आमिर खान की 'क़यामत' के 30 साल , देखिये मज़ेदार video
ये फिल्म न तो आमिर खान का बॉलीवुड डेब्यू था और न ही जूही चावला का।
मुंबई। हिंदी सिनेमा के ब्लॉकबस्टर सुपरस्टार आमिर खान ने आज से तीन दशक पहले बड़े परदे पर अपनी मोहब्बत को क़यामत तक निभाने का वादा पूरा किया था। बात उनकी फिल्म क़यामत से क़यामत तक की है, जिसने आज 30 साल पूरे कर लिए हैं।
इस मौके पर आमिर खान ने भी ट्वीट किया और लिखा -"विश्वास ही नहीं होता कि 30 साल हो गए l ऐसा लगता है अभी कल की ही बात है l "
Feels just like yesterday....can't believe it's been 30 years.
Love,
a. pic.twitter.com/drWymVucjJ— Aamir Khan (@aamir_khan) April 29, 2018
मंसूर खान के निर्देशन में बनी ये फिल्म आज ही के दिन 1988 में रिलीज़ की गई थी। आमिर खान को उस दौर में चॉकलेटी ब्वॉय का नाम मिला था। लव स्टोरी और एक दूजे के लिए जैसी प्यार में मर मिटने या मिटाये जाने की कहानी की तर्ज़ को आमिर खान ने अपनी को-एक्टर जूही चावला के साथ इतनी ख़ूबसूरती और मासूमियत के साथ परदे पर उतरा कि लोग आज भी राज और रश्मि की उस जोड़ी को नहीं भूले हैं। वैसे तो माना जाता है कि बड़े टाइटल की फिल्मों को छोटा नाम करने की शुरुआत DDLJ यानि दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे से हुई थी लेकिन कहते हैं कि शुरुआत QSQT ( क़यामत से क़यामत तक ) से हो चुकी थी . ये फिल्म न तो आमिर खान का बॉलीवुड डेब्यू था और न ही जूही चावला का। आमिर ने बचपन में ही यादो की बारात में काम कर लिया था और जब बड़े हुए तो सबसे पहले 40 मिनट की एक शॉर्ट फ़िल्म 'पैरानोइया' बनाई। आमिर खान की पहली फीचर फिल्म होली थी। केतन मेहता की ये फिल्म 1984 में रिलीज़ हुई थी। आमिर खान ने क़यामत से क़यामत तक के पहले आदित्य भट्टाचार्य की राख साइन की थी लेकिन वो 1989 में रिलीज़ ही।
क़यामत... भी जूही की पहली फिल्म नहीं थी। साल 1984 में मिस इंडिया बनी जूही ने करण कपूर की 1986 में आई सल्तनत में और उसके बाद कन्नड़ फिल्म प्रेमलोका में काम किया। उस ज़माने में पांच करोड़ रूपये का कलेक्शन करने वाली फिल्म क़यामत से क़यामत को उस बार की पॉपुलर फिल्म का राष्ट्रीय पुरस्कार मिला और 11 फिल्मफेयर नॉमिनेशन में से आठ पुरस्कार।
कौन है आमिर खान ? पड़ोस की लड़की से पूछो
आमिर खान के लिए ये फिल्म बेहद अहम् थी क्योंकि इस फिल्म के जरिये उनका असली बॉलीवुड टेस्ट शुरू होने वाला था। फिल्म के प्रचार के लिए अनोखा तरीका निकला गया। रिलीज़ के पहले आमिर खान कौन है ? आमिर, अपने बहनोई राज जुत्शी (बाद में आमिर की बहन से शादी की ) के साथ सड़क पर निकले और जगह जगह अपने हाथ से फिल्म के पोस्टर चिपकाए। एक ऑटो वाला तो उन पर बुरी तरह नाराज़ हो गया था। फिल्म की रिलीज़ के बाद मार्केटिंग का अनोखा तरीका निकाला गया था। निर्माता ने घोषणा की थी कि जो फिल्म के आठ या उससे अधिक टिकट लेगा उसे आमिर और जूही का पोस्टर फ्री में दिया जाएगा।
“Aamir, Raj & Me went on their own to stick posters/pictures of the movie, requested auto and taxi drivers even when they weren't famous. As they had no Budget for promotions.”
- Juhi Chawala pic.twitter.com/ViApLpGAiF— Aamir Khan W🌍rld™ (@aamirkhanworld1) April 29, 2018
क़यामत की...रिश्तेदारियां
इस फिल्म को आमिर खान के चचेरे भाई मंसूर खान ने डायरेक्ट किया जो उनकी पहली फिल्म थी। आमिर खान के चाचा नासिर हुसैन ने फिल्म को प्रोड्यूस किया। इस फिल्म के लगभग सभी गाने सुपरहिट रहे लेकिन 'पापा कहते हैं...'में ख़ास बात थी। इस गाने में आमिर खान की बचपन की प्रेयसी और बाद में पत्नी बनी रीना दत्ता भी नज़र आई।
फिल्म में आमिर खान के भाई फैसल ने रोल किया था और आमिर के भांजे और अभिनेता इमरान ने भी। इमरान ने फिल्म में आमिर के बचपन की भूमिका निभाई थी।
फिल्म क़यामत से क़यामत तक में जाने माने विलेन अजित के बेटे शहज़ाद और मराठी फिल्म अभिनेता यतिन कारेकर, थियेटर एक्टर मकरंद देशपांडे ने भी अहम् भूमिका निभाई। आमिर खान उस दौर में इंडस्ट्री में नए नए थे लेकिन सेट पर मौज मस्ती में सबसे आगे रहते थे। जूही चावल ने एक बार बताया था कि आमिर ख़ान ऊपर से भले ही सीधे दिखते हों, लेकिन वो बड़े शैतान हैं। एक फ़िल्म की शूटिंग के दौरान वह मुझे डराने के लिए मेरे पीछे सांप लेकर दौड़े थे।
स्कूली बच्चे जैसे थे आमिर
फिल्म क़यामत से क़यामत तक में आमिर खान के पिता धनराज की भूमिका निभाने वाले दलीप ताहिल कहते हैं “आमिर को मैंने उनकी पहली पिक्चर से देखा है। मेरा करियर भी ‘क़यामत से क़यामत तक’ से ही चल पड़ा था। सबसे पहले आमिर को देखा था नासिर साहब के ऑफिस में तो मुझे आज भी याद है कि तीन लोग बैठे थे कोने में। बीच में एक लाल-लाल गाल वाला गोरा सा बच्चा जो किसी स्कूल के छात्र की तरह लग रहा था। नासिर साहब ने जब नैरेशन दी तब उसके बाद मैंने उनसे पूछा कि डायरेक्टर कौन है? अपने बेटे मंसूर ख़ान की तरफ हाथ दिखा कर उन्होंने बताया मंसूर ख़ान। फिर मैंने कहा कि हीरो? तभी आमिर जो बीच में बैठे थे उन्होंने स्कूल के छात्र की तरह अपना हाथ उठाते हुए कहा- यस सर। इतना क्यूट था वो लेकिन, जब उन्हें पता चला कि वो स्कूल में नहीं हैं तो उन्होंने अपना हाथ नीचे किया"। दलीप ने बताया बाद में शूटिंग के दौरान पहले दिन से ही मालूम हो गया था कि यह लड़का सिनेमा के बारे में सोचता है। स्क्रिप्ट की बारीकियों को समझता है। दिलीप के मुताबिक ये गलत है कि लोग बोलते हैं कि आमिर अपने डायरेक्टर्स को बहुत टोकते हैं! दरअसल यह उनका स्वभाव है।
नासिर हुसैन ने पहले लैला-मंजनू की तरह दुखद अंत की स्क्रिप्ट लिखी थी लेकिन बाद में अपने बेटे मंसूर से कहा कि एक सुखद अंत भी शूट कर लें l हालांकि बाद में उन्हें कहानी का दुःख भरा अंत ही सही लगा l
यह भी पढ़ें: इस 15 अगस्त को बॉक्स ऑफिस पर होने वाला है 'ऐतिहासिक टकराव'