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बेटे की मौत से टूट गये थे जगजीत सिंह, ग़ज़ल गायकी को दिया ऊंचा मुकाम

आज भले जगजीत हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनकी जादुई आवाज़ आने वाली तमाम पीढ़ियों को अपना बनाकर रखने का माद्दा रखती हैं।

By Hirendra JEdited By: Published: Thu, 08 Feb 2018 03:08 AM (IST)Updated: Fri, 09 Feb 2018 07:17 AM (IST)
बेटे की मौत से टूट गये थे जगजीत सिंह, ग़ज़ल गायकी को दिया ऊंचा मुकाम
बेटे की मौत से टूट गये थे जगजीत सिंह, ग़ज़ल गायकी को दिया ऊंचा मुकाम

मुंबई। ग़ज़ल सम्राट जगजीत सिंह आज हमारे बीच होते तो अपना 77 वां बर्थडे मना रहे होते। न जाने कितनी ही पीढ़िया हैं जो जगजीत सिंह के गाये ग़ज़लों में सुकून पाती हैं। 'चाहे छीन लो मुझसे मेरी जवानी, मगर मुझको लौटा दो वो बचपन का सावन, वो कागज की कश्ती, वो बारिश का पानी', 'चिट्ठी न कोई संदेश, जाने वो कौन सा देश, जहां तुम चले गये'। जीवन के हर पड़ाव और सवालात जैसे जगजीत सिंह की ग़ज़लों में रचे बसे हैं। उनकी मखमली आवाज़ रूह तक  उतर जाती है।

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ऐसे रूहानी आवाज़ के मालिक जगजीत सिंह का जन्म 8 फरवरी, 1941 को राजस्थान के श्रीगंगानगर में हुआ था। उनका परिवार मूल रूप से पंजाब के रोपड़ जिले से था। जगजीत की शुरुआती शिक्षा गंगानगर में हुई और बाद में उन्होंने जालंधर में पढ़ाई की। पिता सरदार अमर सिंह धमानी एक सरकारी कर्मचारी थे। जगजीत सिंह को संगीत उनके पिता से ही विरासत में मिला। वह 1965 में मुंबई आ गए थे। 1967 में उनकी मुलाकात ग़ज़ल गायिका चित्रा से हुई। इसके दो साल बाद 1969 में दोनों विवाह बंधन में बंध गए।

जगजीत-चित्रा ने साथ में कई ग़ज़लें गाईं। दोनों संगीत कार्यक्रमों में अपनी जुगलबंदी से समां बांध देते। इस जोड़ी का एक बेटा विवेक था, जिसकी वर्ष 1990 में एक कार हादसे में मौत हो गई। उस समय उसकी उम्र 18 साल की ही थी। इकलौते बेटे की असमय मौत ने चित्रा को पूरी तरह तोड़ दिया और उन्होंने गायकी से दूरी बना ली। जगजीत को करीब से जानने वालों का मानना है कि उनकी ग़ज़लों में महसूस होने वाली तड़प व दुख उनकी इसी अति निजी क्षति की वजह से था।

बहरहाल, ग़ज़ल को आम आदमी तक पहुंचाने का श्रेय जगजीत सिंह को ही जाता है। उनकी पहली एलबम 'द अनफॉरगेटेबल्स' (1976) हिट रही। उसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। उन्होंने जब फ़िल्मों के लिए ग़ज़ल गानी शुरू की तो देखते-देखते वो हर दिल अज़ीज बन गये। 'झुकी-झुकी सी नज़र बेकरार है कि नहीं', 'तुम इतना जो मुस्कुरा रहे हो', 'तुमको देखा तो ये ख्याल आया', 'प्यार का पहला खत लिखने में वक्त तो लगता है', 'होश वालों को', 'होठों से छू लो तुम', 'ये दौलत भी ले लो', 'चिठ्ठी न कोई संदेश' जैसी ग़ज़लें उनकी ऑल टाइम हिट ग़ज़लों में शामिल हैं।

फ़िल्मों के अलावा 'कल चौदहवीं की रात थी शब भर रहा चर्चा तेरा', 'सरकती जाए है रुख से नकाब आहिस्ता-आहिस्ता', 'वो कागज की कश्ती वो बारिश का पानी' उनकी मशहूर गज़लों में शुमार हैं। जगजीत सिंह के नाम 150 से ज्यादा एल्बम हैं।

10 अक्टूबर, 2011 को समय ने जग को जीतने वाले इस जादूगर को हमसे छीन लिया। उनके आकस्मिक निधन पर दिग्गज गायिका आशा भोंसले ने शोक जताते हुए कहा था कि उनकी आवाज सुनकर हर कोई दीवाना हो जाता था, वह हिंदुस्तान का गर्व थे। चित्रा सिंह ने अपने ग़ज़लकार पति के लिए भारत रत्न की मांग करते हुए कहा था कि 'मेरे ख्याल से वह भारत रत्न के हकदार हैं, इससे कम के नहीं। देश को उनका ऋण जरूर चुकाना चाहिए!' आज भले जगजीत हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनकी जादुई आवाज़ आने वाली तमाम पीढ़ियों को अपना बनाकर रखने का माद्दा रखती हैं।


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