Move to Jagran APP

Panipat Controversy: 'पानीपत' को लेकर जानिए क्यों मच इतना बवाल, विवाद से जुड़े हर पहलू की पड़ताल

PANIPAT Controversy राजस्थान के कई सिनेमाघरों में फ़िल्म के प्रदर्शन को रोक लगा दी गयी। अब फ़िल्म के विरोध ने राजनीतिक रंग भी ले लिया है और फ़िल्म पर बैन लगाने की मांग लोकसभा तक पहुंच चुकी है।

By Manoj VashisthEdited By: Published: Thu, 12 Dec 2019 12:27 PM (IST)Updated: Fri, 13 Dec 2019 07:40 PM (IST)
Panipat Controversy: 'पानीपत' को लेकर जानिए क्यों मच इतना बवाल, विवाद से जुड़े हर पहलू की पड़ताल
Panipat Controversy: 'पानीपत' को लेकर जानिए क्यों मच इतना बवाल, विवाद से जुड़े हर पहलू की पड़ताल

नई दिल्ली [मनोज वशिष्ठ ]। देश में ऐतिहासिक फ़िल्मों और विवादों का लम्बा इतिहास रहा है। अक्सर देखा गया है कि इतिहास के पन्नों से निकली कहानियों पर जब-जब कोई फ़िल्म आयी, उसे किसी ना किसी विवाद का सामना करना पड़ा है। कभी कहानी तो कभी किसी किरदार को लेकर समाज के किसी हिस्से या समुदाय ने आपत्ति जताई है। निर्देशक आशुतोष गोवारिकर की हालिया रिलीज़ फ़िल्म 'पानीपत' भी एक ऐसे ही विवाद में फंस गयी है, जिसकी कल्पना फ़िल्म की रिलीज़ से पहले शायद ही किसी ने की होगी। 

loksabha election banner

फ़िल्म में जाट महाराजा सूरजमल के चित्रण को लेकर जाट समुदाय 'पानीपत' का तगड़ा विरोध कर रहा है। राजस्थान, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों में फ़िल्म के ख़िलाफ़ विरोध-प्रदर्शन किये जा रहे हैं। जयपुर के एक सिनेमाघर में तोड़फोड़ का मामला भी सामने आ चुका है। राजस्थान के कई सिनेमाघरों में फ़िल्म के प्रदर्शन को रोक लगा दी गयी। अब फ़िल्म के विरोध ने राजनीतिक रंग भी ले लिया है और फ़िल्म पर बैन लगाने की मांग लोकसभा तक पहुंच चुकी है।

इस पूरे विवाद को समझने और इसके पीछे के कारण जानने के लिए हमने फ़िल्म के ख़िलाफ़ आंदोलन की अगुवाई कर रहे सांसद और राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के संस्थापक हनुमान बेनीवाल, राजस्थान सरकार के पर्यटन मंत्री महाराजा विश्वेंद्र सिंह और इतिहासकार डॉ. रितेश्वर नाथ तिवारी से संपर्क किया।

क्या है ‘पानीपत’ का पूरा विवाद

‘पानीपत’ फ़िल्म वैसे तो मराठाओं और अफ़गानी आक्रमणकारियों के बीच 1761 में हुई 'पानीपत की तीसरी लड़ाई' की कहानी दिखाती है, मगर विवाद की चिंगारी भरतपुर के महाराजा सूरजमल के सिनेमाई चित्रण को लेकर भड़की है। फ़िल्म में दिखाया गया है कि जाट महाराजा सूरजमल अफ़गान शासक अहमद शाह अब्दाली के विरुद्ध लड़ाई में मराठाओं का साथ देने की एवज में आगरा के क़िले की मांग रख देते हैं, जिसे ठुकरा देने पर वो मराठाओं की मदद नहीं करते।

फ़िल्म में दिखाये गये इसी प्रसंग से जाट समुदाय और राजा सूरजमल के वंशज ख़फ़ा हैं, जिसके चलते फ़िल्म का जयपुर समेत राजस्थान के कई इलाक़ों में विरोध किया जा रहा है। 

क्या कहते हैं ‘पानीपत’ का विरोध करने वाले

'पानीपत' का विरोध कर रहे लोगों का कहना है कि महाराजा सूरजमल की भूमिका को फ़िल्म में ग़लत ढंग से चित्रित किया गया है। 'पानीपत' को लेकर विवाद बढ़ा तो इसकी गूंज लोकसभा में भी सुनाई दी। शून्यकाल के दौरान नागौर से सांसद और राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के संस्थापक हनुमान बेनीवाल फ़िल्म को बैन करने की मांग उठा चुके हैं।

जागरण डॉट कॉम से बात करते हुए हनुमान बेनीवाल ने कहा- ''पानीपत फ़िल्म में भरतपुर के महाराजा सूरजमल को जिस तरह सौदेबाज़ी करते हुए दिखाया गया है, वो ग़लत है। मुगलों के ख़िलाफ़ लड़ाइयों में राजस्थान का लम्बा इतिहास रहा है। जाट समुदाय ने कई लड़ाइयों में अहम योगदान दिया है। महाराजा सूरजमल के फ़िल्म में चित्रण से तमाम हिंदुओं की भावनाएं आहत हुई हैं।''

बेनीवाल ने आगे कहा कि सेंसर बोर्ड को इन बातों का ध्यान रखना चाहिए कि किसी भी वर्ग की भावनाओं को ठेस ना पहुंचे। उन्होंने कहा कि व्यस्तता की वजह से अभी फ़िल्म नहीं देख सके हैं, लेकिन विवाद के बारे में उन्हें बताया गया है। अगर निर्माता-निर्देशक माफ़ी मांग लें और विवादित दृश्य फ़िल्म से हटा लें तो राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी आंदोलन वापस ले लेगी। मामले को लेकर सांसद ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह से मुलाक़ात का समय मांगा है।

महाराजा सूरजमल की चौदहवीं पीढ़ी के वंशज व राजस्थान सरकार में पर्यटन मंत्री विश्वेंद्र सिंह का कहना है कि पानीपत की लड़ाई में जब मराठा सैनिक घायल होकर लौट रहे थे तो महाराजा सूरजमल और महारानी किशोरी ने 6 महीनों तक उन्हें पनाह दी थी। अपने ट्वीट में उन्होंने फ़िल्म को बैन करने की मांग की है।

इस विवाद पर राजस्थान के मुख्य मंत्री अशोक गहलोत और बॉलीवुड एक्टर रणदीप हुड्डा भी अपनी बात रख चुके हैं।

क्या कहते हैं इतिहासकार

जय प्रकाश विश्वविद्यालय, छपरा के इतिहास विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. रितेश्वर नाथ तिवारी ने हमारे सहयोगी रजत सिंह से बातचीत में बताया कि पानीपत युद्ध में मराठाओं को मदद के बदले भरतपुर के राजा सूरजमल द्वारा आगरे के किले की मांग करते दिखाया जाना ग़लत तथ्य है।

सूरजमल के युद्ध में साथ ना देने के पीछे कई अन्य कारण थे। सूरजमल ने मराठा सेनापति सदाशिव राव भाऊ से कहा था कि यह समय अफ़गानों से युद्ध करने के लिए उचित नहीं है। हमारी सेना ठंड के मौसम में युद्ध करने के लिए सहज नहीं है। वहीं, पानीपत का युद्ध 14 जनवरी, 1761 को हुआ था। इस समय संक्राति या वैसाखी का त्यौहार मनाया जाता है। चूंकि उस समय सेना में किसान भी बड़ी संख्या में होते थे, इसलिए भी सूरजमल उस समय युद्ध लड़ने को तैयार नहीं थे। मराठा सेनापति सदाशिव राव ने यह बात नहीं मानी। 

rediff.com पर प्रकाशित इस मैप से जानिए कहां-कहां हुई पानीपत की लड़ाई- 

डॉ. तिवारी के अनुसार, राजा सूरजमल के चरित्र को लेकर कवि सूदन की किताब सुजान चरित्र में जिक्र किया गया है। सूरजमल ने पानीपत की हार के बाद मराठाओं को शरण दी थी। उन्होंने ना सिर्फ शरण दी बल्कि अनाज भी दिया। कहा जाता है कि राजा सूरजमल ने उन सैनिकों के वापसी की व्यवस्था की थी। वापसी के समय उन्होंने हर सैनिक को 1 रुपया और 1 मन अनाज दिया था। जिस पर उस समय करीब 20 लाख का खर्च आया होगा।

हिस्टोरिकल फ़िल्मो को लेकर डॉ. तिवारी कहते हैं कि ऐसे मामलों में फ़िल्ममेकर्स को इतिहासकारों से बात करनी चाहिए। इतिहास का लेखन कभी पूर्ण नहीं होता है। हमेशा दो पक्ष होते हैं, जिनमें सामंजस्य होना ज़रूरी है। वहीं, फ़िल्ममेकर्स को लोकल सेंटीमेंट्स का ख्याल भी रखना चाहिए।

क्या कहना है पानीपत बनाने वाले प्रोडक्शन हाउस का

पानीपत को लेकर बढ़ते बवाल के बीच निर्माता कंपनी आशुतोष गोवारिकर प्रोडक्शंस ने जाट समुदाय को एक स्पष्टीकरण भेजा है, जिसमें कहा गया है कि महाराजा सूरजमल नेशनल हीरो हैं। हमारी फिल्म में उनके किरदार को लेकर ऐसी कोई मंशा नहीं थी। हमने फिल्म के शुरुआत में डिस्क्लेमर दिए हैं। महाराजा सूरजमल ने मराठाओं की मदद की। उन्हें राशन सामग्री सहित अन्य जरूरी सामान उपलब्ध कराए। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि महाराजा सूरजमल लंबे चैड़े थे इसलिए हमने उनके कद को ध्यान में रखते हुए उसी के अनुसार छह फुट लंबे एक्टर को चुना। हालांकि जाट समुदाय के नेता इस जवाब से संतुष्ट नहीं हैं। उधर, जागरण डॉट कॉम ने आशुतोष गोवारिकर से उनकी प्रतिक्रिया लेने के लिए सम्पर्क किया तो उन्होंने फिलहाल कुछ भी कहने से इंकार कर दिया।

ऐतिहासिक फ़िल्मों पर पहले भी होता रहा है बवाल

पद्मावत- संजय लीला भंसाली निर्देशित फ़िल्म रिलीज़ से पहले लम्ब समय तक विवादों में रही थी। राजस्थान के कछ संगठनों को संदेह था कि फ़िल्म में चित्तौड़ की महारानी पद्मावती और दिल्ली सल्तनत के सुल्तान अलाउद्दीन खिलजी के बीच प्रेम प्रसंग दिखाया गया है। इसको लेकर देशव्यापी प्रदर्शन भी हुए।

कई महीनों तक चले विवाद की वजह से फ़िल्म की रिलीज़ डेट बदली गयी थी। फ़िल्म का नाम पद्मावती से बदलकर पद्मावत कर दिया गया। हालांकि रिलीज़ के बाद इन सारी शंकाओं का समाधान हो गया, क्योंकि फ़िल्म में ऐसा कोई दृश्य नहीं था, जिसमें अलाउद्दीन खिलजी और रानी पद्मावती को एक साथ दिखाया गया हो।

बाजीराव मस्तानी- दीपिका पादुकोण, प्रियंका चोपड़ा और रणवीर सिंह स्टारर फ़िल्म बाजीराव-मस्तानी भी विवादों का समाना कर चुकी है। इस फ़िल्म में मराठा नायक बाजीराव की कहानी दिखाई गई थी। इसमें उनकी दूसरी पत्नी मस्तानी को लेकर विवाद हुआ था।

बाजीराव पेशवा और मस्तानी की नौवीं पीढ़ी के वंशज नवाब आवेस बहादुर ने इस फ़िल्म को लेकर आपत्ति जताई थी। वहीं, फ़िल्म में पिंगा-पिंगा गाने में मस्तानी के डांस को लेकर भी आपत्ति जताई गयी थी। बाजीराव-मस्तानी की सातवीं पीढ़ी के वंशज तमकीन बहादुर ने इस फ़िल्म पर रोक लगाने के लिए हाईकोर्ट की इंदौर बैंच में अपील की थी। हालांकि, हाईकोर्ट ने फ़िल्म पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था।

जोधा अकबर- आशुतोष गोवारिकर की फ़िल्म जोधा-अकबर को लेकर भी राजस्थान में काफी विवाद हुआ था। रितिक रोशन और एश्वर्या राय बच्चन स्टारर इस फ़िल्म को लेकर राजपूत समाज ने आपत्ति जताई थी। उस वक्त करणी सेना नाम का संगठन इसके विरोध में आया था।

फ़िल्म में राजस्थान की राजकुमारी जोधा और मुगल बादशाह अकबर के बीच प्रेम को फ़िल्माया गया है। करणी सेना का दावा था कि जोधा कभी अकबर की पत्नी थी ही नहीं। इस मामले को लेकर काफी प्रदर्शन हुए थे। हालांकि, जयपुर का राजपरिवार इस फ़िल्म के समर्थन में था।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.