Year Ender 2020: मनोरंजन उद्योग को 2500 करोड़ के नुकसान का अनुमान, सात महीने बंद रहे सिनेमाघर
भारतीय फ़िल्म इंडस्ट्री तकरीबन 2000 फ़िल्मों का निर्माण हर साल करती है जिससे हज़ारों लोगों का रोज़गार मिलता है। इनमें कलाकार कैमरामैन मेकअप आर्टिस्ट डिजाइनर्स जूनियर कलाकार स्पॉटबॉयज़ असिस्टेंट्स आदि शामिल हैं। यह सभी लम्बे समय तक बेरोज़गार रहे।
नई दिल्ली, जेएनएन। 2020 के मध्य-मार्च से कोरोना वायरस का प्रकोप शुरू हुआ और धीरे-धीरे इसने विकराल रूप ले लिया। चीन से आये ख़तरनाक वायरस की रफ़्तार थामने के लिए केंद्र सरकार ने सभी सार्वजनिक स्थलों को बंद करना शुरू किया, जिनमें सिनेमाघर भी शामिल थे। शुरुआत में कुछ दिनों के लिए हुई सिनेमाघरों की तालाबंदी वक़्त के साथ बढ़ा दी गयी। कोविड-19 प्रसार को रोकने के लिए कई चरणों में लॉकडाउन लगाया गया, जिससे फ़िल्मों और धारावाहिकों की शूटिंग बंद हो गयी। ज़ाहिर है कि भारतीय मनोरंजन उद्योग पर व्यापक असर पड़ना था।
लगभग 2500 करोड़ नुक़सान का अनुमान
भारतीय फ़िल्म इंडस्ट्री तकरीबन 2000 फ़िल्मों का निर्माण हर साल करती है, जिसे हज़ारों लोगों का रोज़गार मिलता है। इनमें कलाकार, कैमरामैन, मेकअप आर्टिस्ट, डिजाइनर्स, जूनियर कलाकार, स्पॉटबॉयज़, असिस्टेंट्स आदि शामिल हैं। फ़िल्मों की शूटिंग बंद होने की वजह से यह सभी लम्बे समय तक बेरोज़गार रहे। ख़ासकर, वो लोग जो दिहाड़ी के आधार पर फ़िल्मों में काम करते हैं। हालांकि, कई बड़े कलाकारों और फ़िल्म संस्थाओं ने सामर्थ्यानुसार इन लोगों की मदद भी की। निर्माण के बाद फ़िल्में सिनेमाघरों में रिलीज़ की जाती है। मल्टीप्लेक्स एसोसिएशन के अनुसार, देशभर के सिनेमाघरों में लगभग दो लाख लोग छोटे-बड़े काम करते हैं। मगर, थिएटर बंद होने की वजह से इन पर रोज़गार का संकट आया।
मनोरंजन उद्योग को इस वजह से भारी नुकसान का सामना करना पड़ा। एएनआई की रिपोर्ट के अनुसार बॉक्स ऑफ़िस पर क़रीब 3000 हज़ार करोड़ रुपये का सालाना कारोबार होता है। 2020 में यह रकम घटकर 500-600 करोड़ रुपये रह गयी है। ज़ाहिर है कि फ़िल्म इंडस्ट्री को लगभग 2500 करोड़ रुपये की तगड़ी चपत लगी है। कुछ अनुमानों के मुताबिक, सिंगल स्क्रीन थिएटर्स को मासिक 25-75 लाख रुपये का झटका लगा है। अगर इसमें फ़िल्म निवेश पर ब्याज और दूसरे खर्चों को जोड़ दें तो यह नुक़सान कई गुना बढ़ जाएगा।
नुक़सान से बचने के लिए चुना ओटीटी का रास्ता
अगर पैनडेमिक ना होता तो 2020 में कई ऐसी फ़िल्में रिलीज़ होने वाली थीं, जिनसे बॉक्स ऑफ़िस पर होने वाली कमाई रिकॉर्ड तोड़ सकती थी। इनमें दो तरह की फ़िल्में थीं- पहली वो जो बनकर तैयार थीं और रिलीज़ डेट पक्की हो चुकी थी। दूसरी वो, जिनकी थोड़ी शूटिंग या पैचवर्क बाकी था। अक्षय कुमार और रोहित शेट्टी की सूर्यवंशी मार्च के अंत में रिलीज़ होने वाली थी, मगर सिनेमाघर बंद होने के बाद इसकी रिलीज़ रोक दी गयी। रणवीर सिंह की कबीर ख़ान निर्देशित 83 अप्रैल की शुरुआत में आने वाली थी।
इनके अलावा बहुत सी ऐसी फ़िल्में हैं, जिन्होंने नुक़सान बचाने के लिए ओटीटी का रास्ता चुना। गुलाबो सिताबो, शकुंलता देवी, गुंजन सक्सेना- द कारगिल गर्ल, कुली नम्बर वन, लक्ष्मी, सड़क 2, दिल बेचारा समेत कई फ़िल्में अमेज़न प्राइम वीडियो, नेटफ्लिक्स और डिज़्नी प्लस हॉटस्टार जैसे प्लेटफॉर्म्स पर रिलीज़ हुईं। इस बारे में विद्या बालन ने जागरण डॉट कॉम से कहा था-
''इस माहौल में फ़िल्म थिएटर में रिलीज़ नहीं हो सकती। हमारे स्तर के प्रोडक्शन के लिए मुश्किल हो जाती, क्योंकि कॉस्ट ऑफ़ प्रोडक्शन पर इंटरेस्ट बढ़ता रहता है तो हमारी जैसी मीडियम साइज़ फ़िल्म के लिए बहुत मुश्किल हो जाती। बड़ी फ़िल्म होती तो शायद वो रुक सकती थी। पर हम तो नहीं रुक पाते।''
इन फ़िल्मों की शूटिंग अटकी
लॉकडाउन के चलते कई फ़िल्मों की शूटिंग बाधित हुई, जिससे इनकी रिलीज़ टालनी पड़ीं। इनमें ईद पर आने वाली सलमान ख़ान की राधे- योर मोस्ट वॉन्टेड भाई, दिवाली पर रिलीज़ के लिए निर्धारित अक्षय कुमार की पृथ्वीराज और क्रिसमस पर रिलीज़ के लिए निर्धारित आमिर ख़ान की लाल सिंह चड्ढा जैसी बड़ी फ़िल्में शामिल हैं। यह सभी फ़िल्में अब 2021 में रिलीज़ हो सकती है।
अजय देवगन की तान्हाजी 2020 की सबसे सफल फ़िल्म
सिनेमाघरों का लॉकडाउन होने से पहले 2020 में जनवरी से मध्य मार्च तक लगभग 13 प्रमुख फ़िल्में रिलीज़ हुई थीं। इनमें अजय देवगन की तान्हाजी- द अनसंग वॉरियर ने सबसे अच्छा प्रदर्शन किया था। फ़िल्म ने लगभग 280 करोड़ का नेट बॉक्स ऑफ़िस कलेक्शन किया था।
इसके अलावा दीपिका पादुकोण की छपाक, तापसी पन्नू की थप्पड़, कंगना रनोट की पंगा, वरुण धवन-श्रद्धा कपूर की स्ट्रीट डांसर 3डी, सैफ़ अली ख़ान की जवानी जानेमन, अनिल कपूर-आदित्य कपूर-दिशा पाटनी की मलंग, कार्तिक आर्यन-सारा अली ख़ान की लव आजकल, आयुष्मान खुराना की शुभ मंगल ज़्यादा सावधान और टाइगर श्रॉफ की बाग़ी 3 साल की पहली तिमाही में रिलीज़ हुई थीं। 13 मार्च को आयी इरफ़ान ख़ान की अंग्रेज़ी मीडियम सिनेमाघर बंद होने से पहले आख़िरी रिलीज़ फ़िल्म थी।
15 अक्टूबर से केंद्र सरकार ने 50 फीसदी क्षमता साथ सिनेमाघरों खोलने की सशर्त अनुमति दे दी, मगर सिनेमाघरों तक जाने के लिए दर्शकों में हिचक की वजह से बड़ी फ़िल्मों को रिलीज़ नहीं किया गया। कुछ मंझले बजट की फ़िल्में मसलन मनोज बाजपेयी, दिलजीत दोसांझ और फातिमा सना शेख की सूरज पे मंगल भारी, कियारा आडवाणी की इंदू की जवानी और रिचा चड्ढा- पंकज त्रिपाठी की शकीला सिनेमाघरों में आयीं। हालांकि, इनका प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा।