अपनी जिंदगी को ऐसे जीती हैं सारा अली खान, कहा- 'मैं पूरी तरह से अतरंगी हूं'
अभिनेत्री सारा अली खान जल्द ही आनंद एल. राय के निर्देशन में बनी फिल्म ‘अतंरगी रे’ में देसी लुक में नजर आएंगी। फिल्म अतरंगी रे को लेकर संवाददाता से खास बात चीत को दौरान खुद को पूरी तरह से अतरंगी बताया है।
स्मिता श्रीवास्तव, मुंबई। अभिनेत्री सारा अली खान जल्द ही आनंद एल. राय के निर्देशन में बनी फिल्म ‘अतंरगी रे’ में देसी लुक में नजर आएंगी। डिज्नी प्लस हाटस्टार पर रिलीज हो रही इस फिल्म को लेकर उत्साहित सारा अली खान से स्मिता श्रीवास्तव की बातचीत के अंश...
वर्ष के अंत में आपकी फिल्म आ रही है। यह वर्ष कैसा रहा?
यह वर्ष तो बहुत अलग रहा। पता नहीं, बस चला गया। एक चीज अच्छी हुई कि आनंद जी हर उस समय मेरे पास फिल्म का शेड्यूल लेकर आए जब मुझे काम की सबसे ज्यादा जरूरत थी। ‘लव आज कल-2’ की रिलीज के तुरंत बाद यह फिल्म शुरू हुई थी। बहरहाल, इस साल बहुत सारी चीजें सीखीं। मैंने मेडिटेशन शुरू कर दिया। फिलहाल ओमिक्रोन को लेकर कुछ तनाव में हूं, लेकिन मैंने सीख लिया है कि प्रेजेंट मोमेंट में कैसे रहना है।
आप अक्सर धार्मिक स्थलों पर जाती हैं जबकि ज्यादातर कलाकार फिल्म की रिलीज पर ही वहां जाते हैं...
मुझे धार्मिक स्थलों पर जाना बहुत पसंद है। चाहे वह केदारनाथ, स्वर्ण मंदिर हो या अजमेर शरीफ। मुझे सभी धार्मिक स्थलों पर एक जैसी फीलिंग आती है। मुझे नेचर से भी बहुत ज्यादा प्यार है। केदारनाथ तो मेरे लिए बहुत स्पेशल है। वहां मेरी पहली फिल्म शूट हुई थी। उसके साथ बहुत सारे इमोशंस जुड़े हैं। मुझे भारत में अलग-अलग जगहों पर जाना बहुत पसंद है।
हर वर्ष पहले से योजना बनाकर रखती हैं कि कहां घूमने जाना है?
नहीं। सब अचानक से प्लान होता है। ऐसा नहीं है कि मैं सिर्फ तीर्थ यात्रा पर जाती हूं। मुझे अलग-अलग मिजाज के स्थलों पर जाना अच्छा लगता है। मैं लद्दाख और उदयपुर भी गई हूं। लद्दाख के मठों में बहुत एनर्जी है।
आनंद एल. राय के साथ काम का अनुभव कैसा रहा?
मुझे आनंद जी के साथ काम करके बहुत मजा आया। वे अपनी फिल्मों की अभिनेत्रियों को बहुत मासूमियत और नजाकत से पेश करते हैं। मुझे खुशी है कि आखिरकार मैं उनके साथ फिल्म कर रही हूं। उन्होंने मुझे अपने आप से दोबारा प्यार करना सिखाया। ‘लव आज कल-2’ की असफलता के बाद बहुत हिल गई थी। ‘लव आज कल-2’ की रिलीज के दस दिन बाद मैं बनारस में ‘अतरंगी रे’ शूट कर रही थी। आनंद जी ने कहा कि आप कान्फिडेंस लूज न करें। हमने एक कान्फिडेंट लड़की को ही साइन किया है। आज भी वह बात याद करके इमोशनल हो जाती हूं कि उन्होंने किस तरह से मेरा मनोबल बढ़ाया था।
असफलता के क्षणों में खुद को संभालना मुश्किल था?
बिल्कुल। वो ही आपकी लाइफ के डिफाइनिंग मोमेंट होते हैं। मैं नकारने में यकीन नहीं रखती हूं। दर्शकों को फिल्म पसंद नहीं आई तो नहीं आई। क्यों पसंद नहीं आई, उसको जानना जरूरी है। अभी भी मैं मानती हूं कि इम्तियाज अली बेहतरीन निर्देशक हैं। उनके साथ काम करके मैंने बहुत कुछ सीखा, लेकिन मुझसे कहीं न कहीं चूक हुई। उसे सही करना मेरा कर्तव्य है और वही करना चाहती हूं।
‘अतरंगी रे’ क्या कहना चाहती है?
मैं इतना ही बताऊंगी कि आपको जो भी अतरंगी लगता है वह सब इसमें मिलेगा। मैं यह जरूर कहना चाहूंगी कि आनंद जी को इस फिल्म का ट्रेलर तैयार करने के लिए स्पेशल अवार्ड मिलना चाहिए। इस फिल्म में बिहार और दक्षिण भारतीय संस्कृति को दिखाया गया है।
दोनों संस्कृतियों को आप कितना जानती हैं?
साउथ इंडियन कल्चर तो मैं ज्यादा नहीं जानती हूं। मेरा किरदार रिंकू भी नहीं जानता है। वह भी अपनी सगाई वाले दिन पहली बार साउथ इंडिया गई है। वैसे इस फिल्म में सबसे मजेदार चीज यह लगी कि यहां डायलेक्ट और डायलाग पर ज्यादा जोर नहीं था। भले ही डायलाग बहुत ट्रिकी हैं, लेकिन यहां बात बाडी लैंग्वेज की है।
जाह्नवी कपूर के साथ आप केदारनाथ की यात्रा पर गई थीं। उनके साथ कैसी दोस्ती है?
हम दोनों एक ही समय में एक ही इंडस्ट्री में काम कर रहे हैं तो तुलना होना लाजिमी है, लेकिन मुझे लगता है कि हम दोनों काफी अलग हैं और खुद को लेकर काफी सिक्योर हैं। दूसरी बात यह है कि उसके अपने दोस्त हैं और मेरे अपने। भविष्य को लेकर मेरी बहुत उम्मीदें और सपने हैं। कोविड के चलते हमने अपना एक साल खो दिया। यह बात जाह्नवी से बेहतर कोई नहीं समझता। हम दोनों बेस्टफ्रेंड नहीं हैं, लेकिन हमारी बांडिंग इस वजह से हुई है क्योंकि हम दोनों युवा हैं और करियर को लेकर महत्वाकांक्षी हैं। यह मेरे लिए अधिक महत्वपूर्ण है।
आप किन चीजों को लेकर अतरंगी हैं?
सच कहूं तो मैं पूरी तरह अतरंगी हूं। लाइफ को जीने के लिए यह बहुत जरूरी है वरना साधारण जीवन बहुत बोरिंग हो जाता है। मुझे लगता है कि मैं बिना सोचे-समझे कुछ भी बोल देती हूं, जो कि रिफ्रेशिंग भी होता है, पर कभी-कभी दिक्कत भी उत्पन्न कर देता है। मेरा सेंस आफ ह्यूमर और कपड़ों को लेकर पसंद भी काफी अतरंगी है। मैं हर जगह सलवार-कमीज पहनती हूं तो लोगों को बड़ा अजीब लगता है। वैसे मेरा यह भी मानना है कि अगर आप अतरंगी नहीं हैं तो भी चलेगा मगर खुद को लेकर ईमानदार रहें, वह मायने रखता है।