बॉक्स ऑफ़िस की चिंता होती तो इस तरह की फिल्में ज़रूर करते नवाज़
नवाज़ मंटो के बारे में बात करते हुए कहते हैं कि हां, मंटो से मेरी शक्ल अलग है लेकिन स्वभाव और सोच मिलती है।
अनुप्रिया वर्मा, मुंबई। नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी इन दिनों अपनी फिल्म मंटो को लेकर चर्चा में हैं। नवाज का कहना है कि वह टिकट खिड़की के लिए काम नहीं करते हैं। बॉक्स ऑफिस के आंकड़ों में नहीं फंसते हैं।
जागरण डॉट कॉम से बातचीत में उन्होंने कहा “मैं अगर टिकट खिड़की पर ध्यान देता तो शादी- ब्याह वाली फिल्में ही करता, जो बॉलीवुड का हिट होने वाला फॉर्मूला है. पांच फिल्में करता तो उनमें से दो तो चलती थी. लेकिन मैंने कभी बॉक्स ऑफिस के फिल्में नहीं की हैं”। वह कंटेंट फिल्मों के बारे में कहते हैं कि हमारे यहां फिल्मों की बहुत चीर-फाड़ होती है । खासकर छोटे बजट की कंटेंट वाली फिल्मों के साथ, वो फेस्टिवल में बहुत सराही जाती हैं। लेकिन यहां हमारे फिल्म समीक्षक जो फिल्म नहीं चलती उसमें सब बुरा बना देते हैं. जो चलती है उसमें सब अच्छा । जबकि सत्तर प्रतिशत बुरी फिल्में ही चल जाती हैं। वो लोग ये भूल जा रहे हैं छोटी फिल्मों को किल करके आप सिनेमा को किल कर रहे हैं. जिस तरह से डिजिटल माध्यम हाथी की तरह खड़ा हो रहा है यह हमारी फिल्मों के लिए चुनौती होगी। अगर कंटेंट वाली छोटी फिल्मों को बढ़ावा नहीं मिलेगा तो हम खत्म हैं.
मनोरंजन के लिए फिल्म लोग हॉलीवुड की वो ‘लार्जर दैन लाइफ’ वाली फिल्में देखने लगेंगे और डिजिटल है ही. हॉलीवुड बड़े लेवल पर खड़ा हो रहा है। यह बात हम समझ नहीं पा रहे हैं और हमारे लिए परेशानी खड़ी होने वाली है। इसलिए जरूरी है कि कंटेंट सिनेमा को बहुत अधिक बढ़ावा दिया जाना चाहिए।
नवाज़ मंटो के बारे में बात करते हुए कहते हैं कि हां, मंटो से मेरी शक्ल अलग है लेकिन स्वभाव और सोच मिलती है। जो बातें हम असल ज़िंदगी में नहीं कह पाते हैं, एक आर्टिस्ट होने के नाते फायदा ये है कि हम अपने किरदार के जरिए उस बात को बोल सकते हैं इसलिए मैंने मंटो को हां कहा क्योंकि उनकी संवेदनशीलता और सोच मेरी तरह ही है. नंदिता ने नवाज़ को जैसे ही कहा की वह मंटो पर फिल्म बना रही हैं। नवाज ने फौरन हां कह दिया था। फिल्म मंटो 21 सितम्बर को रिलीज़ होने वाली है।
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