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पुण्यतिथि पर याद आये ‘काका’, जानिए राजेश खन्ना से जुड़ी कुछ अनोखी कहानियां

फ़िल्म में काम मांगने के लिए राजेश खन्ना के ऑफिस में अक्षय कुमार भी गए थे। काका ने घंटों उन्हें बिठाए रखा और बाद में उनसे मिले भी नहीं..बाद में अक्षय उनके दामाद बने!

By Hirendra JEdited By: Published: Wed, 18 Jul 2018 09:09 AM (IST)Updated: Thu, 19 Jul 2018 06:07 AM (IST)
पुण्यतिथि पर याद आये ‘काका’, जानिए राजेश खन्ना से जुड़ी कुछ अनोखी कहानियां
पुण्यतिथि पर याद आये ‘काका’, जानिए राजेश खन्ना से जुड़ी कुछ अनोखी कहानियां

मुंबई। 18 जुलाई को हिंदी सिनेमा के पहले सुपरस्टार राजेश खन्ना की पुण्यतिथि होती है। 6 साल हो गए राजेश खन्ना को इस दुनिया को अलविदा कहे लेकिन, वो अपनी फ़िल्मों और निभाए गए किरदारों से हमेशा अपने चाहने वालों के दिलों पर राज करते रहेंगे। क्योंकि 'आनंद' मरा नहीं करते! राजेश खन्ना को रोमांटिक हीरो के रूप में बेहद पसंद किया गया। उनकी आंख झपकाने और गर्दन टेढ़ी करने की अदा के लोग दीवाने थे। उनका हर स्टाइल फेमस हुआ और एक दौर ऐसा था कि कई लोगों ने उनके जैसे कुर्त्ते सिलवाये थे।

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राजेश खन्ना की 'आराधना', 'सच्चा झूठा', 'कटी पतंग', 'हाथी मेरे साथी', 'महबूब की मेहंदी', 'आनंद', 'आन मिलो सजना', 'आपकी कसम' जैसी फ़िल्मों ने कमाई के नए कीर्तिमान स्थापित किये। 'आराधना' फ़िल्म का गाना ‘मेरे सपनों की रानी कब आयेगी तू...’ उनके करियर का सबसे बड़ा हिट गीत माना जाता है। 'आनंद' राजेश खन्ना की सर्वश्रेष्ठ फ़िल्म मानी जा सकती है, इसमें उन्होंने कैंसर से ग्रस्त ज़िन्दादिल युवक की भूमिका निभाई थी। आइये जानते हैं उनकी लाइफ के कुछ दिलचस्प किस्से!

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राजेश खन्ना की अभिनय के सब कायल थे। उनका वास्तविक नाम जतिन खन्ना था। अपने अंकल के कहने पर उन्होंने नाम अपना नाम बदल कर राजेश खन्ना कर लिया। 1969 से 1975 के बीच राजेश ने कई सुपरहिट फ़िल्में दीं। उनका करिश्मा कुछ ऐसा था कि उस दौर में पैदा हुए ज्यादातर लड़कों के नाम राजेश रखे गए। फ़िल्म इंडस्ट्री में राजेश को प्यार से काका कहा जाता था। जब वे सुपरस्टार थे तब एक कहावत बड़ी मशहूर हुई- 'ऊपर आका और नीचे काका'।

क्या आप जानते हैं जब राजेश खन्ना फ़िल्म में काम पाने के लिए निर्माताओं के दफ्तर के चक्कर लगा रहे थे, एक स्ट्रगलर होने के बावजूद वो इतनी महंगी कार में फ़िल्म निर्माताओं के पास जाते थे कि उस दौर के हीरो के पास भी वैसी कार नहीं हुआ करती थी। बहरहाल, बाद में उनके स्टारडम के दिन भी शुरू हुए। लड़कियों के बीच राजेश खन्ना बेहद लोकप्रिय हुए। लड़कियों ने उन्हें खून से खत लिखे। उनकी फोटो से शादी तक कर ली। कई लड़कियां उनका फोटो तकिये के नीचे रखकर सोती थी। स्टुडियो या किसी निर्माता के दफ्तर के बाहर राजेश खन्ना की सफेद रंग की कार रुकती तो लड़कियां उस कार को ही चूम लेतीं। कहा जाता है कि लिपिस्टिक के निशान से उनकी सफेद रंग की कार गुलाबी हो जाया करती थी।

निर्माता-निर्देशक राजेश खन्ना के घर के बाहर लाइन लगाए खड़े रहते थे। वे मुंह मांगे दाम चुकाकर उन्हें साइन करना चाहते थे। पाइल्स के ऑपरेशन के लिए एक बार राजेश खन्ना को अस्पताल में भर्ती होना पड़ा। अस्पताल में उनके इर्द-गिर्द के कमरे निर्माताओं ने बुक करा लिए ताकि मौका मिलते ही वे राजेश को अपनी फ़िल्मों की कहानी सुना सके।

राजेश खन्ना की सफलता के पीछे संगीतकार आर.डी बर्मन और गायक किशोर कुमार का भी अहम योगदान रहा। इस तिकड़ी के अधिकांश गीत हिट साबित हुए और आज भी सुने जाते हैं। किशोर ने 91 फ़िल्मों में राजेश को आवाज दी तो आर डी ने उनकी 40 फ़िल्मों में संगीत दिया। अपनी फ़िल्मों के संगीत को लेकर राजेश हमेशा सजग रहते थे। वे गाने की रिकॉर्डिंग के वक्त स्टुडियो में रहना पसंद करते थे और अपने सुझावों से संगीत निर्देशकों को अवगत कराते थे।

रोमांटिक हीरो राजेश दिल के मामले में भी रोमांटिक रहे। अंजू महेन्द्रू से उनके अफेयर के किस्से सरेआम थे। लेकिन, फिर उनसे उनका ब्रेकअप हो गया। ब्रेकअप की वजह दोनों ने कभी नहीं बताई। बाद में अंजू ने क्रिकेट खिलाड़ी गैरी सोबर्स से सगाई कर सभी को चौंका दिया। इसके बाद राजेश खन्ना ने अचानक डिंपल कपाड़िया से शादी कर करोड़ों लड़कियों के दिल तोड़ दिए। डिंपल ने 'बॉबी' फ़िल्म से सनसनी फैला दी थी। हुआ यह था कि एक दिन समुंदर किनारे चांदनी रात में डिंपल और राजेश साथ घूम रहे थे। अचानक उस दौर के सुपरस्टार राजेश ने कमसिन डिंपल के आगे शादी का प्रस्ताव रख दिया जिसे वो ठुकरा नहीं पाईं। शादी के वक्त डिंपल की उम्र राजेश से लगभग आधी थी। राजेश-डिंपल की शादी की एक छोटी-सी फ़िल्म उस समय देश भर के थिएटर्स में फ़िल्म शुरू होने के पहले दिखाई गई थी। लोग उनकी शादी की फ़िल्म देखने सिनेमा हॉल में खिंचे चले जाते।

बाद में वो तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी के कहने पर राजनीति में भी आए। कांग्रेस की तरफ से कुछ चुनाव भी उन्होंने लड़े। जीते भी और हारे भी। लालकृष्ण आडवाणी को उन्होंने चुनाव में कड़ी टक्कर दी और शत्रुघ्न सिन्हा को हराया भी। बाद में उनका राजनीति से मोहभंग हो गया।

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बहुत पहले ‘जय शिव शंकर’ फ़िल्म में काम मांगने के लिए राजेश खन्ना के ऑफिस में अक्षय कुमार गए थे। काका ने घंटों उन्हें बिठाए रखा और बाद में उनसे मिले भी नहीं। उस दिन कोई सोच भी नहीं सकता था कि यही अक्षय एक दिन काका के दामाद बनेंगे। कहा जाता है कि राजेश खन्ना ने बहुत सारा पैसा लॉटरी चलाने वाली एक कंपनी में लगा रखा था जिसके जरिये उन्हें बहुत आमदनी होती थी। काका का कहना था कि वे अपनी ज़िन्दगी से बेहद खुश हैं और उन्हें दोबारा मौका मिला तो वे फिर राजेश खन्ना बनना चाहेंगे और वही गलतियां दोहराएंगे।


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