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मधुर का ‘तैमूर’ निकला ‘ग़ालिब’, रेत के इस खेल पर बनायेंगे फिल्म

बताते हैं कि इस फिल्म की लगभग पूरी शूटिंग उत्तर प्रदेश के अलग अलग हिस्सों में की जायेगी। फिल्म इस साल गर्मियों में फ्लोर पर जायेगी।

By Manoj KhadilkarEdited By: Published: Thu, 10 Jan 2019 01:06 PM (IST)Updated: Sat, 12 Jan 2019 10:44 AM (IST)
मधुर का ‘तैमूर’ निकला ‘ग़ालिब’, रेत के इस खेल पर बनायेंगे फिल्म
मधुर का ‘तैमूर’ निकला ‘ग़ालिब’, रेत के इस खेल पर बनायेंगे फिल्म

मुंबई। हाल ही में एक ख़बर आई थी कि तीन बार के नेशनल फिल्म अवॉर्ड विनर मधुर भंडारकर ने तैमूर नाम से एक टाइटल रजिस्टर करवाया है। उन्होंने सिर्फ़ इसी नाम को दर्ज़ करवाया तो कयास लगाए जाने लगे कि मधुर अबकी तैमूर पर फिल्म बनाएंगे।पर ये तैमूर अली खान पर फिल्म होगी या 14वीं शताब्दी के मुग़ल शासक तैमूर लंग की कहानी होगी जिसने समरकंद का शासक बनने के साथ भारत पर बड़ी क्रूरता से आक्रमण किया था, उसको लेकर उधेड़बुन जारी थी।

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अब मधुर ने ही सारा मामला साफ़ कर दिया है। उनकी अगली फिल्म का नाम होगा इन्स्पेक्टर ग़ालिब। ये एक रेत माफिया की कहानी होगी। फिल्म की कहानी को एक सच्ची घटना से लिया गया है। जानकारी के मुताबिक अभी तक कास्ट लॉक तो नहीं की गई है लेकिन इस बार किसी बड़ी हीरोइन नहीं बल्कि ए लिस्ट के मेल एक्टर को चांस मिलने वाला है। मधुर की पिछली फिल्म इंदु सरकार काफ़ी विवादों में रही थी क्योंकि फिल्म आपातकाल से जुड़ी एक घटना पर बेस्ड थी और उसमें इंदिरा गांधी के बेटे संजय गांधी को जिस तरह से पेश किया गया था उस पर ख़ूब हो हल्ला हुआ था। मधुर की इंस्पेक्टर ग़ालिब उत्तर प्रदेश के बालू (रेत) माफ़िया की कहानी है। वो पिछले छह सात महीनों से उत्तर प्रदेश में जा कर रेत माफियाओं पर रिसर्च कर रहे थे। बताते हैं कि इस फिल्म की लगभग पूरी शूटिंग उत्तर प्रदेश के अलग अलग हिस्सों में की जायेगी। फिल्म इस साल गर्मियों में फ्लोर पर जायेगी।

हाल ही में देहरादून लिटरेचर फेस्टिवल में फिल्म निर्देशक मधुर भंडारकर ने 'रियलिटी बिहाइंड हिंदी सिनेमा' विषय पर हुए टॉक सेशन में कहा था कि  फिल्म इंडस्ट्री पर व्यवसायीकरण हावी होने लगा है। दर्शकों को लुभाने के लिए निर्माता फिल्म की स्क्रिप्ट के जरिये किसी भी हद तक जाने को तैयार हैं। लेकिन, यह भी सच्चाई है कि जब भी कोई ईमानदार फिल्म निर्माता फिल्म के माध्यम से समाज की कुरीतियों व अन्य पहलुओं को उठाने की कोशिश करता है तो उसका विरोध होने लगता है। सबसे बड़ा दुर्भाग्य यह है कि फिल्म इंडस्ट्री के लोग एक-दूसरे के समर्थन में खड़े होने से बचते हैं। हर कोई अपने स्वार्थ तक सीमित रहना चाहता है। मैं एक ऐसा व्यक्ति हूं, जो हर एक अच्छी फिल्म के समर्थन में खड़ा रहता है। 

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