पेइंग गेस्ट, लव इन टोक्यो जैसी कई फिल्मों में अभिनय कर चुकीं शुभा खोटे से विशेष बातचीत
बॉलीवुड अभिनेत्री शुभा खोटे ने बताया कि मैं हमेशा व्यस्त रही हूं। इसलिए अहसास ही नहीं होता है कि मेरी उम्र क्या है जो मेरी उम्र में हैं उनसे मैं यही कहूंगी कि खुद को किसी न किसी काम में व्यस्त रखें।
प्रियंका सिंह। कुछ कलाकारों के लिए उम्र महज एक नंबर होती है। पेइंग गेस्ट, लव इन टोक्यो, तुमसे अच्छा कौन है जैसी कई फिल्मों और शो जबान संभाल के, अंदाज, बा बहू और बेबी में अभिनय कर चुकीं शुभा खोटे 84 साल की हैं। इस उम्र में भी वह घर पर बैठना पसंद नहीं करती हैं और लगातार काम कर रही हैं। इन दिनों शुभा कलर्स चैनल के शो स्पाइ बहू में दादी के किरदार में हैं...
कई लोग एक उम्र के बाद सोचते हैं कि अब क्यों काम करना? ऐसे में वह कौन सी बात है, जो आपको थकने नहीं देती है?
मैं कभी थकती इसलिए नहीं हूं, क्योंकि मैं जो भी काम करती हूं, उसका आनंद लेती हूं। शायद यही वजह है कि मुझमें इस उम्र में भी ऊर्जा है और मैं अब भी काम कर पा रही हूं। अगर आप यह सोचकर बैठ जाएंगे कि बुढ़ापा आ गया है और आराम करना है तो फिर वह ऊर्जा चली जाएगी। लगातार काम करते रहने से एनर्जी बनी रहती है। यही वजह है कि मैंने अपने काम से कभी ब्रेक नहीं लिया।
अब टीवी की दुनिया काफी बदली हुई है। आज के फार्मेट में काम करने के लिए किस तरह के बदलाव खुद में लाने पड़े हैं?
मैंने कम ही शो किये हैं, लेकिन जो भी किये हैं, वे सफल रहे हैं। अब एक दिन में एक एपिसोड बन जाता है। एक सामान्य शिफ्ट, जो नौ से छह की होती है, उसमें काम कर सकती हूं। टेलीविजन के 10-12 घंटे की शिफ्ट मेरे बस की बात नहीं। टीवी का फार्मेट ही ऐसा है कि रोज एपिसोड बनाना है। ऐसे में शो बनाने वाले लोग यह नहीं देखते हैं कि आपकी उम्र 20 साल है या 80 साल। मैं उनके मुताबिक काम नहीं कर सकती हूं। हालांकि इस शो के सेट पर लोग समझदार हैं, वे वक्त का काफी ध्यान रखते हैं। इस शो की कहानी में रोमांस और जासूसी का मिश्रण है। ऐसे शो टीवी पर कम ही बनते हैं। कहानी दिलचस्प लगी। इसलिए शो के लिए हां कह दिया था।
पहले का दौर याद आता है? तब काम करने के तरीके आज से कितने अलग थे?
मैंने करियर के 66 साल में जो इंडस्ट्री देखी है, उसमें अब बदलाव बहुत है। तकनीकी तौर पर इंडस्ट्री आगे बढ़ी है। हर माहौल के साथ एडजस्ट तो करना ही पड़ता है, ठीक वैसे ही जैसे हम जीवन में करते हैं। हालांकि मैं पुराने दौर को बहुत याद करती हूं। उस वक्त काम करने को लेकर एक अनुशासन था। शिफ्ट के मुताबिक हम काम किया करते थे। आराम से काम होता था। उस दौर के गाने आज भी याद रहते हैं, जबकि अब के गाने याद नहीं रहते हैं। पहले प्रमोशंस नहीं, बल्कि प्रीमियर हुआ करते थे। पहले 25 हफ्ते तक फिल्में सिनेमाघरों में चला करती थीं, फिर उसकी सक्सेस पार्टी होती थी। अब वह दौर नहीं है। खैर, दौर या माध्यम जो भी हो, अभिनय कभी नहीं बदलता है। स्टेज हो या कैमरा, हर जगह एक्टिंग ही हो रही होती है। अब मनोरंजन के कई माध्यम हैं। काम करने का सिस्टम अलग हो सकता है, लेकिन अभिनय को हर माध्यम पर अच्छा ही करना होता है, उसका कोई विकल्प नहीं।
आप उन अभिनेत्रियों में से रही हैं, जिसने स्क्रीन पर कामेडी भी खूब की है?
सच कहूं तो जब मैैं फिल्म इंडस्ट्री में आई थी तो यही सोचकर आई थी कि कामेडियन ही बनूंगी। कई लड़कियों को हीरोइन बनना होता है, लेकिन मेरे जेहन में ऐसा कुछ नहीं था। मुझे तो हीरोइन बनना ही नहीं था। मैंने कुछ ही हीरोइन वाले किरदार किए हैं। कामेडी रोल्स खूब किये हैं। कामेडी में भी अंतर होता है। मैं कामेडी शो में काम कर रही हूं और मैं कामेडी कर रही हूं, इन दोनों बातों में बहुत फर्क है।
इस शो में आपकी बेटी भावना बलसावर भी हैं। सेट पर आप दोनों मां-बेटी की तरह रहती हैं या कलाकार की तरह?
सेट पर वह जो किरदार कर रही हैं, वह उसमें होती हैं, मैं अपने किरदार में होती हूं। सेट पर महसूस नहीं होता कि वह मेरी बेटी हैं। हमने पहले भी साथ काफी काम किया है। हर शो में हम सेट पर अपने किरदार पर ही ध्यान देते हैं।