GST रहित Mersal को लेकर मद्रास हाईकोर्ट ने दिया ये फ़ैसला
मर्सल अब भी संकट में हैं . सेंसर बोर्ड ने फिल्म के तेलुगु डब वर्जन को अब तक पास नहीं किया है.
मुंबई . मद्रास हाईकोर्ट ने जीएसटी को लेकर विवादों में आई तमिल फिल्म मर्सल को बैन किये जाने के लिए दाखिल याचिका को खारिज़ करते हुए स्पष्ट तौर पर कहा है कि अभिव्यक्ति का अधिकार सबको है .ये सिर्फ एक फिल्म है न कि असल ज़िंदगी .
दिवाली के मौके पर रिलीज़ हुई तमिल फिल्म मर्सल को लेकर तब हंगामा मच गया था जब फिल्म के एक सीन में हीरो विजय ने ये डायलॉग मारा कि 'सिंगापुर में 7 प्रतिशत जीएसटी है, फिर भी वहां मुफ्त मेडिकल सुविधाएं हैं. जबकि भारत में दवाइयों पर 12 प्रतिशत जीएसटी है और अल्कोहल पर कोई जीएसटी नहीं है.' बीजेपी को ये बात नागवार गुजरी और खूब हो-हल्ला हुआ . बाद में फिल्म से ये वो सीन ही हटा दिया गया . इस मामले में चेन्नई के एक वकील ने अदालत में ये कहते हुए याचिका दाखिल की थी कि ये फिल्म वस्तु और सेवा कर यानि जीएसटी के परिपेक्ष्य में देश की छवि को धूमिल कर रही है इसलिए फिल्म को बैन कर देना चाहिए . लेकिन अदालत ने याचिका को ख़ारिज कर दिया . विजय स्टारर मर्सल को लेकर तेज़ी से हुई राजनीति के बीच लोगों में फिल्म को लेकर काफ़ी उत्सुकता रही . कमल हसन सहित कई बड़े सितारों ने फिल्म को लेकर की जा रही आलोचना का विरोध किया था जबकि रजनीकांत ने तो ट्विट कर फिल्म में अच्छा विषय उठाये जाने की तारीफ़ करते हुए टीम को बधाई भी दी थी.
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भले ही फिल्म से जीएसटी से जुड़ा सीन हटा दिया गया हो लेकिन बॉक्स ऑफ़िस पर करीब 180 करोड़ रूपये की कमाई कर चुकी मर्सल अब भी संकट में हैं . सेंसर बोर्ड ने फिल्म के तेलुगु डब वर्जन को अब तक पास नहीं किया है जिसके कारण ये फिल्म आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में करीब 700 स्क्रीन्स पर अब तक रिलीज़ नहीं हो सकी है . तेलुगु में फिल्म का नाम ‘ अधिरिंधी ‘ रखा गया है.