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50 साल बाद Padosan भारत की Top 100 फिल्मों में शामिल हुई, पढ़िये पूरी ख़बर

बांग्ला फिल्म पाशेर बाड़ी की इस हिंदी रीमेक को सायरा बानो की भी बेहतरीन एक्टिंग के लिये गिना जाता है।

By Manoj KhadilkarEdited By: Published: Sat, 06 Apr 2019 05:33 PM (IST)Updated: Mon, 08 Apr 2019 10:22 AM (IST)
50 साल बाद Padosan भारत की Top 100 फिल्मों में शामिल हुई, पढ़िये पूरी ख़बर
50 साल बाद Padosan भारत की Top 100 फिल्मों में शामिल हुई, पढ़िये पूरी ख़बर

मुंबई। सुनील दत्त, सायरा बानो, किशोर कुमार और महमूद स्टारर पड़ोसन को भारतीय सिनेमा की कुछ बेहतरीन फिल्मों में गिना जाता है और अब इस फिल्म को इंटरनेट मूवी डेटाबेस यानि IMDb ने टॉप 100 इंडियन फिल्मों की लिस्ट में शामिल कर लिया है।

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ज्योति स्वरुप के निर्देशन बनी और 29 नवम्बर 1968 को रिलीज़ हुई पड़ोसन को उसके गानों खासकर एक चतुर नार के कारण आज भी याद किया जाता है। बांग्ला फिल्म पाशेर बाड़ी की इस हिंदी रीमेक को सायरा बानो की भी बेहतरीन एक्टिंग के लिये गिना जाता है। सायरा बानो के मुताबिक ये फिल्म उन्हें उनके करियर के शुरुआत में मिली थी। और उस समय वो काफी बिंदास और मस्त मौला किस्म की लड़की थीं।

उन्होंने बताया कि किस तरह से उन्होंने दिग्गज सितारों के साथ उनके काम को देखा और सीखा। पड़ोसन भोला और बिंदु के रोमांस की भी कहानी है जहाँ सुनील दत्त, अपने पड़ोस में रहने वाली गोरी-चिट्टी लड़की को पटाने के लिए काफी जतन करते हैं l सायरा बानो की पड़ोसन की रिलीज़ के समय दिलीप कुमार से कुछ समय पहले ही शादी हुई थी और दिलीप साहब ने सायरा बानो के अभिनय की जमकर तारीफ़ की थी l

पड़ोसन में गाना था - एक चतुर नार करके सिंगार.। हास्य से भरपूर इस गीत में तीन लोगों की आवाजें हैं, मन्ना डे, किशोर कुमार और महमूद की। फिल्म में किशोर कुमार बने थे विद्यापति। फिल्म में एक सिचुएशन के तहत विद्यापति और महमूद यानी मास्टर पिल्लई यानी गुरुजी के बीच गायकी का मुकाबला होता है। सीन के मुताबिक गीत रिकॉर्ड होना था। लेकिन इस गाने के कुछ बोल मन्ना डे ने गाने से मना कर दिए क्योंकि वो इस तरह की गायिकी के खिलाफ थे l

इस गाने में ऐसे बोल आते हैं  -ये गड़बड़ जी., ये सुर बदला., ये हमको मटका बोला., ये सुर किधर है जी., अम छोड़ेगा नहीं जी., अम पकड़ के रखेगा जी., ओ या., ये फिर गड़बड़., फिर भटकाया., ये घोड़ा बोला., ये गाली दिया., अय्यो घोड़े तेरी., क्या रे ये घोड़ा-चतुर, घोड़ा-चतुर बोला, एक पे रह ना, या घोड़ा बोलो या चतुर बोलो., ये अटक गया. आदि को महमूद ने अपनी आवाज में डब किया। इस तरह यह गीत, जो सदाबहार बना, पूरा हुआ लेकिन मन्ना डे ने उन शब्दों को नहीं गाया। वे गायकी को पूजा मानते थे।

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