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Saif Ali Khan: निगेटिविटी से बचने के लिए सोशल मीडिया पर नहीं आना चाहता

कुछ बदलाव हम ला सकते हैं या नहीं। मैं कोई रिजोल्‍यूशन नहीं लेता पर यह जरूर सोचता हूं कि अपने काम में कहां पर सुधार लाए हेल्‍थ और वर्कआउट के बारे में संतुलन बना रहे। यही सब छोटी छोटी चीजें।

By Vaishali ChandraEdited By: Published: Mon, 17 Jan 2022 02:37 PM (IST)Updated: Mon, 17 Jan 2022 02:37 PM (IST)
Saif Ali Khan: निगेटिविटी से बचने के लिए सोशल मीडिया पर नहीं आना चाहता
Kareena Kapoor Khan Social Media account, Instagram

स्मिता श्रीवास्तव, मुंबई। करीब तीन दशक से हिंदी सिनेमा में सक्रिय अभिनेता सैफ अली खान लगातार वैरायटी किरदार निभा रहे हैं। उनकी हॉरर कॉमेडी फिल्‍म भूत पुलिस का 23 जनवरी को स्‍टार गोल्‍ड पर रात आठ बजे प्रीमियर होगा। वहीं उनकी फिल्‍म विक्रम वेधा और आदि पुरुष रिलीज होने की कतार में हैं। नई साल से उम्‍मीद, अपनी फिल्‍मों और सोशल मीडिया से दूरी जैसे पहलुओं पर उन्‍होंने बात की।

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नए साल की शुरुआत कैसी रही? कोरोना काल को देखते हुए आप भविष्‍य को लेकर कितने आशावान है?

नया साल एक अच्‍छा समय होता है ये सोचने का कि जिंदगी कहां जा रही है? कुछ बदलाव हम ला सकते हैं या नहीं। मैं कोई रिजोल्‍यूशन नहीं लेता पर यह जरूर सोचता हूं कि अपने काम में कहां पर सुधार लाए, हेल्‍थ और वर्कआउट के बारे में, संतुलन बना रहे। यही सब छोटी छोटी चीजें। बाकी इतिहास हमें बताता है कि ऐसी समस्याएं आती हैं और जाती हैं। मुझे पूरी उम्‍मीद है कि एक दो साल बाद हम बोलेंगे कि कोरोना का टाइम था। यह जिंदगी भर नहीं चलेगा। इस समय जरूरी है अपनी सेहत और परिवार का ख्‍याल रखें।

आपकी फिल्‍म भूत पुलिस टीवी पर आ रही है। बचपन में टीवी से कैसा लगाव रहा है?

मेरे बचपन में टीवी का मतलब दूरदर्शन था। तब ब्‍लै‍क एंड व्‍हाइट टीवी हुआ करता था। तब उस समय दो प्रोग्राम आते थे। कभी-कभी हिंदी मूवी आती थी जिसे मेरी छोटी बहन सबा देखती थी और चित्रहार आता था। एक कार्यक्रम आई लव लूसी आता था। यह दो-तीन प्रोग्राम आते थे। दिल्‍ली में हमारे धोबी होते थे हसन भाई। उन्‍होंने हमारे पिताजी से पहले कलर टीवी खरीदा था। पर टीवी का इतना माहौल नहीं था। हम लोग किताबें पढ़ा करते थे और कहानियां सुनते थे। अब टीवी घर-घर पहुंच गया है। भूत पुलिस पारिवारिक फिल्‍म है। इसे बच्‍चे भी परिवार के साथ देख सकते हैं। वरना ज्यादातर हॉरर कॉमेडी फैमिली लायक नहीं होती।

भूत पुलिस में आपका उच्‍चारण थोड़ा अलग है...

अगर भारत को देखा जाए तो हर गली हर शहर में थोड़ी दूरी पर आपको अलग बोली और अलग भाषा सुनने को मिलेगी। हिंदी जो हमें स्‍कूल में पढ़ाई जाती है वैसा उच्‍चारण देखा जाए तो सब जगह समान नहीं होता है। हर किसी का अपना लहजा होता है। साफ हिंदी हम फिल्‍मों में बोलते हैं ताकि लोगों को समझ में आए। आप रीजनल डायलेक्‍ट लगाएंगे जैसा मेरी फिल्‍म ओंकारा में था, तो मेरे पिताजी (मंसूर अली खान) बहुत कम फिल्‍में देखते थे लेकिन उन्‍होंने ओंकारा देखी थी। उसे देखने के बाद उन्‍होंने कहा था कि आपने काम अच्‍छा किया है लेकिन आपकी भाषा मुझे समझ नहीं आई। कई लोगों को वो भाषा समझ में नहीं आई। तो हम ऐसी भाषा का प्रयोग करते हैं जो हमारे हिंदी दर्शकों को समझ आए, लेकिन अब रियलिज्म के लिए लेखक थोड़े-थोड़े आंचलिक शब्‍दों का प्रयोग करने लगे हैं।

आप तमिल की सुपरहिट फिल्‍म विक्रम वेधा की रीमेक में आर माधवन द्वारा निभाया किरदार निभा रहे हैं। रीमेक में काम करने का क्‍या चलैंज रहा ?

जब मैंने पहली बार मूल फिल्‍म देखी थी तो लगा था कि इसमें मैं क्‍या करुंगा? आर माधवन ने इतना अच्‍छा काम किया है। वो इतने हैंडसम भी है तो मैं यह भी नहीं कह सकता हूं कि उनसे ज्‍यादा हैंडसम दिखू। वो एक्‍टर भी बहुत अच्‍छे हैं, लेकिन जब मैंने एक दो सीन शूट किए, खुद को उस किरदार में ढाला तो मुझे लगा कि साउथ इंडिया और नार्थ इंडिया सांस्कृतिक रूप से काफी अलग है। सिर्फ भाषा नहीं उनका स्‍टाइल भी काफी अलग है। मूल कहानी वही रहेगी, लेकिन परफार्मेंस अलग दिखेगी। एक ही बात को दो लोगों के कहने का तरीका हमेशा अलग होता है। वह इसमें भी दिखेगा।

अब पैन इंडिया फिल्‍में बन रही है। ऐसे में बॉलीवुड के पैटर्न में बदलाव की बात की जा रही है। आपका क्‍या मानना है ?

ऐसी कोई इमरजेंसी नहीं हो रही कि हमें बदलना पड़ेगा वरना खत्‍म हो जाएंगे। बॉलीवुड का बिजनेस लगातार बढ़ रहा है लेकिन अगर आपको किसी विभाग में सुधार की जरूरत हो तो यह बातचीत से आता है। मैं इंटरनेशनल कंटेंट देखता हूं। उस पर काफी अलग कंटेंट आ रहा है। हमारे फिल्‍ममेकर यह सब देखते हैं। हम जितना अलग-अलग कल्‍चर से रूबरू होंगे वहां के लोगों से बातें करेंगे तो कुछ नया और अच्‍छा ही निकलेगा। हमारे यहां की बात करुं तो दक्षिण भारत और उत्‍तर भारत सांस्‍कृतिक रूप से अलग है तभी तो दो इंडस्‍ट्री हैं वरना एक ही इंडस्‍ट्री होती। ऑडियंस ने हमेशा बताया है कि किस दिशा में फिल्‍में जानी चाहिए। एक टाइम था साउथ का एक्‍शन चलता था। फिर वो ट्रेंड बदल गया कुछ और आया। यह सब विचार-विमर्श से आता है, लेकिन यह कहना सही नहीं होगा कि इंडियन फिल्‍म इंडस्‍ट्री को बदलना पड़ेगा। बदलना नहीं होगा इवाल्‍व (विकास) करना होगा। मेरे हिसाब से हम सही दिशा में जा रहे हैं।

क्‍या आप निगेटिविटी की वजह से सोशल मीडिया से दूर हैं ?

दिन में 24 घंटे होते हैं। उसे कैसे बिताना है यह आप पर निर्भर करता है। मैं अगर सोशल मीडिया पर होता तो कुछ ज्‍यादा ही वक्‍त वहां पर बिताता। अभी मुझे अपने बच्‍चों के साथ वक्‍त बिताना होता है। किताब पढ़नी होती है। या कुछ और करना है तो उसमें वक्‍त देना होता है। मैंने ऐसा कोई फैसला नहीं लिया है कि सोशल मीडिया पर कभी नहीं आऊंगा,1 लेकिन हां इतने अजनबियों के बीच अपनी राय देना और वो आपको अनाप शनाप कहें आपको बुरा लगे तो इन सब से मैं निश्चित रूप से बचना चाहता हूं। सच कहा जाए तो निगेटिविटी से बचने के लिए भी मैं सोशल मीडिया पर नहीं आना चाहता हूं।

आपकी बहन सोहा अली खान ने कहा है कि आपकी मां गुस्‍से में बांग्ला में बोलती हैं। जब आप दोनों में मतभेद होते हैं तो वह मध्यस्थ बनती हैं...

हां। यह बात सही है। सोहा बहुत शांत और समझदार हैं। कई बार मुझे और मेरी मां को लगता है कि हम एकदूसरे को नहीं समझ पा रहे हैं तो हम सोहा की मदद लेते हैं। पर ऐसा हमेशा नहीं होता। जहां तक मां के बांग्‍ला की बात है मैंने उनको कई बार हिसाब करते हुए देखा है। जब वो गिनती हैं तो दस से ज्‍यादा हिंदी में नहीं गिन सकती हैं। उसके बाद बांग्‍ला में गिनती शुरु हो जाती है। 


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