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महिमा चौधरी ने खोला था कास्टिंग काउच का राज

बॉलीवुड में उन कलाकारों की लिस्ट बहुत लंबी है, जो शुरुआती सफलता के बाद अपने करियर को सही ऊंचाई पर नहीं ले जा सके और ऐसे ही कलाकारों की लिस्ट में एक नाम है अभिनेत्री महिमा चौधरी का। सुपरहिट फिल्म [परदेस] से अपने बॉलीवुड करियर की शुरुआत करने वाली महिमा चौधरी को वह सफलता कभी दुबारा नहीं मिली जो उन्हें [परदेस]

By Edited By: Published: Fri, 13 Sep 2013 09:30 AM (IST)Updated: Fri, 13 Sep 2013 10:01 AM (IST)
महिमा चौधरी ने खोला था कास्टिंग काउच का राज

बॉलीवुड में उन कलाकारों की लिस्ट बहुत लंबी है, जो शुरुआती सफलता के बाद अपने करियर को सही ऊंचाई पर नहीं ले जा सके और ऐसे ही कलाकारों की लिस्ट में एक नाम है अभिनेत्री महिमा चौधरी का। सुपरहिट फिल्म [परदेस] से अपने बॉलीवुड करियर की शुरुआत करने वाली महिमा चौधरी को वह सफलता कभी दुबारा नहीं मिली जो उन्हें [परदेस] से मिली।

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महिमा चौधरी का वास्तविक नाम रितु चौधरी है। उनका जन्म 13 सितंबर, 1973 को पश्चिम बंगाल के दार्जीलिंग में हुआ था। उनके पिता उत्तर प्रदेश के रहने वाले थे और मां नेपाली थीं जो दार्जीलिंग में ही रहती थीं। महिमा चौधरी की पढ़ाई दार्जीलिंग के मशहूर कॉंवेट स्कूल से हुई। उन्होंने बारहवीं लोरेटो कान्वेंट से पूरी की। इसके बाद उन्होंने लोरेटो कॉलेज से स्नातक किया।

कॉलेज के दौरान ही एक सौंदर्य प्रतियोगिता में उन्होंने जीत हासिल की थी। कॉलेज के बाद वह दिल्ली आ गईं। 90 के शुरुआती सालों में उन्होंने कई छोटे-छोटे विज्ञापन किए और एक म्यूजिक चैनल पर उन्हें देख कर सुभाष घई ने उनका चयन अपनी फिल्म [परदेश] के लिए कर लिया।

फिल्मी करियर

सुभाष घई ने न सिर्फ महिमा चौधरी को बॉलीवुड में ब्रेक दिलवाया बल्कि उनक नाम रितु चौधरी से बदलकर महिमा चौधरी भी कर दिया। परदेश में वह शाहरुख की अपोजिट थीं। फिल्म सुपरहिट रही। फिल्म में महिमा चौधरी के अभिनय की भी सबने सराहना की। भोली सी सूरत और मनमोहक मुस्कान के साथ महिमा चौधरी दर्शकों के दिलों में बैठ गईं। इस फिल्म के लिए उन्हें फिल्मफेयर बेस्ट डेब्यू का अवार्ड भी मिला। अपनी पहली ही फिल्म में फिल्मफेयर जीतना एक बड़ी बात होती है।

इसके बाद आई फिल्म [दाग- द फायर] में भी उन्होंने अच्छा अभिनय किया। फिल्म [धड़कन] में उन्होंने सह अभिनेत्री का किरदार निभाया था। उनकी कुछ उल्लेखनीय फिल्मों में [दिल क्या करे] और [लच्जा] जैसी फिल्में भी हैं जिनमें उन्होंने अपने अभिनय से सबका दिल जीता था।

लेकिन इसके बाद की सभी फिल्में फ्लॉप ही साबित हुईं। हालांकि कुछ फिल्मों में उन्होंने सह अभिनेत्री के तौर पर अच्छा काम किया पर जब बात लीड हीरोइन की हुई तो फिल्मकारों ने उन पर भरोसा नहीं दिखाया। जैसे ही उनकी फिल्में असफल होने लगीं निर्माता-निर्देशकों ने उन्हें भुलाना शुरू कर दिया और धीरे-धीरे वे परदे से गायब हो गईं।

महिमा चौधरी आखिरी बार फिल्मी पर्दे पर फिल्म [गुमनाम-द मिस्ट्री] में साल 2008 में नजर आई थीं। निजी जीवन में बेहद हंसमुख और मिलनसार स्वभाव की महिमा के साथ कई अभिनेताओं के अफेयर चर्चित रहे हैं। महिमा चौधरी ने कुछ साल पहले दबी जुबान में निर्माता-निर्देशक सुभाष घई पर कास्टिंग काउच का भी आरोप लगाया था जिसके बारे में उन्होंने कहा था कि गड़े मुर्दे उखाड़ने से कोई फायदा नहीं।

महिमा चौधरी ने साल 2006 में बॉबी मुखर्जी से शादी की जो पेशे से एक आर्किटेक्ट हैं। हाल के दिनों ने दोनों की तलाक की खबरें भी आई, जिसे महिमा चौधरी ने मात्र अफवाह करार दिया। महिमा चौधरी की एक बेटी भी है जिसका नाम आर्याना है।

पुरस्कार

1997 में महिमा चौधरी को उनकी पहली ही फिल्म के लिए बेस्ट फीमेल डेब्यू के फिल्मफेयर अवार्ड से सम्मानित किया गया था।

महिमा चौधरी की फिल्में

परदेश, गंगा, लच्जा, दिल क्या करे, प्यार कोई खेल नहीं, धड़कन, दीवाने, खिलाड़ी 420, ये तेरा घर ये मेरा घर, ओम जय जगदीश हरे, भागमती, सौतन आदि।

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