लाइट्स कैमरा एक्शन: शाहिद कपूर की कमाई से क्यों नहीं है पापा पंकज का वास्ता
पंकज कपूर ने कहा कि अगर मैं इस फिल्म में काम करने से चूक जाता तो जीवन भर इसका अफ़सोस होता।
मुंबई। भारतीय सिनेमा में अभिनय को बुलंदियों पर ले जाने वाले कलाकारों में पंकज कपूर की अपनी एक अलग जगह है। वो फिल्में भी अपने मन-मिज़ाज की चुनते हैं और ऐसे रंग भर देते हैं कि देखने वाले बिना वाह कहे नहीं रहते। जागरण डॉट कॉम के शो 'लाइट्स कैमरा एक्शन' में पंकज कपूर ने एंटरटेनमेंट एडिटर पराग छापेकर से अपनी फिल्म टोबा टेक सिंह को लेकर विस्तार से बातें की और साथ ही शाहिद कपूर से जुड़े सवाल का भी जवाब दिया।
उर्दू के जाने माने और विवादित लेखक सआदत हसन मंटो इन दिनों चर्चा में हैं। नंदिता दास ने नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी को लेकर मंटो पर बायोपिक बनाई है तो मंटो की एक और कहानी टोबा टेक सिंह भी आई है जिसमें पंकज कपूर ने काम किया है। पंकज कपूर के मुताबिक निर्देशक केतन मेहता ने फिल्म की लम्बाई को ध्यान में रखते हुए इसमें मंटो की ही एक और कहानी शामिल की है लेकिन असली कहानी टोबा की है। टोबा टेक सिंह सिर्फ भारत और पाकिस्तान के जमीनी बंटवारे की कहानी नहीं है बल्कि ये इंसानियत के पार्टीशन की कहानी है। तीन पन्ने की इस कहानी में दिखाया गया है कि पागलपन का डिविजन हुआ है। ये बंटवारा करने वाले लोग पागल थे या पागलखाने के अंदर बंद लोगों के भीतर का अलग अलग होना था।
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पंकज कपूर के मुताबिक मंटो की अहमियत पहले थी। वो तब भी बड़े लेखक थे और आज भी हैं। आज माध्यम बहुत सारे हैं। फिल्म के जरिये हम अपनी बात बड़े ही अच्छे तरीके से कह सकते हैं। लोगों अगर जुबां न भी जाने तो मंटो को समझ सकते हैं। मंटो की कहानियां अब ऑडियो बुक्स, टीवी और किताबों के माध्यम से पहुंचनी चाहिए। पंकज कपूर ने कहा कि अगर मैं इस फिल्म में काम करने से चूक जाता तो जीवन भर इसका अफ़सोस होता। इस बातचीत के दौरान पंकज कपूर के एक फैन ने जब ये सवाल किया कि जब से उनका बेटा शाहिद कपूर अच्छा कमाने लगा है उन्होंने फिल्में कम क्यों कर दी है, इस पर पंकज कपूर ने कहा कि शाहिद के कमाने से उनके करियर का कोई लेना देना नहीं है। वो पहले भी कम काम करते रहे हैं। बेटे शाहिद का अपना करियर है और उनका अपना काम है लेकिन वो 24 घंटे काम में बिज़ी नहीं रह सकते।
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