'ओए लकी लकी ओए' में दिल्ली की भाषा इस्तेमाल करनी थी: मनु ऋषि चड्ढा
दुर्भाग्य से फिल्म रिलीज होने के ठीक पहले मुंबई पर 26/11 का आतंकी हमला हो गया जिसके बाद फिल्म के शुरुआती तीन दिन अच्छे नहीं गए। इसके बाद फिल्म ने जोर पकड़ा। फिल्म के लिए मुझे बेस्ट डायलॉग राइटर के तौर आईफा और फिल्मफेयर अवार्ड मिले।
दीपेश पांडेय, जेएनएन। अभय देओल अभिनीत फिल्म ‘ओए लकी लकी ओए’ मुंबई हमले के बाद रिलीज हुई थी। इस फिल्म में बंगाली का किरदार निभाने वाले मनु ऋषि चड्ढा साझा कर रहे हैं फिल्म से जुड़ी यादें..
फिल्म ‘ओए लकी लकी ओए’ मेरे दिल के बेहद करीब है। यह मेरे लिए एक कॉमेडी फिल्म से कहीं ज्यादा है। इस फिल्म में मुझसे पहले पवन मल्होत्र बंगाली का किरदार निभा रहे थे। उन्होंने ही इस फिल्म के निर्देशक दिबाकर बनर्जी को डायलॉग राइटर के तौर मेरा नाम सुझाया था। पहली मुलाकात में दिबाकर ने मुझसे कहा कि दिल्ली में लोग ओए दिबाकर, ओए मनु संबोधित करके बुलाते हैं। इस फिल्म के डायलॉग में मुङो दिल्ली की वही बातचीत और भाषा इस्तेमाल करनी है। उन्होंने मुङो फिल्म की स्क्रिप्ट और लकी तथा उसके पिता के रिश्तों के बारे में समझाकर अपनी कल्पना के आधार पर इस सीन के डायलॉग लिखने के लिए कहा। मेरे पहले डायलॉग को देखकर उन्हें भरोसा हो गया कि मैं उनकी कहानी और दिल्ली को अच्छी तरह से समझता हूं।
हमारे जीवन के अनुभव और अलग-अलग घटनाएं ही डायलॉग और कहानियां बनकर सामने आती हैं। हमारे दौर में पुरानी दिल्ली के लड़कों को कार चलाने का बहुत शौक होता था। चांदनी चौक के पास एक बहुत बड़ी पाìकग होती थी। मैं अपने दोस्तों के साथ मिलकर पाìकग में काम करने वाले लड़के को बहकाकर दूर ले जाता। फिर मेरे दोस्त स्टील की स्केल की मदद से कार के दरवाजे खोलकर उसे लेकर बाहर घूमने जाते थे। इसी तरह से रेफ्रिजरेटर की चाबी से स्कूटर स्टार्ट करना, गाड़ियों की स्टेपनी निकालकर केक के डिब्बों में बेचना जैसे मेरे कई अनुभव रहे हैं। जिन्हें मैंने और दिबाकर ने इस फिल्म में अलग-अलग ढंग से दिखाया है।
मैं सेट पर डायलॉग कोच का भी काम करता था। पहले मैं सारे डायलॉग अपनी आवाज में रिकॉर्ड करता। फिर सेट पर परेश रावल और अभय देओल उसी शैली में बोलने का प्रयास करते थे। मेरे इस फिल्म से जुड़ने से पहले अभय देओल और परेश रावल की कास्टिंग हो चुकी थी। रिचा चड्ढा का ऑडिशन मेरे सामने हुआ था। इसी समय पवन मल्होत्र की फिल्म ‘दिल्ली 6’ की शूटिंग शुरू होने वाली थी। उन्हें इसमें और ‘दिल्ली 6’ में किसी एक फिल्म का चुनाव करना था। उनके जाने के बाद फिल्म के कलाकारों और निर्देशक ने बंगाली के किरदार के लिए मेरा नाम आगे बढ़ाया। प्रोड्यूसर रॉनी स्क्रूवाला इस किरदार में राजपाल यादव और विजय राज जैसे किसी जाने-माने एक्टर को लेना चाहते थे और दिबाकर मुङो लेना चाहते थे। एक दिन मैं खुद रॉनी के पास गया और उन्हें भरोसा दिलाया कि बंगाली का किरदार मुझसे अच्छा और कोई नहीं निभा सकता।
इस तरह शूटिंग शुरू होने से महज दो दिन पहले मुझे यह किरदार मिला। दुर्भाग्य से फिल्म रिलीज होने के ठीक पहले मुंबई पर 26/11 का आतंकी हमला हो गया, जिसके बाद फिल्म के शुरुआती तीन दिन अच्छे नहीं गए। इसके बाद फिल्म ने जोर पकड़ा। फिल्म के लिए मुझे बेस्ट डायलॉग राइटर के तौर आईफा और फिल्मफेयर अवार्ड मिले। मुझे किसी भी पुरस्कार की उम्मीद नहीं थी, बस यह जानता था कि फिल्म अच्छी बनी है।