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'पद्मावती' के सेट से चितौड़गढ़ क़िले तक पहुंचा विरोध, पद्मिनी महल में तोड़फोड़

संगठन ने 27 जनवरी को संजय लीला भंसाली की फ़िल्म पद्मावती की शूटिंग में हंगामा किया था और शूटिंग के उपकरण तोड़ने के साथ भंसाली के साथ मारपीट की थी।

By मनोज वशिष्ठEdited By: Published: Mon, 06 Mar 2017 03:13 PM (IST)Updated: Mon, 06 Mar 2017 04:08 PM (IST)
'पद्मावती' के सेट से चितौड़गढ़ क़िले तक पहुंचा विरोध, पद्मिनी महल में तोड़फोड़
'पद्मावती' के सेट से चितौड़गढ़ क़िले तक पहुंचा विरोध, पद्मिनी महल में तोड़फोड़

मुंबई। रानी पद्मिनी को लेकर एक राजपूत संगठन का गुस्सा थमने का नाम नहीं ले रहा। संगठन के सदस्यों ने पहले जयपुर में संजय लीला भंसाली की फ़िल्म 'पद्मावती' के सेट पर तोड़फोड़ की थी। अब ख़बर आ रही है कि संगठन के कुछ सदस्यों ने चित्तौड़गढ़ क़िले में स्थित रानी पद्मिनी के महल में घुसकर वो इतिहास प्रसिद्ध शीशे तोड़ डाले हैं, जिनके ज़रिए अलाउद्दीन खिलजी ने रानी का दीदार किया था। 

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समाचार एजेंसी IANS के मुताबिक़ घटना रविवार शाम लगभग पौने पांच बजे की है। चार से पांच लोग महल में घुस गए और शीशों को चकनाचूर कर दिया। पुलिस अफ़सरों ने बताया- "कुछ असामाजिक तत्वों ने सारे शीशे रविवार शाम को तोड़े डाले। मामले की तफ़्तीश चल रही है।'' बताया जाता है कि इस घटना की ज़िम्मेदारी श्री राजपूत करणी सेना ने ली है। राजपूत करणी सेना के एक सदस्य के मुताबिक़, हमने इस सिलसिले में 15 दिन पहले चेतावनी दे दी थी और हमारी मांगों के बावजूद शीशे नहीं हटाए गए।

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दावा किया जाता है कि इन्हीं शीशों के ज़रिए 13 वीं सदी में दिल्ली सल्तनत के शासक अलाउद्दीन खिलजी ने रानी पद्मिनी की झलक देखी थी। ये सूचना रानी पद्मिनी के महल के बाहर पुरातत्व विभाग द्वारा लगाए गए शिलापट पर भी अंकित है। मगर, करणी सेना इस कहानी को ग़लत बताती रही है। उनका दावा है कि शीशों की खोज इस एपिसोड के हज़ारों साल बाद हुई है। 
बताते चलें कि इसी संगठन ने 27 जनवरी को संजय लीला भंसाली की फ़िल्म पद्मावती की शूटिंग में हंगामा किया था और शूटिंग के उपकरण तोड़ने के साथ भंसाली के साथ मारपीट की थी। फ़िल्म की शूटिंग जयपुर के जयगढ़ क़िले में चल रही थी। संजय पर आरोप था कि वो अपनी फ़िल्म में रानी पद्मिनी से जुड़े तथ्यों को तोड़-मरोड़कर पेश कर रहे हैं। वैसे संगठन रलीज़ से पहले फ़िल्म देखने की मांग भी लगातार कर रहा है। ग़ौर करने वाला पहलू ये है कि जयपुर और चित्तौड़गढ़ के बीच क़रीब 300 किमी का फ़ासला है। 

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