Sidharth Shukla ने लव को लेकर किया खुलासा, कहा - हर कोई प्यार में जुनूनी नहीं होता है...
मुझे लगता है कि जिन चीजों को हम बहुत महत्वपूर्ण समझ रहे थे वह उतने महत्वपूर्ण नहीं थे। बंगला गाड़ी ऐशो-आराम की भी एक सीमा होती है। इन चीजों पर ध्यान अब कम होगा। मैंने अपने परिवार को हमेशा वक्त दिया है उसके लिए किसी लॉकडाउन का इंतजार नहीं था।
प्रियंका सिंह, जेएनएन। 'बिग बॉस 13' के विजेता रहे सिद्धार्थ शुक्ला अब ऑल्ट बालाजी के शो ब्रोकेन बट ब्यूटीफुल सीजन 3 से डिजिटल डेब्यू करने जा रहे हैं। 'हंप्टी शर्मा की दुल्हनियां' फिल्म और 'बालिका वधू', 'दिल से दिल तक' जैसे कई धारावाहिक कर चुके सिद्धार्थ हाल ही में 'बिग बॉस 14' में बतौर सीनियर नजर आए थे। उनसे हुई बातचीत के अंश...
-डिजिटल डेब्यू करके कैसा लग रहा है? क्या अब टेलीविजनसे दूरी बन जाएगी?
मैं तो काम करने आया हूं, जहां अच्छा काम मिलेगा, वहां करूंगा। मैं एक्टर हूं, अच्छा या बुरा हूं, यह दर्शक तय करते हैं। जो काम मिलता है, उसे मेहनत से करने में यकीन रखता हूं। मैं मॉडल रहा हूं, विज्ञापनों की वजह से भी मैं जाना जाता था। लेकिन टीवी ने मुझे बड़ी पहचान दी है, इसलिए वहां से कभी दूरी नहीं आएगी। इस माध्यम की इज्जत करता हूं।
- बिग बॉस 14 में आपको बतौर सीनियर आए थे। कैसा लगता है, जब आपको एंटरटेनर के तौर पर देखा जाता है?
एंटरटेनर शब्द बहुत मायने रखता है। यही मेरा काम है। इसी काम के लिए मुझे चुना गया था। अपनी लगन से जब हम लोगों का मनोरंजन कर पाते हैं और उसकी सराहना होती है, दिल से खुशी होती है। दर्शक मुझसे मनोरंजन की उम्मीद करते हैं। किसी की उम्मीदों पर खरा उतरना भला किसको अच्छा नहीं लगेगा।
- ब्रोकन बट ब्यूटीफुल का यह तीसरा सीजन है। आपने पहले के दो सीजन देखे हैं?
ईमानदारी से कहूंगा कि नहीं देखे हैं। मुझे पता था कि यह बड़ी फ्रेंचाइजी है। एकता कपूर के साथ मैं पहली बार काम कर रहा हूं। मुझे प्रोडक्शन हाउस की तरफ से इसके लिए कॉल आया था। स्क्रिप्ट्स सुनते वक्त अगर मैं उससे जुड़ पाता हूं, तो रजामंदी दे देता हूं। वैसे भी इस साल काम मिल रहा है वही बड़ी बात है। महामारी की वजह से नई शूटिंग कम ही हो रही है। पुराना बंद हुआ काम ही फिलहाल सब पूरा कर रहे हैं।
- आप ज्यादातर शांत और गंभीर किरदार करते आए हैं। ऐसे में प्यार में इंटेंस होने वाले इस किरदार के लिए हां कैसे कही?
मैंने जब कहानी सुनी, तो उससे जुड़ पाया। शो के किरदार की तरह मैंने भी अपनी जिंदगी में उतार-चढ़ाव देखे हैं। वह परिस्थितियां बिल्कुल वैसी नहीं थीं, लेकिन काफी हद तक उसके करीब थीं।
- शो में जुनूनी प्यार की बात हो रही है। क्या प्यार में जुनूनी होना, उसका हिस्सा होता है?
जुनून प्यार का हिस्सा नहीं है। यह उस इंसान के चरित्र का हिस्सा होता है। प्यार में कोई स्वार्थ नहीं होता है। कई लोग प्यार में ऑब्सेस्ड या जुनूनी हो जाते हैं, लेकिन वह उनके चरित्र से जुड़ा होता है। हर कोई प्यार में जुनूनी नहीं होता है।
- आप किस तरह के प्रेमी हैं? क्या आप प्यार में कभी जुनूनी हो सकते हैं?
जीवन में कई अवस्थाएं और उतार-चढ़ाव आते हैं। संपूर्ण इंसान वही है,जो इन सभी भावनाओं से गुजरता है। मैं भी संपूर्ण इंसान हूं।
- क्या आप फिलहाल प्यार की तलाश में हैं?
(हंसते हुए) हां, मैं तलाश में हूं, लेकिन वह तलाश अच्छे काम की है। प्यार की तलाश नहीं है।
- आपने जीवन के मुश्किलों की बात की। ऐसे मुश्किल वक्त का सामना करने का आपका तरीका क्या रहा है?
मैं अपने आपको लेकर हमेशा से बहुत आश्वस्त रहा हूं। आशावादी हूं कि आज का दिन भले ही अच्छा न हो, लेकिन आने वाला दिन आज से बेहतर होगा। अगर कोई दिक्कतें आ रही हैं, तो उसके पीछे भी कोई कारण होगा। मैं कर्म में यकीन करता हूं। परेशानियों का सामना करना चाहिए, उसमें से जरूर कुछ अच्छा निकलेगा। बुरे दिन बीत जाने पर अच्छे दिन आते हैं। मेरा मानना है कि बुरे दिन बेस्ट टीचर्स होते हैं। जो काफी कुछ सिखा जाते हैं।
- यह साल क्या कुछ सिखाकर जाएगा?
यह साल हम सबके लिए बुरा रहा है। कई लोगों के काम छूट गए हैं, किसी ने अपनों को खोया है। मेरे लिए साल बुरा नहीं था, क्योंकि मैंने बिग बॉस 13 जीता था, बीच में भी काम मिलते रहे। ऐसा नहीं सोच रहा हूं कि बहुत सारा काम कर सकता था, लेकिन इतना ही काम कर पाया। लालच की कोई सीमा नहीं है। अपनी तरफ से लोगों की मदद करने की कोशिश की, लेकिन हर किसी के लिए कर पाना संभव नहीं था। उस बात का भी बुरा लग रहा था। अजीब सा मिला-जुला साल बीता है।
- साल 2021 में किन बातों को दोहराना नहीं चाहेंगे?
मुझे लगता है कि जिन चीजों को हम बहुत महत्वपूर्ण समझ रहे थे, वह उतने महत्वपूर्ण नहीं थे। बंगला, गाड़ी ऐशो-आराम की भी एक सीमा होती है। इन चीजों पर ध्यान अब कम होगा। मैंने अपने परिवार को हमेशा वक्त दिया है, उसके लिए किसी लॉकडाउन का इंतजार नहीं था। लेकिन कई लोग ऐसे रहे हैं, जिन्होंने परिवार को वक्त नहीं दिया था। अजीब बात है कि इस दौर ने उन्हें यह सिखा दिया कि परिवार में किसकी क्या पसंद नापसंद है। यह तो वैसे भी पता होना चाहिए था। उसके लिए किसी महामारी की जरुरत क्यों होनी चाहिए थी।हम जीवन से पहले दूर थे, लेकिन जब जीवन पर खतरा आया, तो उसे समझने की कोशिश करने लगे। अब जीवन को अहमियत देने की जरुरत है।