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किशोर कुमार के 89वें जन्म दिन पर कुछ अनसुनी कहानियां, जानिए भांजे बप्पी लहरी की ज़ुबानी

"रिकॉर्डिंग वाले दिन वो कह रहे थे कि मैं नहीं रहूंगा तो याद करोगे कि किशोर कुमार कितना हंसाये...फिर कहा कि चलो ठीक है मैं कल आराम करूंगा, परसो आऊंगा, लेकिन अगले ही दिन ख़बर आई कि अब वह नहीं रहे।"

By Manoj VashisthEdited By: Published: Sat, 04 Aug 2018 01:52 PM (IST)Updated: Sat, 04 Aug 2018 01:52 PM (IST)
किशोर कुमार के 89वें जन्म दिन पर कुछ अनसुनी कहानियां, जानिए भांजे बप्पी लहरी की ज़ुबानी
किशोर कुमार के 89वें जन्म दिन पर कुछ अनसुनी कहानियां, जानिए भांजे बप्पी लहरी की ज़ुबानी

अनुप्रिया वर्मा, मुंबई। उस दिन वह बहुत खुश थे। अपने नियमित परिधान में ही लुंगी-कुर्ता, रोलेक्स घड़ी पहनकर वह महबूब स्टूडियो आये थे। सोफे पर बैठे थे। ब्रेक होता तो उनका हंसने-हंसाने और चुटकुले सुनाने का सिलसिला शुरू हो जाता है। हर कोई हंसते-हंसते पागल हो रहा था कि अचानक मामा बोले हमको गैस का प्रॉब्लम हो रहा बप्पी। बप्पी ने कहा मामा आराम करो... हम फिर बाद में रिकॉर्डिंग कर लेंगे। वो नहीं माने। बोले- मैं कर लेगा रिकॉर्डिंग। तुम लोग देखना हम नहीं रहेंगे तो मेरा यही हंसी-मज़ाक याद रखोगे। बप्पी ने कहा मामा क्यों ऐसा बोल रहे हैं तो और ठहाके लगाने लगे और अगले ही दिन ख़बर आयी कि रात 2 बजे किशोर कुमार नहीं रहे। खंडवा में उनकी समाधि पर लिखे वो गीत के बोल ही उनकी ज़िंदगी की फिलॉसफी थी कि कभी अलविदा न कहना...।

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मशहूर और वेटरन संगीतकार बप्पी लहरी रिश्ते में किशोर कुमार के भांजे थे, लेकिन उन्होंने किशोर को गुरु अधिक माना। गुरु-शिष्य, तो कभी दोस्त यार वाला रिश्ता बरकरार रहा। बप्पी कहते हैं किशोर कुमार जैसा कोहिनूर एक ही था। एक ही रहेगा। बार-बार वैसा कोहिनूर दुनिया में नहीं आता। वाकई, उनके अद्वितीय व्यक्तित्व का यह अनोखा रूप ही था कि अपने परिधान में उनकी जितनी सादगी और दोहराव था। हर दिन एक जैसे परिधान हों। मगर उनका हर गाना उन्हीं के दूसरे गाने से भिन्न था। उनके व्यक्तित्व की यह बात सामने आती है कि वह मानते थे कि अपने हुनर को बार-बार तराशना अहम है, न कि आपके दिखावे वाले परिधान। 4 अगस्त को उनके 89वें जन्म दिवस पर बप्पी लहरी ने जागरण डॉट कॉम के साथ किशोर कुमार के साथ बिताये कुछ यादगार अनुभव साझा किये।

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मैजिशियन थे किशोर कुमार

बप्पी कहते हैं, ''मैं अपने माता-पिता के बाद किसी को सरस्वती मानता हूं तो मैं उन्हें ही मानता हूं। वह कमाल थे।हर गाने को गाने के लिए हर बार जो वह वेरियेशन लेकर आते थे और जिस मज़े से गाते थे। वह लाजवाब था।उनकी तरह वॉयस और गाने में अपने मन से शब्दों का ईजाद करना उन्हें आता था। हर दिन उनको रिकॉर्डिंग में मज़ा करके, लोगों को हंसते-खेलते ही काम करने में मज़ा आता था। मेरे पिताजी ने मुझसे कहा था कि किशोर कुमार मैजिशियन हैं। उनको सुनो और ऑब्ज़र्ब करो कि वह किस तरह से गाता है। फिर तुम भी सीख जाओगे। बप्पी कहते हैं कि मुझे मामा ने भी सपोर्ट किया, लेकिन वह यूं ही किसी से इंप्रेस नहीं हो जाते थे। ऐसा नहीं था कि बस परिवार का है तो इसको अहमियत दे दो। वो भी कड़ी परीक्षा लेते थे और फिर आगे बढ़ते थे। मैंने उनसे बहुत सीखा। उनके बाद बहुत सिंगर हुए। सब एक फ़न में माहिर हैं, एक जैसा गाना गाते हैं, लेकिन किशोर कुमार का रेंज देखिये। पड़ोसन, चलते-चलते, आर डी बर्मन का संग देखिये। मेरे महबूब देखिये। पग घुंघरू देखिये। आधा लड़की आधा लड़का। आसान सिंगर नहीं थे। वह खुद क्रियेट करते थे। मैं मानता हूं कि एक ही किशोर कुमार आये थे। वो चले गये।''

बप्पी बताते हैं कि 20 साल की उम्र में मैंने काम किया था एक फ़िल्म में बढ़ती का नाम दाढ़ी, कॉमेडी फ़िल्म था।मैं भांजा था। उस फ़िल्म में मैंने छोटा सा रोल किया था। तो किशोर कुमार ने बोला मुझे लगता है कि तुम पिक्चर में काम कर सकते हो तो बप्पी ने कहा कि हिंदी ठीक नहीं बोल पाता मैं कहां से काम करूंगा।

किशोर ने कहा था याद आ रहा है तेरा प्यार बनेगा बप्पी का सिग्नेचर स्टैप

बप्पी लहरी का ये गाना स्टैप है, लेकिन मज़ेदार बात यह है कि किशोर कुमार ये गाना गाने वाले थे। किशोर कुमार उस वक्त लंदन से मुंबई आ रहे थे। मुंबई में स्टूडियो था एचएमबी का। म्यूजिशियन बैठा है। किशोर मामा की फ्लाइट डिले थी। तब सुभाष जी ने कहा मुझे कि तुम गा दो। मैंने गा दिया। किशोर मामा शाम में 4.40 बजे पहुंचे। सुभाष जी ने कहा कि किशोर आप डब कर दो। तो मामा ने कहा कि अरे आप पागल हैं क्या ये गाना बप्पी ने दिल से गाया है। क्या अच्छा गाया है। फिर उन्होंने कहा कि ये गाना तेरा सिग्नेचर स्टैप बनेगा, देखना।

रोलेक्स घड़ी के दीवाने

बप्पी बताते हैं कि किशोर कुमार को लुंगी-कुर्ता, रोलेक्स घड़ी और एक ब्लैक अंगूठी पहनना खूब पसंद था। फिर बप्पी उस आखिरी मुलाकात को याद करने लगते हैं। वह कहते हैं उनकी लास्ट फ़िल्म भी मेरे साथ ही थी। फ़िल्म थी वक़्त की आवाज़। उन्होंने उस दिन छह बजे तक मेरे साथ गाना रिकॉर्ड किया था। गुरु गुरु। श्रीदेवी थी उसमें।उस दिन वो खूब मूड में थे। महबूब में थे हम लोग। सोफे पर बैठे हुए थे। मैं टेंशन में था कि कब गाना होगा पूरा।उन्होंने कहा कि अरे शांति से बैठ हो जायेगा टेंशन नहीं लेने का। फिर अचानक उनको दर्द उठा। मैंने पूछा क्या हुआ आपको.. किशोर मामा ने बोला- मुझे लग रहा है कि मुझे गैस हो गया है, तो मैंने उनको बोला कि छोड़ दें बाद में रिकॉर्ड कर लेंगे, लेकिन वो माने नहीं। उन्होंने कहा नहीं रिकॉर्ड करके ही जाऊंगा। मैंने उस दिन रिकॉर्ड भी किया था और उनसे एक छोटा सा बातचीत भी रिकॉर्ड किया था। उस दिन मैंने रिकॉर्ड किया था। मैंने कैसे देखा था उनको, वो मैं कभी मेरी आंखों से किशोर कुमार, ये कभी तो निकालूँगा। वो कह रहे थे उस दिन कि मैं नहीं रहूंगा तो याद करोगे कि किशोर कुमार कितना हंसाये और अचानक ये बोलने के बाद वो लुंगी बांधे और निकल गए रिकॉर्डिंग करने के लिए। फिर हम लोग अगला गाना रिकॉर्ड किये। उनको मुझसे उन्होंने आखिरी दिन पूछा था कि मुझे कल तो गाना नहीं है न। मैंने कहा नहीं, तो उन्होंने कहा कि चलो ठीक है मैं कल आराम करूंगा।परसो आऊंगा, लेकिन अगले ही दिन ख़बर आई कि अब वह नहीं रहे। मैं जब उनकी मृत्यु के बाद उनके घर गया तो वहां बैठ नहीं पाया। लगा कि बाप रे अब वो नहीं रहे। वक्त की आवाज़ में छह गाने थे, जो किशोर कुमार को गाने थे, लेकिन वह तीन ही गा पाये। बाकी के तीन सुदेश भोंसले ने गाये थे।

लूची-सब्जी के शौकीन, वो बेड आज भी है

बप्पी बताते हैं कि किशोर कुमार को लूची (बांग्ला अंदाज़ की पूड़ियां) खूब पसंद थीं। वह जब भी बप्पी के घर पर आते थे। उसे खाने की डिमांड करते थे। उन्हें बप्पी की मां के हाथों की आलू की सब्जी खाना बेहद पसंद था। बप्पी एक और राज़ खोलते हैं कि आज भी बप्पी के एक स्टूडियो के कोने में वही कई सालों पुराना बेड है, जहां किशोर कुमार आते थे और वे लोग मिल कर गाने रचते थे। बप्पी कहते हैं कि भले ही यह बेड पुराना हो गया हो, लेकिन इससे मामा की यादें जुड़ी हैं इसलिए मैं इनको दूर नहीं करना चाहता खुद से। बप्पी के उस कमरे में किशोर कुमार से जुड़ी उनकी सारी यादें तस्वीरों के रूप में ज़िंदा हैं। हर तस्वीर में किशोर कुमार यूं ठहाके लगाते नज़र आ रहे हैं कि ऐसा लगता हो कि उनका हंसमुख, खुशमिज़ाज सा चेहरा सामने है।

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पग घुंघरू बांध मीरा नाची थी, 12 मिनट का यह गाना और किशोर की कारीगरी

 

बप्पी कहते हैं कि फ़िल्म के निर्देशक प्रकाश जी आये और उन्होंने कहा कि नमक हलाल में 12 मिनट का गाना है। मैं डरा कि अरे ऐसे कैसे कर पाऊंगा। प्रकाश जी ने कहा हमारे पास किशोर कुमार है। डरो मत। किशोर कुमार ने इसमें भी कमाल किया था। उस वक़्त बोहियां स्टाइल किया था। प्रकाश जी ने उस वक़्त कहा था कि डिस्को इस्तेमाल करो, लेकिन मुझे क्लासिकल चाहिए था। मैंने उसमें पूरा क्लासिकल डाला। सारेगामा वगैरह यूज़ किया। खास बात यह है कि उस वक्त किशोर के साथ अमिताभ बच्चन भी रिकॉर्डिंग में आते थे। महबूब स्टूडियो में हुआ था रिकॉर्डिंग। 12 मिनट में कई वेरियेशन में गाया था ये गाना। चार दिन में पूरी रिकॉर्डिंग हुई थी। उस वक्त एक ही माइक से सारे सिंगर गाते थे। एक के बाद एक हटते जाते थे और लाइव रिकॉर्डिंग भी होती थी।सब कुछ वही होता था।

मेहनताना की डिमांड जायज़ थी

यह पूछे जाने पर कि उन्हें लेकर लोग कहते हैं कि वह अपनी फीस को लेकर काफी स्ट्रिक्ट थे। बप्पी हंसते हैं और फिर बताते हैं कि लोगों को ग़लतफहमी है कि वह पैसे को लेकर शोर मचाते थे लेकिन सच तो यह है कि वह अपना हक मांगते थे और उसे लेकर अगर उन्होंने कुछ प्रिसिंपल्स तय कर रखे थे तो ग़लत क्या था और ऐसा नहीं था कि मैं उनका भांजा हूं तो मुझसे डिमांड नहीं करते थे। मुझसे भी वही डिमांड था और स्पष्ट डिमांड था। वह कहते हैं कि आशा भोंसले आरडी बर्मन तो पति-पत्नी थे, लेकिन 340 फ़िल्म्स के लिए मेरे साथ आशाजी ने गाना गाया है। आरडी के साथ 125 फिल्मों में ही गाया। आशा-किशोर का कांबिनेशन होता था। तोहफ़ा, कैदी, हिम्मतवाला, जस्टिस चौधरी, समेत काफी काम किया। किशोर कुमार की आखिरी फिल्म वक्त की आवाज़ में भी आशा और किशोर ने ही गाया। कांबिनेशन टेरेफिक था।

किशोर मामा को यह बात पसंद नहीं थी कि कोई कहे हुए से मुकर जाये, जो कि कई प्रोडयूसर कर देते थे उस वक्त। इसलिए वह फीस की कमिटमेंट को लेकर सख्त थे, लेकिन बप्पी बताते हैं कि उनके साथ एक ग़ज़ब का वाक्या हुआ था। उनकी कोई अनजान फ़िल्म थी। प्रोडयूसर भी बड़ा नहीं था। बाज़ार बंद करो। मैंने उनको कहा कि इसमें ज्यादा बजट नहीं है लेकिन मामा ने कहा गाना सुनाओ। मैंने सुनाया। उन्होंने पूछा कौन गा रहा है। मैंने कहा आशाजी तो उन्होंने कहा कि जो प्रोड्यूसर देगा। ठीक है। उनको गाना अच्छा लगता तो फिर वो पैसे की बात नहीं करते थे।

बांग्ला गानों में गुरु दुखिना, चिरिदियो आमर संघी किशोर कुमार की पांच टॉप फ़िल्मों में नाम आता ही है। ऐ आमर दुखिना जो गाना था। वह मुझे गाना था। तो इसी तरह वह एक गाना गाकर बैठते थे। बारिश का वक्त था। मैं हारमोनियम पर और मेरे बाकी म्यूजिशियन भी थे। मैं इस गाने का प्रैक्टिस कर रहा था। ऐ आमर गुरु दखिना... किशोर कुमार अचानक उठे। पूछे कौन गा रहा है ये गाना। मैंने कहा मैं गा रहा हूं तो उन्होंने कहा कि खुद सुपरहिट गाओगे। मैं गाऊंगा। मैंने कहा कि उनके पास पैसे नहीं हैं प्रोडयूसर के पास कि आपसे गवायेंगे। एक गाना गवाया है न। उन्होंंने कहा खबरदार ये गाना मैं ही गाऊंगा, अभी मैं घर जाता हूं गौरी कुंज। थोड़ा सूप पीकर फ्रेश होकर आता हूं। वह ठीक एक घंटे बाद आ गये महबूब स्टूडियो और उन्होंने ये गाना गाया। प्रोडयूसर इधर टेंशन में कि किशोर गायेंगे तो वह और पैसे नहीं दे पायेंगे। वह चिंतित। लेकिन बप्पी ने उन्हें शांत होने को कहा कि मामा ने बोल दिया है, जो देंगे ले लेंगे तो ऐसा नहीं है कि जब उनको गाना पसंद आ जाये तो वह पैसे के लिए गाने को नहीं छोड़ते थे।


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