे रिश्ते भी कायम किए। अभी तक करीब चालीस फिल्मों में अभिनय कर चुका हूं लेकिन जिस भूमिका की इच्छा है, वह अभी तक नहीं मिल पाई। बहुत अच्छा लगता है, जब लोग आम जगहों पर देखकर पहचान लेते हैं। वे पास आकर कहते हैं कि मैंने आपको कहीं देखा है। यहां देखा है, वहां देखा है...। फिर मैं बताता हूं कि आपने मुझे टीवी पर देखा है। ‘क्राइम पेट्रोल’ ने मुझे अलग पहचान दी है। इस शो में मैं इंवेस्टिगेशन ऑफिसर की भूमिका में आता हूं। हालांकि मैं टीवी के लिए धारावाहिक ‘कुमकुम’ और ‘अगले जनम मोहे बिटिया ही कीजो’ आदि में काम कर चुका हूं लेकिन कभी इच्छा नहीं थी कि छोटे पर्दे पर काम करूं। अब जब वक्त बदला है तो इसकी अहमियत जान गया हूं। अब तो मुझे एड फिल्में भी मिलती हैं तो इंकार नहीं करता। मैं इनके जरिए लोगों की नजरों में बना रहना चाहता हूं।

आप किस्मत को मानते हैं या मेहनत को?
मैं मेहनत को ज्यादा अहमियत देता हूं लेकिन यह भी मानता हूं कि नसीब बड़ी चीज है। इन दोनों का साथ इंसान की जिंदगी के लिए बहुत जरूरी है। मेरे साथ रहने और काम की शुरुआत करने वालों की लंबी लिस्ट है। कुछ लोग आज कहां हैं, बता नहीं सकता और कुछ वहां बैठे हैं, जहां पहुंचना बहुत मुश्किल होता है। शाहरुख खान, मनोज बाजपेयी, सीमा बिस्वास आदि के साथ मैंने बहुत से प्ले किए हैं। ‘सहर’, ‘डॉन’, ‘ब्लैक एंड व्हाइट’, ‘आमिर’, ‘कर्ज’, ‘स्ट्राइकर’, ‘पाठशाला’, ‘तलाश’, ‘तेरा क्या होगा जॉनी’, ‘लम्हा’, ‘सिंह साहब द ग्रेट’, ‘कांची’, ‘ओ तेरी’, ‘रज्जो’ आदि फिल्मों में काम किया लेकिन आज भी पहचान के लिए संघर्ष है। यह तो नसीब की बात है।

ऐसे वक्त में कभी निराशा ने घेरा?
बहुत बार, लेकिन मैं सकारात्मक सोच का इंसान हूं। उम्मीद का दामन कभी नहीं छोड़ता। मेरे मन में यह बात हमेशा रही कि आज मैं जो कुछ भी हूं, वह ईश्वर ने ही दिया है। उसी से जिंदगी चल रही है। विश्वास है कि ईश्वर किसी दिन कुछ ऐसा करेगा कि मुझे सब कुछ मिल जाएगा।

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आपके करियर का टर्निंग प्वॉइंट?
चंदन अरोड़ा की फिल्म ‘स्ट्राइकर’ में मेरी भूमिका कुछ अलग थी, जिसे लोगों ने पसंद किया और वह मुझे भी पसंद है। इसे टर्निंग पॉइंट कह सकता हूं।

आप अंधविश्वासी हैं?
हां, थोड़ा तो हूं।

आपको धर्म में यकीन है?
पूरा-पूरा। मैं हर अच्छी बात को स्वीकारने के लिए तैयार रहता हूं।

ईश्वर को लेकर कभी मन में निगेटिव भाव आए?
आज के धर्म गुरुओं को लेकर मन में गलत विचार आते हैं लेकिन भगवान को लेकर कभी नहीं।

आपकी नजर में जिंदगी क्या है?
जिंदगी कर्म के लिए है और इसे उसी के जरिए खूबसूरत बनाया जा सकता है।

हिंदी फिल्मों के आपके पसंदीदा एक्टर?
कमल हासन, प्राण, नसीर जी, पंकज कपूर, ओमपुरी मेरे पसंदीदा अभिनेता हैं और अभिनेत्रियों में वैजयंती माला और नरगिस को पसंद करता हूं।

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