'अकेले संघर्ष करना जरूरी है', अपने संघर्ष के दिनों को याद करते हुए बोले अमन यतन वर्मा
अभिनेता अमन यतन वर्मा लंबे समय से टीवी इंडस्ट्री में सक्रिय हैं। वह टीवी शोज के अलावा बॉलीवुड की फिल्मों का भी हिस्सा रहे हैं। अमन यतन वर्मा ने अपने करियर पर कई उतार-चढ़ाव भी देखे हैं जिसको लेकर अब उन्होंने बड़ी बात कही है।
प्रियंका सिंह। अभिनेता अमन यतन वर्मा ने 29 वर्ष के करियर में टेलीविजन के साथ-साथ फिल्में भी कीं। अब वे डिजिटल प्लेटफार्म पर काम कर रहे हैं। हाल ही में एमएक्स प्लेयर के शो ‘रूहानियत’ में नजर आए अमन वर्मा से प्रियंका सिंह की बातचीत के अंश...
आप कई वर्ष से इंडस्ट्री में हैं। अपनी जगह बनाए रखने के लिए कितनी मशक्कत की है?
शायद मेरी जिद थी कि मुझे सर्वाइव करना है। जब आप शहर में अकेले होते हैं और आपको पता होता है कि परिस्थितियां आपके विपरीत हैं तो यहां बने रहने की चाहत आपसे कई चीजें करा देती है। दूसरी बात, आप जब किसी पात्र को निभाने जाते हैं तो उसे कितनी ईमानदारी के साथ निभाते हैं। तीसरी चीज, आप खुद कितने प्रोफेशनल हैं, जैसे- सेट पर समय से आना, निर्माता-निर्देशकों और चैनल के प्रति जिम्मेदारी समझना, सह-कलाकारों के साथ आपके संबंध इत्यादि बातें महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
तो क्या सफलता का कोई मंत्र है?
कई बातें हैं, जो आपको सफल बनाती हैं। मेरा मानना है कि मुंबई शहर में आपका शुरुआती चार-पांच साल का जो संघर्ष होता है, उसका सामना अकेले करना बहुत जरूरी है। उस वक्त आप अकेलेपन से, खुद से और दुनिया से लड़ रहे होते हैं। ऐसे में किस तरह से आप सर्वाइव करके अपने दम पर खड़े रहते हैं, वह तय करता है कि आप इस शहर और इंडस्ट्री में रहेंगे या वापस चले जाएंगे। वह चार-पांच साल अगर आपने इस शहर में गुजार लिए तो आपको यहां से कोई हिला नहीं सकता है।
आपने अतीत में जो स्टारडम देखा है और अब जो स्टारडम देख रहे हैं, उनमें कितना फर्क महसूस कर रहे हैं?
अब तो स्टारडम की परिभाषा ही बदल गई है। अब तो इतने डिजिटल प्लेटफाम्र्स और चैनल्स हैं। मैं जब आया था तो कई चैनल्स शुरू हुए थे। मुझसे जो आठ-दस साल पहले आए थे, उनके पास चैनल्स नहीं थे, वे फिल्मों और रंगमंच के लिए काम करते थे। तब वे मुझसे कहते थे कि तुम कितने लकी हो, अब तो सब कितना आसान हो गया है। आज मैं लोगों से कहता हूं कि उनके लिए कितना आसान हो गया है। आज तो इतने चैनल हैं, यूट्यूब और इंटरनेट मीडिया है, आप अलग-अलग माध्यमों पर स्टार बन सकते हैं। कई बार लगता है कि परफार्मेंस की क्वालिटी कहीं खो गई है। हालांकि मैं यह भी मानता हूं कि इंटरनेट मीडिया पर अपना नाम बनाना भी आसान नहीं है। ये इनफ्लूएंसर्स हैं, जो लोगों को प्रभावित कर रहे हैं, लेकिन जब एक्टिंग की बात आ जाती है तो वह अलग चीज है। सभी डिजिटल प्लेटफाम्र्स और चैनल्स को इस बात का एहसास होना चाहिए कि भले ही किसी कलाकार के फालोवर्स इंटरनेट मीडिया पर कम हों, लेकिन इसका मतलब यह बिल्कुल नहीं है कि वह अच्छा परफार्मर नहीं है।
‘रूहानियत’ शो में क्या खास लगा?
मुझे यह शो वास्तविकता के करीब लगा। मेरे किरदार में कई परतें हैं। मेरा किरदार 40 की उम्र पार कर चुका है। वह मिडलाइफ क्राइसेस से गुजर रहा है। दिक्कत तब आती है, जब उसका एक ऐसी लड़की से अफेयर हो जाता है जो उम्र में उससे छोटी है। ऐसा कई शादियों में होता है। एक समय के बाद जब बच्चे बड़े हो जाते हैं तो पति-पत्नी एक-दूसरे से दूर हो जाते हैं। रिश्ते कैसे बदलते हैं, सबके बीच होते हुए भी इंसान बाहर सुकून खोजता है। कई बार वह सुकून मिलता है, कई बार नहीं।
क्या आप भी मिडलाइफ क्राइसेस से गुजरे हैं?
दरअसल मेरे कई दोस्त हैं, जिन्हें मैंने मिडलाइफ क्राइसेस से गुजरते देखा है। मैं अपनी बात करूं तो मैं हमेशा से खुद को लेकर स्पष्ट रहा हूं कि मुझे कैसे जीना है, किस दिशा में बढ़ना है। मुझे नहीं लगता कि मेरी जिंदगी में ऐसी कोई चीज आने वाली है। मैं फोकस्ड हूं।
अब जो काम कर रहे हैं, उसमें एक बड़ा बदलाव, जिसे महसूस करते हों?
पहले हम निर्माताओं के आफिस में बैठते थे, किरदार को लेकर निजी स्तर पर बातें होती थीं। अब वे बातें नहीं होती हैं। चैनल के लोग सब तय कर लेते हैं कि इस कलाकार के साथ यह काम करेंगे और फिर उसी हिसाब से चीजें तय करते हैं। हालांकि डिजिटल प्लेटफार्म की वजह से किरदारों की अहमियत बढ़ी है। यह जीवन का सर्कल है। जिसने एक बार सफलता देख ली होती है, उसे नई चीजों को अपनाने में वक्त लगता है। सफलता का जो रास्ता बन जाता है, लोग उसी को फालो करना चाहते हैं।