आज के समाज में सच बोलना मुश्किल, लोग आपको जज करने लग जाते हैं: नवाज़ुद्दीन
नंदिता दास निर्देशित फिल्म मंटो में नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी मंटो का किरदार निभा रहे हैं।
अनुप्रिया वर्मा, मुंबई। मंटो ने हमेशा सच का साथ दिया है और उन्हें इस बात से कोई फ़र्क नहीं पड़ता था कि सच बोलने का खामियाजा क्या हो सकता है। नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी फिल्म मंटो में मंटो की भूमिका में हैं। हाल ही में जब नंदिता दास जो कि मंटो की निर्देशिका हैं उनसे जागरण डॉट कॉम ने बात की तो उन्होंने कहा कि मौजूदा दौर के लिए मंटो बहुत जरुरी हैं क्योंकि आज सच बोलना मुश्किल है।
जब हमने यही बात नवाज से जाननी चाही तो उन्होंने बताया कि हां, मैं बिल्कुल सहमत हूं। सच नहीं बोल सकते हैं आप आज के समाज में क्योंकि, समाज ऐसा हो गया है कि वह आपको जज करने लगता है। मैंने महसूस किया है कि हर आदमी सच बोलना चाहता है, लेकिन सच बोलते ही उसे जज किया जाने लगता है। इसलिए लोगों की पूरी जिंदगी निकल जाती है। मर जाते हैं लेकिन खुद का सत्य नहीं बता पाते हैं। वह कहते हैं कि उन्होंने बहुत पहले एक फिल्म देखी थी, फिल्म का नाम था मेलवर। वह फिल्म उनके दिल के बेहद करीब है।
फिल्म की कहानी में एक चतुर आदमी होता है। वो गांव जाता है और लोगों को बेवकूफ बनाते हुए कहता कि मैं एक फिल्म बना रहा हूं लेकिन शर्त बस एक है कि आपको अपने बारे में सच बोलना है। जिससे यह होता है कि हर आदमी अपने बारे में सच बोलता है। बोलते-बोलते लोग रो देते थे कि मैं गलत आदमी हूं। मैंने ये किया। मेरे साथ ये हुआ। मैंने ये अच्छा किया। वो जो जालसाज निर्देशक था, उसको ये सब सुनने में मजा आता था क्योंकि सच हमेशा ही रोचक होता है।एक दिन वह सभी ऑडिशन को एक साथ देखने बैठा। जैसे-जैसे वो देखते जा रहा था, उसकी जिंदगी में बदलाव आता जा रहा था। वो सोचता है कि जब ये लोग सच बोल सकते हैं तो मैं क्यों नहीं। मैं भी सच के साथ जी सकता हूं, जिससे उसकी जिंदगी बदल जाती है। इस कहानी के जरिए मैं ये कहना चाहूंगा कि मकसद तो हर आदमी का आज भी सच बोलने का ही है लेकिन हमारे समाज की जिस तरह से संरचना हुई है वह हमें इसकी आजादी नहीं देता है। मैं भी सच बोलने की वजह से कुछ समय पहले बहुत विवाद में आ गया था। बता दें कि नवाज की फिल्म मंटो रिलीज होगी और उनकी फिल्म बल ठाकरे भी जल्द रिलीज होने वाली है।
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