SETTERS: अब आफ़ताब शिवदसानी ने पहनी ख़ाकी यूनिफॉर्म, करेंगे शिक्षा माफ़िया का ख़ात्मा
Setters ट्रेलर में दिखाया गया है कि एग्ज़ाम माफ़िया वाराणसी में बैठकर ऑपरेट कर रहा है। एजुकेशन सिस्टम के लूप होल्स का फ़ायदा उठाते हैं।
मुंबई। किसी अच्छे कॉलेज से डिग्री लेकर एक अच्छी सी नौकरी ढूंढकर चैन की ज़िंदगी जीना हर मिडिल क्लास नौजवान का सपना होता है। नौकरी अगर सरकारी हो तो कहना ही क्या! ज़िंदगी भर की गारंटी हो जाती है। मगर, यह सपना देखना जितना आसान है, इसे हक़ीक़त में बदलना उतना ही मुश्किल।
इस ख़्वाब की ताबीर के लिए नौजवान क्या-क्या नहीं करते और कई बार ज़िंदगी आसान करने की कोशिश, इसे मुश्किल बना देती है। फ़िल्ममेकर अश्विनी चौधरी की फ़िल्म Setters नौजवानों की ऐसी ही आकांक्षाओं, महत्वाकांक्षाओं, निराशाओं और संघर्षों के साथ देश में फलफूल रहे शिक्षा और रोज़गार माफ़ियाओं की खुली तस्वीर पेश करती है। फ़िल्म की कहानी के केंद्र में शिक्षा और रोज़गार के क्षेत्रों में काम कर रहे ऐसे रैकेट और स्कैम हैं, जिन्होंने नौजवानों के सबसे हसीन सपनों के साथ खिलवाड़ किया है। इनके झांसों में आकर ज़िंदगियां तबाह हो जाती हैं। सेटर्स का ट्रेलर 11 अप्रैल को इंटरनेट पर रिलीज़ किया गया है और इसे काफ़ी पसंद किया जा रहा है।
ट्रेलर में दिखाया गया है कि एग्ज़ाम माफ़िया वाराणसी में बैठकर ऑपरेट कर रहा है। एजुकेशन सिस्टम के लूप होल्स का फ़ायदा उठाकर ये पब्लिक एग्ज़ाम का पेपर सेट करवाने का काम करते हैं। ये माफ़िया पब्लिक एग्ज़ाम में डुप्लीकेट कैंडिडेट बैठाकर ख़ूब दौलत कमाते हैं। इस सेटर्स को दिक्कत तब आती है, जब एक ईमानदार पुलिस अफ़सर इनके पीछे पड़ जाता है। फ़िल्म की कहानी वाराणसी, मुंबई, जयपुर और दिल्ली में सेट की गयी है।
अश्विनी के मुताबिक़, फ़िल्म की कहानी वास्तविक घटनाओं से प्रेरित है। फ़िल्म ऐसे माफ़ियाओं की मॉडस ऑपरेंडी यानि स्कैम को अंजाम देने के तरीक़े को एक्सपोज़ करती है। ये माफ़िया इतना ताक़तवर हो चुका है कि इसने एक समानांतर व्यवस्था कायम कर ली है, जो पैसे और पॉवर के दम पर ख़ुद को बचाये रखता है।
सेटर्स में इंडस्ट्री के बेहतरीन कलाकारों की जमात देखने को मिलेगी। आफ़ताब शिवदसानी पुलिस अफ़सर की भूमिका में हैं। श्रेयस तलपड़े, पवन मल्होत्रा, विजय राज़, सोनाली सैगल और इशिता दत्ता भी अहम भूमिकाओं में दिखेंगे। सेटर्स 3 मई को रिलीज़ हो रही है।