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Durgamati : 'सीबीआई अफसर' बनना माही गिल के लिए था कितना मुश्किल, बताया एक्सपीरियंस

अपने व्यक्तित्व से विपरीत किरदार करना माही गिल को दिलचस्प लगता है। हालांकि उनकी कोशिश यही रहती है कि वह ऐसी स्क्रिप्ट चुनें जिसमें वह टाइपकास्ट न हों। हाल ही में अमेजन प्राइम वीडियो पर रिलीज हुई फिल्म दुर्गामती में माही सीबीआई अफसर के किरदार में नजर आई हैं।

By Nazneen AhmedEdited By: Published: Mon, 14 Dec 2020 03:20 PM (IST)Updated: Mon, 14 Dec 2020 03:20 PM (IST)
Durgamati : 'सीबीआई अफसर' बनना माही गिल के लिए था कितना मुश्किल, बताया एक्सपीरियंस
Photo Credit - Mahie Gill Instagram Account Photo

प्रियंका सिंह, मुंबई। अपने व्यक्तित्व से विपरीत किरदार करना माही गिल को दिलचस्प लगता है। हालांकि उनकी कोशिश यही रहती है कि वह ऐसी स्क्रिप्ट चुनें, जिसमें वह टाइपकास्ट न हों। हाल ही में अमेजन प्राइम वीडियो पर रिलीज हुई फिल्म दुर्गामती में माही सीबीआई अफसर के किरदार में नजर आई हैं। उनसे हुई बातचीत के अंश...

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सवाल : ‘दुर्गामती’ फिल्म में सीबीआई अफसर का किरदार निभाने का अनुभव कैसा रहा?

जवाब : आसान नहीं था, क्योंकि उसमें एक तरह का एटीट्यूड है। वास्तविक जीवन में मेरा स्वभाव बहुत अलग है। मैं आर्मी बैकग्राउंड से रही हूं, खुद भी आर्मी में सिलेक्ट हुई थी। इस किरदार का जो एक्सप्रेशन और बॉडी लैंग्वेज है, उसे काफी हद तक समझती थी। बाकी काम कॉस्ट्यूम और डायलॉग कर देते हैं। फिल्म की शूटिंग के पहले ही दिन मेरा और भूमि का साथ में इंटेरोगेशन वाला सीन था। वह सीन हम दोनों के लिए ही चुनौतीपूर्ण था।

सवाल : अपने स्वभाव से विपरीत किरदारों में जाने के लिए कोई अलग से तैयारी होती है?

जवाब : मैं वास्तविक जीवन में काम को लेकर अनुशासन में रहना पसंद करती हूं। मैं स्विच ऑन-स्विच ऑफ एक्ट्रेस हूं। किरदार में कैमरा ऑन होने से पहले नहीं जाती हूं। कैमरा जब ऑफ रहता है, तो चुपचाप बैठी रहती हूं। कैमरा ऑन होते ही किरदार पर फोकस करती हूं। मैं कैमरे के सामने अलग इंसान बन जाती हूं।

सवाल : हॉरर जानर आपको कितना पसंद है?

जवाब : मुझे हॉरर और थ्रिलर दोनों ही जॉनर पसंद हैं। दोनों एक ही फिल्म में मिल जाए, तो इससे अच्छी क्या बात होगी। हॉरर फिल्म मैंने अब तक नहीं की थी। सुपरनैचुरल पावर में यकीन रखना न रखना अलग बात है, लेकिन मैं अच्छी और बुरी एनर्जी में यकीन करती हूं।

सवाल : आपका रौद्र अवतार कब बाहर आता है?

जवाब : अगर मेरे किसी काम में दिक्कत आए या कोई समय देकर उस समय पर न आए, तब रौद्र रूप बाहर आता है। अगर शूटिंग 9 बजे की है और सात बजे बुलाया गया है, तो मैं पहुंच जाती हूं। लेकिन जब दूसरे नहीं पहुंचते, तो गुस्सा आता है।

सवाल : आप लगातार सशक्त और महिला प्रधान किरदार कर रही हैं। टाइपकास्ट होने का डर नहीं होता है?

जवाब : जब मैंने देव डी फिल्म की थी, तब वह इतना स्ट्रॉन्ग रोल था कि लोगों ने सोचा ही नहीं कि मैं कोई और किरदार भी कर सकती हूं। पहली फिल्म छाप छोड़ती है। मैंने वह अपने लिए चुना नहीं था। मैं यशराज और सुभाष घई की फिल्में देखते हुए बड़ी हुई हूं। मुझे लगता था कि एक्टर्स ऐसे ही होते हैं। जब देव डी फिल्म आई तब मुझे नहीं पता था कि इस तरह के किरदार और कहानियां आने वाला भविष्य हैं। बहरहाल, मेरा सोचा-समझा निर्णय रहा है कि अच्छे और सशक्त रोल करने है, जो फिल्म में नजर आएं।

सवाल : महिलाओं को सशक्त किरदार देने में डिजिटल की अहम भूमिका मानती हैं?

जवाब : फिल्म इंडस्ट्री काफी विकसित हो चुकी है। पहले भी महिलाओं के लिए अच्छे किरदार लिखे जाते थे, जिनमें मदर इंडिया, गुड्डी, गाइड, राज कपूर की फिल्में होती थीं, जिनमें महिलाओं को पावरफुल दिखाया जाता था। हर कंटेंट और कहानी अलग होती है। हालांकि, अब बिल्कुल अलग वक्त है, दर्शक महिलाओं को सशक्त किरदार में अपनाने लगे हैं। अब ऐसा नहीं होता है कि अभिनेत्री की शादी के बाद उसे फिल्में न मिलें। अब तो शादीशुदा एक्ट्रेस काम कर रही हैं। ओटीटी के आने से फर्क पड़ा है। हर किसी के पास काम है। अगर 100 फिल्में बन रही हैं, तो लगभग 1000 कहानियां ओटीटी पर बन रही हैं। महिलाओं के लिए कहानियां लिखी जा रही हैं। खुश हूं कि इस दौर में काम कर रही हूं।

सवाल : आपने दबंग और साहब बीवी और गैंगस्टर जैसी फ्रेंचाइजी वाली फिल्मों में काम किया है। एक ही किरदार को एक अंतराल के बाद करना क्या बोरिंग हो जाता है?

जवाब : बोरियत नहीं होती है, क्योंकि स्क्रिप्ट अलग होती है। चुनौतीपूर्ण इसलिए हो जाता है, क्योंकि जो लोग आपको पहले उस किरदार में पसंद कर चुके हैं, वह कहेंगे कि यह वाला किरदार वैसा नहीं रहा। इसलिए उसी किरदार को दिलचस्प और विकसित करना पड़ता है। हम कलाकार नहीं, कठपुतलियां हैं। हमारे लिए सब कुछ अच्छे से लिखा गया होता है। अगर डायलॉग्स अच्छे से न लिखे गए हो, तो हम परफॉर्म ही नहीं कर पाएंगे। फ्रेंचाइजी फिल्मों के किरदार की बारीकियों और बॉडी लैंग्वेज से मैं वाकिफ रहती हूं। इसलिए मुझे आसान लगता है। नए किरदारों के लिए तैयारियां करनी पड़ती हैं।

 

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