Manjot Singh Interview: 'मेरा गुस्सा देखकर मम्मी कहती हैं, यह गुस्सा स्क्रीन पर दिखा': एक्टर मनजोत सिंह
Manjot Singh Interview फिल्मों में नायक और नायिका के साथ सहयोगी कलाकार भी अहम होते हैं। फुकरे फिल्म में पुलकित सम्राट तो ड्रीम गर्ल फ्रेंचाइज की दूसरी फिल्म ड्रीम गर्ल 2 में आयुष्मान खुराना के दोस्त बने मनजोत सिंह अपनी कॉमेडी के लिए खास पहचान रखते हैं। उनकी चाहत है कि उन्हें सिर्फ कॉमेडी रोल तक सीमित न किया जाए। उनसे हुई बातचीत के प्रमुख अंश
Manjot Singh Interview: फिल्मों में नायक और नायिका के साथ सहयोगी कलाकार भी अहम होते हैं। 'फुकरे' फिल्म में पुलकित सम्राट, तो 'ड्रीम गर्ल' फ्रेंचाइज की दूसरी फिल्म 'ड्रीम गर्ल 2' में आयुष्मान खुराना के दोस्त बने मनजोत सिंह अपनी कॉमेडी के लिए खास पहचान रखते हैं। हालांकि उनकी चाहत है कि उन्हें सिर्फ कॉमेडी रोल तक सीमित न किया जाए। उनसे हुई बातचीत के प्रमुख अंश :
1.आप कॉमेडी के लिए पहचान रखते हैं। आपके कॉमिक सेंस को सबसे पहले किसने पहचाना था?
पता नहीं, लेकिन जब मैंने जिंदगी का पहला ऑडिशन ओए लकी! लकी ओए! के लिए दिया था, उसके बाद मुझे फिल्म मिल गई थी। उस फिल्म के लिए अवॉर्ड भी मिले। तो सारा श्रेय दिबाकर बनर्जी को देना चाहूंगा, जिन्होंने मुझे लांच किया।
Rajpal Yadav ने एक्सक्लूसिव बातचीत में कहा- मनोरंजन का दर्जी हूं, सपने काटना जानता हूं।
एक बार अनुराग कश्यप सर ने फिल्म उड़ान के समय के एक बात बोली थी कि दिबाकर ने बॉलीवुड को एक तोहफा दिया है, वो है तू। वो बात मेरे दिल को छू गई कि एक निर्देशक दूसरे निर्देशक की तारीफ कर रहा है। उन्हें मेरा काम पसंद आएगा तभी शायद उन्होंने मुझे उड़ान में कास्ट किया था। मैं अपने करियर की रफ्तार से खुश हूं।
2.असल जिंदगी में कितने मजाकिया हैं?
मैं असल जिंदगी में ताने मारने या व्यंग्य करने वाली कॉमेडी करता हूं, ताकि लोगों को सत्यता का थोड़ा अहसास हो। हालांकि अंदाज हल्का फुल्का होता है। कई बार मेरे दोस्त भी कहते हैं कि तुम ऐसे बोल जाते हो पर कोई तुम्हारी बात का बुरा नहीं मानता है। मुझे लगता है कि हर इंसान का अपना तरीका होता है। उसे पता होता है कि सामने वाला कितना सह सकता है। उसी हिसाब से करता हूं। बाकी मैं असल जिंदगी में गंभीर भी हूं।
3. आपको लगता है कि इंडस्ट्री में आपको कामिक रोल तक सीमित कर दिया गया है?
हां, पता नहीं यह सोच कैसे टूटेंगी? आपके काम को लेकर निश्चित रूप से एक नजरिया बन जाता है। यह नजरिया भी तभी बनता है, जब आपका काम अच्छा हो। अगर आपका काम अच्छा नहीं होगा, तो कोई याद नहीं रखेगा। इसलिए खुशी होती है कि लोग मेरे बारे में सोचते हैं।
हालांकि यह ख्याल भी आते हैं कि दूसरा टैलेंड दिखाने का मौका कब मिलेगा। उसके लिए आपको खुद ही दूसरों से मिलना पड़ेगा। मेरे पापा एक बात कहते हैं कि जब तक बोलोगे नहीं, सामने वाला कैसे समझेगा। मां भी बच्चे को दूध तब पिलाती है, जब बच्चा रोता है।
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मुझे भी बोलना पड़ेगा। हाल ही में मैंने एक फिल्ममेकर से बात की। उन्होंने उम्मीद जताई कि मेरे साथ काम करना चाहेंगे। चीजें तभी पता चलती हैं, जब आपके हाथ में कुछ हो। वरना बातें तो बहुत होती हैं। वैसे मेरी मम्मी चाहती हैं कि मैं कुछ गंभीर किरदार करुं। जब भी घर में पापा से लड़ाई होती है, तो वह मेरा गुस्सा देखकर कहती हैं कि तू यह गुस्सा स्क्रीन पर भी दिखा। तू बहुत अच्छा लग रहा है।
4. इंडस्ट्री में कौन से सपने लेकर आए थे?
मैं कोई सपने लेकर नहीं आया था। अभिनय करने का कोई शौक नहीं था। इस इंडस्ट्री में आना किस्मत थी। मेरे परिवार का फिल्मी दुनिया से कोई ताल्लुक नहीं है। किसी ने मुझे गाइड नहीं किया। अब लगता है कि अगर इंडस्ट्री में नहीं होता, तो जिंदगी में कुछ नहीं कर पाता। शायद मैं अभिनय के लिए ही बना था।
5.आपने कई दोस्ती यारी वाली फिल्में की हैं। क्या कभी दोस्तों से उधार लिया है?
नहीं, मैंने कभी उधार नहीं लिया। अगर लिया भी होगा तो बहुत बड़ा नहीं लिया होगा। मैं उन लोगों में से हूं कि अगर किसी से कुछ लिया है, तो जब तक उसे वापस नहीं कर दूंगा, तब तक सो नहीं पाऊंगा। मुझे लगता है कि देने वाला भूल सकता हैं, लेकिन लेने वाला कभी नहीं भूल सकता। पर हां आयुष्मान और पुलकित दोनों ही मेरा बहुत ध्यान रखते हैं और प्यार देते हैं। मुझे छोटे भाई की तरह सम्मान देते हैं।
6.फुकरे 3 रिलीज होने की कतार में है। उस किरदार में बार-बार जाना आसान होता है?
शुरुआत में थोड़ी मुश्किल होती है। जब फिल्म का आखिरी दिन होता है और आप आखिरी शाट देकर वैनिटी वैन में जाते हैं, तो एक आत्मसंतुष्टि मिलती है कि किरदार की विदाई हो रही है। कैमरे में उसकी जिंदगी कैद हो चुकी है। वो हमेशा रहेगा। फिर जब उस किरदार को दोबारा जीना होता है, तो दूसरे-तीसरे दिन आप उस किरदार में सहजता से आ जाते हैं, क्योंकि उसे पहले जी चुके होते हैं।
7.अपनी ड्रीम गर्ल को लेकर क्या सपने हैं?
(हंसते हुए) मैं तो उसका इंतजार ही कर रहा हूं। मैं प्यार से ज्यादा सम्मान का भूखा हूं। मैं यह भी मानता हूं कि अगर आप सम्मान चाहते हैं, तो वो आपको सामने वाले को देना भी पड़ेगा। मेरे लिए सम्मान और आपसी समझ बहुत जरूरी है। बाकी सब जिंदगी में चलता रहता है। जहां तक ड्रीम गर्ल फ्रेंचाइज की बात है, तो निर्देशक राज शांडिल्य सर का शुक्रगुजार हूं।
पता था कि यह फिल्म आयुष्मान के कंधों पर है। मैं फिल्म के लिए इस सोच के साथ गया कि पता नहीं कितने सीन होंगे, लेकिन राज सर ने फिल्म में अच्छी जगह दी। मेरे प्रशसंकों, स्वजनों और दोस्तों ने कहा कि तुम फिल्म में छाए हुए थे। ड्रीम गर्ल 2 में मेरे किरदार की वजह से ही कहानी आगे बढ़ रही है।
स्मिता श्रीवास्तव