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फौजियों के बीच अकेली सोहा

मुंबई। अभिनेत्री सोहा अली खान इन दिनों काफी खुश हैं। वे अपने परिवार वालों के साथ काफी वक्त बिता रही हैं। कुणाल खेमू के साथ भी उनके रिश्ते जग-जाहिर हो चुके हैं। इसके साथ ही वे अपने भैया-भाभी और मां के साथ खुशियां मना रही हैं। इन सबसे बड़ी एक और बात है। वह यह है कि सोहा का

By Edited By: Published: Wed, 09 Oct 2013 12:38 PM (IST)Updated: Wed, 09 Oct 2013 01:09 PM (IST)
फौजियों के बीच अकेली सोहा

मुंबई। अभिनेत्री सोहा अली खान इन दिनों काफी खुश हैं। वे अपने परिवार वालों के साथ काफी वक्त बिता रही हैं। कुणाल खेमू के साथ भी उनके रिश्ते जग-जाहिर हो चुके हैं। इसके साथ ही वे अपने भैया-भाभी और मां के साथ खुशियां मना रही हैं। इन सबसे बड़ी एक और बात है। वह यह है कि सोहा का करियर आगे बढ़ रहा है। उनकी फि ल्म 'वार छोड़ो न यार' रिलीज के लिए तैयार है। इस फिल्म की रिलीज के बाद उनकी अरशद वारसी के साथ वाली फिल्म 'कुछ भी करवा लो' रिलीज होगी। फि लहाल बात 'वार छोड़ो न यार' की करते हैं, तो इस फि ल्म में उनके साथ शरमन जोशी और जावेद जाफ री की अहम भूमिकाएं हैं।

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सोहा बताती हैं, यह किरदार अपने आप में खास है। मैं इसमें एक जर्नलिस्ट की भूमिका में हूं, जो वार फ्रंट पर रिपोर्टिग के लिए जाती है। उस दौरान युद्ध के साथ ही वहां के फौजियों के हास्य बोध और उनके जीने के अंदाज से भी परिचित होती है। इस फि ल्म की सबसे खास बात यह है कि मैं इस फि ल्म में अकेली लड़की हूं और बाकी सौ से अधिक फौजी हैं। इसमें डिफेंस मिनिस्टर भी हैं, जो हिंदुस्तान और पाकिस्तान दोनों देशों के हैं। मैं जब काम कर रही थी, तो बहुत सी ऐसी बातों को जाना और जानकर खुश हुई। मैंने इस वजह से भी अपने किरदार को खूब एंजॉय किया।

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इस किरदार को करने से पहले मुझे यह नहीं पता था कि जर्नलिस्टों का प्रेशर कैसा होता है और वे लोग अंट-शंट चीजें क्यों छापते हैं। लेकिन मुझे इस रोल को करते समय एहसास हुआ कि संपादकों का प्रेशर क्या होता है? हालांकि मैं 'मुंबई मेरी जान' में पहले भी जर्नलिस्ट का किरदार निभा चुकी हूं, लेकिन वह रोल इतना रिसर्च बेस्ड नहीं था। इस फि ल्म का किरदार पूरी तरह टिपिकल पत्रकार का है। उसके पास उसके चैनल से फ ोन आता है कि कुछ अच्छा कर के दिखाओ। ये वार में मरने-मारने वाली बात पुरानी हो चुकी है। अब यहां पर एक थिन लाइन थी उस पर चलकर मुझे अपना किरदार निभाना था और मैंने निभाया भी। यह सब फ राज की वजह से संभव हुआ। फ राज हैदर, जो फिल्म के निर्देशक हैं, उनके साथ काम करना मेरे लिए एक चैलेंज भी था और उन्हीं की वजह से मेरा काम आसान भी हुआ। चैलेंज इस वजह से क्योंकि फराज नए हैं और नए लोगों के साथ काम करना अपने आप में चैलेंज होता है। मैं पहले तैयार नहीं थी, लेकिन जब उन्होंने मुझे कहानी नैरेट की तो मैं सोचने पर मजबूर हो गई। मुझे एक बार यह भी सोचना पड़ा कि कहीं कुछ गलत न हो जाए इस फि ल्म को करने के बाद। लेकिन नहीं, मैंने खुद से बात की और समझ में आया कि मुझे यह फि ल्म करनी चाहिए। तब तक मुझे यह भी नहीं पता था कि जावेद भाई या शरमन जोशी जैसे एक्सपर्ट अभिनेता इस फि ल्म में काम कर रहे हैं।

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बात अगर नैरेशन की प्रक्रिया की हो रही है, तो मैं आपको बता दूं कि मैंने फ राज से कहा कि आप स्क्रिप्ट मुझे भेज दीजिए। मैंने यह बात इस वजह से कही थी, क्योंकि मैं पढ़ती बहुत तेजी से हूं। मैंने सोचा कि पढ़ लूंगी और नहीं पसंद आई तो फ राज को मना कर दूंगी, लेकिन उन्होंने मुझसे कहा कि घर आकर नैरेट करना है। ऐसे पढ़कर मुझे समझ में नहीं आएगा। वे घर आए और दो घंटे लगातार नैरेट करते रहे। मैंने तुरंत हां कर दी। उस समय मुझे यह भी अहसास हुआ कि फ राज के दिमाग में फि ल्म की कहानी स्पष्ट है। वो बॉर्डर पर जाकर आर्मी के लोगों से मिल चुके हैं। वे कभी भी किसी चीज को मिसफि ट नहीं होने देंगे। फ राज चूंकि थिएटर भी कर चुके हैं, तो उनको कहानी को संतुलित करना आता है और वे जानते हैं कि किस अभिनेता से कैसे और कितना काम निकलवाना है।

चूंकि यह फि ल्म एक वार की पृष्ठभूमि पर आधारित है, तो मैं थोड़ी सी इस बात को लेकर परेशान थी कि यह एक सेंसिटिव मसला है, जहां हिंदुस्तान-पाकिस्तान और वार की बात की जा रही है, लेकिन यकीन कीजिए, फि ल्म देखने के बाद आपके सारे गिले-शिकवे दूर हो जाएंगे। यह एक एंटी वॉर फि ल्म भी है। इसमें हम सबसे पहले अपने आप पर हंस रहे हैं और जब आदमी अपने आप पर हंसता है, तो शायद लोगों को उससे कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिए। फि ल्म के कुछ गानें और टीजर ऑन एयर हो चुके हैं। मुझे नहीं लगता कि किसी को कोई दिक्कत होगी। हां, पाकिस्तान में कुछ लोगों को दिक्कत जरूर हुई है, लेकिन वे लोग बिना किसी ठोस वजह के अपनी बात पहुंचाना चाह रहे हैं। मेरा मानना है कि जो लोग इस फि ल्म का विरोध करेंगे या करने वाले हैं उनको मेरा संदेश है कि जवानों की जिन समस्याओं पर इस फि ल्म में फ ोकस किया गया है, आप उन पर भी ध्यान दें। संभव है कि इससे उनके भ्रम टूटेंगे।

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