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संध्या मुखर्जी ने किया पद्म श्री पुरस्कार लेने से मना, गायिका ने कहा- 'अपमान महसूस हो रहा'

संध्या मुखर्जी ने 60 और 70 के दशक में हजारों बंगाली गाने गाए थे। उन्होंने दर्जनों भाषा में भी गाने गाकर संगीत जगत में अपनी अमिट छाप छोड़ी है। उन्होंने एस डी बर्मन अनिल विश्वास मदन मोहन रोशन और सलिल चौधरी सहित कई संगीत निर्देशकों के साथ काम किया।

By Anand KashyapEdited By: Published: Wed, 26 Jan 2022 10:30 AM (IST)Updated: Wed, 26 Jan 2022 10:30 AM (IST)
संध्या मुखर्जी ने किया पद्म श्री पुरस्कार लेने से मना, गायिका ने कहा- 'अपमान महसूस हो रहा'
हिंदी सिनेमा की मशहूर और दिग्गज गायिका संध्या मुखर्जी, तस्वीर : फेसबुक/ संध्या मुखर्जी

नई दिल्ली, जेएनएन। 73वें गणतंत्र दिवस के मौके पर भारत सरकार ने पद्म और पद्म श्री पुरस्कारों को घोषणा की। जिसमें कला, खेल, साहित्य और सामाजिक क्षेत्रों में अपने खास योगदान देने वाली हस्तियों को इस पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। हिंदी सिनेमा की मशहूर और दिग्गज गायिका संध्या मुखर्जी उर्फ संध्या मुखोपाध्याय को पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया, लेकिन उन्होंने यह सम्मान लेने से मना कर दिया।

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संध्या मुखर्जी 90 साल की हैं और एक मशहूर गायिका हैं। उन्होंने एस डी बर्मन, अनिल विश्वास, मदन मोहन, रोशन और सलिल चौधरी सहित कई संगीत निर्देशकों के साथ काम किया और उनके लिए गाने गाए थे। अंग्रेजी वेबसाइ इंडिया टुडे की खबर के अनुसार संध्या मुखर्जी की बेटी सौमी सेनगुप्ता ने बताया है कि उनकी मां ने पद्म श्री पुरस्कार स्वीकार करने से मना कर दिया है। वह इसके अब अपना अपमान समझती हैं।

सौमी सेनगुप्ता ने अनुसार संध्या मुखर्जी ने दिल्ली से फोन करने वाले वरिष्ठ अधिकारी से कहा है कि वह गणतंत्र दिवस सम्मान सूची में पद्म श्री से सम्मानित होने के लिए तैयार नहीं हैं। सौमी सेनगुप्ता ने कहा, '90 साल की उम्र में, लगभग आठ दशकों से ज्यादा के सिंगिंग करियर के बाद उन्हें पद्म श्री के लिए चुना जाना उनके लिए अपमानजनक है।' इसके साथ ही सौमी सेनगुप्ता ने यह भी अपील की है कि संध्या मुखर्जी के पद्म श्री पुरस्कार स्वीकार न करने को राजनीतिक रूप न दें।

उन्होंने कहा, 'पद्म श्री किसी जूनियर कलाकार के लिए ज्यादा योग्य है, न कि गीताश्री संध्या मुखोपाध्याय के लिए। उनका परिवार और उनके फैंस भी यही महसूस करते हैं। इसको राजनीतिक रूप भी न दिया जाए। वह किसी भी तरह की राजनीति से दूर हैं। इसलिए कृपया इसमें किसी भी तरह की राजनीतिक वजह ढूंढने की कोशिश न करें। उन्हें काफी अपमानजनक महसूस होता है।'

आपको बता दें कि संध्या मुखर्जी ने 60 और 70 के दशक में हजारों बंगाली गाने गाए थे। साथ ही उन्होंने दर्जनों भाषा में भी गाने गाकर संगीत जगत में अपनी अमिट छाप छोड़ी है। संध्या मुखर्जी को साल 2001 में पश्चिम बंगाल सरकार ने अपने सबसे बड़े नागरिक पुरस्कार बंगा विभूषण से सम्मानित किया था। साल 1970 में संध्या मुखर्जी 'जय जयंती' गाने के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित हुई थीं।


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