Exclusive: भाभी गीता बाली के भी दुलारे थे शशि, सिफारिश पर मिली थी कार
शशि ने हमेशा अपनी बातचीत में यह बात स्वीकारी है कि जिस दौर में उनकी फिल्में कामयाब नहीं हो रही थीं, तब उनके साथ कोई अभिनेत्री काम नहीं करना चाहती थीं।
अनुप्रिया वर्मा, मुंबई। शशि कपूर जहां अपने बड़े भाई राज कपूर से अधिक लिहाज करते थे लेकिन शम्मी कपूर के करीबी थे और उनसे भी ज़्यादा भाभी गीता बाली के तो वह दुलारे थे ही।
वेटरन जर्नलिस्ट रौफ अहमद बताते हैं कि शशि से भी कहीं अधिक प्यार गीता बाली ने उन्हें करती थीं। वह उनके दुलारे देवर बन गए थे। शादी के बाद शशि को कोई भी बात मनवानी होती थी तो वह शम्मी भईया से पहले भाभी को ही कहते थे। रौफ बताते हैं कि शशि कार के शौक़ीन थे और एक वक़्त जब उनकी बहुत चाहत हुई कि वह कोई नयी कार लें तो वह भाभी के पास गए। हालांकि गीता ने कहा कि उनके पास इतने पैसे नहीं हैं लेकिन गीता ने उन्हें राय दी कि आप जाकर भाई शम्मी को बोलिए कि मैंने आपको भेजा है और आपको वह कार के लिए पैसे भेज दें। ऐसे में जब शशि भाई के पास पहुंचे तो पहले तो शम्मी तैयार नहीं हुए लेकिन चूंकि वह गीता की बात से इनकार नहीं करते थे इसलिए उन्होंने शशि को कार खरीदने के लिए पैसे दे दिये। यही नहीं जब शशि और जेनिफ़र एक दूसरे से प्यार करने लगे थे तो शशि ने गीता ने सारी बातें शेयर की थीं और फिर परिवार के लोगों से यह बात गीता ने ही बताई थी। यही नहीं खुद गीता मुंबई से उटी उनकी शादी में शामिल होने पहुंची थीं। गीता बाली शशि को लेकर काफी प्रोटेक्टिव थीं। वह उनके साथ कभी मां तो कभी दोस्त की तरह बर्ताव करती थीं।
यह भी पढ़ें:चला गया बॉलीवुड का चुलबुला सितारा: अदाओं के जादूगर थे शशि कपूर
शशि के प्रोफेशनल व्यवहार के बारे में भी रौफ बताते हैं कि वह अपने कपूर परिवार के सदस्यों में से एक रहे हैं, जिन्होंने हमेशा वक़्त को काफी तवज्जो दी है। वह सेट पर कभी भी देरी से नहीं आते थे। यही वजह है कि उन्होंने थियेटर की दुनिया में भी एक अलग मुकाम हासिल किया। रौफ बताते हैं कि शशि कपूर स्टालिश माने जाते थे, क्योंकि वह हमेशा सेट पर फ्रेश नज़र आते थे और वेल ड्रेस्ड रहते थे।
यह भी पढ़ें:इनकी वजह से बलवीर कपूर बन गये शशि कपूर, ये भी कर गुजरे थे भाई शम्मी के प्रेम में
यही नहीं शशि ने हमेशा अपनी बातचीत में यह बात स्वीकारी है कि जिस दौर में उनकी फिल्में कामयाब नहीं हो रही थीं, तब उनके साथ कोई अभिनेत्री काम नहीं करना चाहती थीं। उस वक़्त नंदा ने उनके साथ ‘जब जब फूल खिले’ में काम किया और वह उनकी सफल फिल्मों में से एक रही और कमर्शियल सिनेमा में यह फिल्म शशि के लिए एक टर्निंग पॉइंट साबित हुई थी।