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Birthday Sunil Dutt: फिल्मों में आने से पहले रेडियो जॉकी भी थे सुनील दत्त, 20 से ज्यादा फिल्मों में बने विलेन

Happy Birthday Sunil Dutt एक बस कंडक्टर से एक्टर और फिर सामाजिक कार्यकर्ता से भारत सरकार में मंत्री तक का सफ़र तय करने वाले सुनील दत्त की जीवन यात्रा एक मिसाल है।

By Rahul soniEdited By: Published: Thu, 06 Jun 2019 11:11 AM (IST)Updated: Thu, 06 Jun 2019 01:28 PM (IST)
Birthday Sunil Dutt: फिल्मों में आने से पहले रेडियो जॉकी भी थे सुनील दत्त, 20 से ज्यादा फिल्मों में बने विलेन
Birthday Sunil Dutt: फिल्मों में आने से पहले रेडियो जॉकी भी थे सुनील दत्त, 20 से ज्यादा फिल्मों में बने विलेन

नई दिल्ली, जेएनएन। फिल्म इंडस्ट्री के मशहूर अभिनेताओं में एक नाम सुनील दत्त का भी है। आज 6 जून को सुनील दत्त का जन्मदिन है। अगर सुनील दत्त के जीवन पर प्रकाश डाला जाए तो संघर्ष करने के बाद उन्होंने सफलता हासिल की और उस सफलता का हमेशा बनाए रखने में कामयाब भी रहे। चाहे बात हो सामाजिक कार्य की, फिल्मी दुनिया की या फिर राजनीति की, सब में उन्होंने बेहतरीन तरह से काम और लोगों के दिलों में एक जगह बनाई। आइए जानते हैं सुनील दत्त की जयंती पर उनके बारे में कुछ रोचक बातें। 

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एक बस कंडक्टर से एक्टर और फिर सामाजिक कार्यकर्ता से भारत सरकार में मंत्री तक का सफ़र तय करने वाले सुनील दत्त की जीवन यात्रा एक मिसाल है। सुनील दत्‍त का जन्‍म 6 जून 1929 को अविभाजित भारत के झेलम जिले में बसे खुर्द नामक गांव में हुआ था। यह क्षेत्र अब पाकिस्तान में है। उनका मूल नाम बलराज दत्‍त था। उन्होंने भारत-पाकिस्तान विभाजन के समय को देखा है। बंटवारे के बाद उनका परिवार पहले यमुनानगर, पंजाब (अब हरियाणा) और बाद में लखनऊ आ बसा। सुनील दत्त का बचपन काफी संघर्ष भरा रहा है क्योंकि जब वो महज 5 साल के थे तभी उनके पिता दीवान रघुनाथ दत्त का निधन हो गया था। उनकी मां कुलवंती देवी ने उनकी परवरिश की। लखनऊ के बाद सुनील दत्त उच्च शिक्षा के लिए मुंबई आ गए थे।

मुंबई में उन्होंने जय हिंद कॉलेज में दाखिला लिया। चूंकि उनके पास रूपये की कमी थी तो उन्होंने मुंबई बेस्ट की बसों में कंडक्टर की नौकरी कर ली। वहां से शुरू हुआ उनका सफ़र जिस मुकाम तक पहुंचा वो काफी प्रेरक है। कॉलेज की पढ़ाई पूरी करने के बाद सुनील दत्त की नौकरी एक एड एजेंसी में लग गयी जहां से उन्हें रेडियो सीलोन में रेडियो जॉकी बनने का मौका मिल गया। उद्घोषक के रूप में काम करते हुए वह काफी मशहूर भी हुए। एक सफल उद्घोषक के रूप में अपनी पहचान बनाने के बाद सुनील कुछ नया करना चाहते थे। उन्हें जल्द ही 1955 में बनी फिल्म ‘रेलवे स्‍टेशन’ में ब्रेक मिल गया। यह उनकी पहली फिल्म थी, जिसके दो साल बाद साल 1957 में आई 'मदर इंडिया' ने उन्हें बालीवुड का फिल्म स्टार बना दिया। 

अपने 40 साल लंबे करियर में दत्त ने 20 से ज्यादा फिल्मों में विलेन का किरदार निभाया है। उस रोल में भी वो खूब जंचते थे। डकैतों के जीवन पर बनी उनकी सबसे बेहतरीन फिल्म ‘मुझे जीने दो’ ने उन्हें साल 1964 का फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार भी दिलवाया। साल 1966 में उन्हें फिर से 'खानदान' फिल्म के लिये फिल्मफेयर का सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार प्राप्त हुआ। 1950 के आखिरी वर्षों से लेकर 1960 के दशक में उन्होंने हिन्दी फिल्म जगत को कई बेहतरीन फिल्में दीं जिनमें साधना (1958), सुजाता (1959), मुझे जीने दो (1963), गुमराह (1963), वक़्त (1965), खानदान (1965), पड़ोसन (1967) और हमराज़ (1967) आदि प्रमुख रूप से उल्लेखनीय हैं। 

आपको बता दें कि, सुनील दत्त और उनकी पत्नी नरगिस का जन्मदिन जून महीने के पहले हफ्ते में ही आता है।नरगिस का जयंती 1 जून को थी। 

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