OTT platforms को लेकर सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दायर किया शपथ पत्र, कोर्ट ने सुनवाई को लेकर कही ये बात
सुप्रीम कोर्ट ने ओटीटी (ओवर द टॉप) से जुड़े दिशानिर्देशों की सुनवाई को लंबित करने को कहा है। सुप्रीम कोर्ट ने देश के सभी हाईकोर्ट से फिलहाल इस मामले में सरकार की ओर से दायर मामलों की सुनवाई करने के लिए रोक लगाने को कहा है।
नई दिल्ली, जेएनएन। सुप्रीम कोर्ट ने नेटफ्लिक्स, अमेजन प्राइम वीडियो और हॉटस्टार सहित अन्य ओटीटी (ओवर द टॉप) से जुड़े दिशानिर्देशों की सुनवाई को लंबित करने को कहा है। सुप्रीम कोर्ट ने देश के सभी हाईकोर्ट से फिलहाल इस मामले में सरकार की ओर से दायर याचिका की सुनवाई पर रोक लगाने को कहा है। वहीं केंद्र सरकार ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में शपथ पत्र दायक किया। जिसमें सरकार ने दावा किया कि ओटीटी प्लेटफार्मों पर होने वाले कार्यक्रमों की सामग्री और इन प्लेटफार्मों पर सामग्री की जांच के लिए एक तंत्र बनाने की जरूर की मांग लंबे समय से हो रही थी।
सरकार ने शपथ पत्र में कहा है कि सांसदों और कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों को ओटीटी प्लेटफॉर्म के कंटेंट को लेकर लगातार शिकायतें मिल रही थीं। इसलिए सोशल मीडिया प्लटफॉर्म्स, ओटीटी और डिजिटल मीडिया के लिए इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी (इंटरमीडियरी गाइडलाइन एंड डिजिटल मीडिया एथिक्स कोड) नियम, 2021 का मसौदा तैयार करना पड़ा। सरकार ने यह शपथ पत्र सुप्रीम कोर्ट के वकील शशांक शेखर झा की ओर से दायर जनहित याचिका के बाद दायर किया, जिन्होंने ओवर-द-टॉप (ओटीटी) प्लेटफार्मों में सामग्री के विनियमन की मांग की थी।
न्यूज एजेंसी एएनआई की खबर के अनुसार इस शपथ पत्र का सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सरकार की ओर से नेटफ्लिक्स, अमेजन प्राइम वीडियो, हॉटस्टार सहित अन्य ओवर-द-टॉप (ओटीटी) प्लेटफार्मों के विनियमन और कामकाज के लिए विभिन्न उच्च न्यायालयों के समक्ष सभी कार्यवाही लंबित करने को कहा है। वहीं बीते दिनों इंटरनेट मीडिया, ओवर द टॉप (ओटीटी) प्लेटफार्म व डिजिटल मीडिया को लेकर सरकार के हालिया दिशानिर्देशों पर सुप्रीम कोर्ट ने निराशा जताई है। शीर्ष अदालत ने इन निर्देशों को एंटी सोशल कंटेंट पर लगाम लगाने में नाकाफी मानते हुए कहा कि इनमें उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कार्रवाई का कोई प्रभावी तंत्र नहीं है। नियम-कायदे बनाने से काम नहीं चलेगा। बिना उचित कानून के इन पर नियंत्रण संभव नहीं है।
Supreme Court stays all proceedings pending before various High Courts for regulation and functioning of Over-the-top (OTT) platforms like Netflix, Amazon Prime Video, Hotstar etc. by the government. pic.twitter.com/NBjkg6HDIi— ANI (@ANI) March 23, 2021
कोर्ट की टिप्पणी पर केंद्र सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि सरकार इस बारे में कानून का मसौदा तैयार करके कोर्ट के समक्ष पेश करेगी। अमेजन प्राइम वीडियो से जुड़े मामले में सुनवाई के दौरान जस्टिस अशोक भूषण और आर सुभाष रेड्डी की पीठ ने सरकार के नए दिशानिर्देशों पर सख्त टिप्पणी की। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा था कि कुछ ओटीटी प्लेटफार्म पर अश्लीलता परोसी जाती है, इन्हें रेगुलेट किए जाने की जरूरत है। कोर्ट ने केंद्र सरकार से इस संबंध में जारी दिशानिर्देश अदालत में पेश करने को कहा था।
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा था कि उन्होंने पेश किए गए इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी (इंटरमीडियरी गाइडलाइन एंड डिजिटल मीडिया एथिक्स कोड) रूल्स, 2021 देखे, लेकिन यह दंतहीन हैं। इनमें अभियोजन का कोई अधिकार ही नहीं है। इनमें नियंत्रण का कोई तंत्र नहीं है। न ही कंटेंट की स्क्रीनिंग और उल्लंघन करने वालों पर कार्रवाई का कोई प्रविधान है। बिना कानून के इन्हें नियंत्रित नहीं किया जा सकता। इस पर तुषार मेहता ने कहा कि सरकार इस पर विचार करेगी। इस बारे में उचित कानून या रेगुलेशन का मसौदा तैयार करके कोर्ट के समक्ष पेश किया जाएगा। कोर्ट ने मेहता का बयान आदेश में दर्ज किया।