दो साल की इस एक्ट्रेस पर बनी फिल्म पीहू को मिले बड़े निर्माता
रॉनी स्क्रूवाला ने कहा,'पीहू एक ऐसी फिल्म है जोकि 90 मिनट तक दर्शकों को उनकी सीट से बांधे रखेगी।
रुपेशकुमार गुप्ता, मुंबई। पत्रकार से फिल्मकार बने विनोद कापड़ी की फिल्म पीहू को दर्शकों के सामने ले जाने के लिए अब रॉनी स्क्रूवाला और सिद्धार्थ रॉय कपूर जैसे बड़े निर्माता आगे आये हैं और इस कारण अब ये फिल्म तीन अगस्त को सिनेमाघरों में आ जायेगी।
पीहू, एक दो साल की बच्ची के एक कमरे में अकेले बंद हो जाने की कहानी है, जिसे विनोद कापड़ी ने डायरेक्ट किया है। इस फिल्म में इतना रहस्य और रोमांच है की दर्शकों के रोंगटे खड़े हो जाते है। सिद्धार्थ रॉय कपूर के मुताबिक “मुझे ऐसे निर्देशकों के साथ काम कर सदैव रोमांच का अनुभव होता है जोकि दर्शकों को फिल्मों के माध्यम से ऐसी कहानी बताते है। ये अन्य फिल्मों से बहुत ही अलग होती है। फिल्म 'पीहू' इसी प्रकार की फिल्म है, जोकि दर्शकों को एक अलग प्रकार के रोमांच का अनुभव कराएगी। इसकी अन्य विशेषता यह है कि इसकी मुख्य कलाकार मात्र 2 वर्ष की एक छोटी बच्ची है। विनोद कापड़ी का ऐसी फिल्म के माध्यम से मनोरंजन करना असामान्य बात है। हम जल्द फिल्म दर्शकों तक लेकर आयेंगे”। वही इस बारे में रॉनी स्क्रूवाला ने कहा,'पीहू एक ऐसी फिल्म है जोकि 90 मिनट तक दर्शकों को उनकी सीट से बांधे रखेगी। ये एक वास्तविक कहानी है और लोगों को पसंद आएगी।' वही फिल्म के निर्देशक विनोद कापड़ी का कहना है,'मुझे अभी तक इस बात का विश्वास नहीं हो रहा है कि मेरी फिल्म को इतने बड़े निर्माता प्रस्तुत कर रहे हैं। अब मैं निश्चिंत हूँ क्योंकि मेरी फिल्म अब सही हाथों में है।' यह फिल्म 3 अगस्त को रिलीज होगी।
कुछ दिनों पहले जागरण डॉट कॉम से बातचीत में विनोद कापड़ी ने बताया था कि इस फिल्म को बनाना वाकई बहुत मुश्किल था। कई बार फिल्म को कई निर्माताओं ने भी पसंद नहीं किया लेकिन फिल्म बनी है और उनके ख्याल से बहुत अच्छी बनी है। फिल्म शूट करते समय दो साल की बच्ची के साथ काम करना वाकई बहुत मुश्किल था। कई सीन हमने उसे चॉकलेट और खिलौनों का लालच देकर शूट किये है। उन्होंने बताया था कि जब फिल्म को लेकर शुरूआत की थी तो सबसे बड़ी चुनौती यही थी कि दो साल की बच्ची से अभिनय कैसे करवाएंगे। चूंकि कहानी तो दिमाग में क्लीअर थी। यह पता था कि दो साल की बच्ची के साथ फिल्म करने जा रहे हैं जो कि असंभव सा है। स्क्रीनप्ले लिख दिया था। फिर एक समय लगा कि गलत कर रहा हूं, क्योंकि लगभग 44 साल का आदमी एक बच्चे के दिमाग में जाकर कहानी लिखने की कोशिश कर रहा है। इसके बाद प्लान किया कि 6 महीने तक उस बच्ची के पास रहेंगे।
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