Move to Jagran APP

लाइट्स कैमरा एक्शन: लोकल इज़ ग्लोबल, पंकज त्रिपाठी ने इस प्रकार अपने अंदर की यूनीक बात को पहचाना

पंकज त्रिपाठी को फिल्म न्यूटन के नेशनल अवॉर्ड मिल चुका है। पंकज त्रिपाठी के अभिनय को हमेशा सराहा गया है और वे कई सुपरहिट फिल्मों का हिस्सा रहे हैं। देखिए पूरा वीडियो -

By Rahul soniEdited By: Published: Mon, 11 Feb 2019 04:57 PM (IST)Updated: Mon, 11 Feb 2019 04:57 PM (IST)
लाइट्स कैमरा एक्शन: लोकल इज़ ग्लोबल, पंकज त्रिपाठी ने इस प्रकार अपने अंदर की यूनीक बात को पहचाना
लाइट्स कैमरा एक्शन: लोकल इज़ ग्लोबल, पंकज त्रिपाठी ने इस प्रकार अपने अंदर की यूनीक बात को पहचाना

मुंबई। 12 से 14 सालों का संघर्ष रहा है जिसमें खूब मेहनत की है। गांव का लड़का दिल्ली आया और उसके बाद मुंबई। इस सफलता का श्रेय सिर्फ मुझे नहीं जाता लेकिन उन सभी लड़कों को और अभिनेताओं को जाता है जो गांव से बाहर निकले और मुकाम हासिल किया जैसे कि मनोज बाजपेयी। यह कहना है प्रसिद्ध अभिनेता पंकज त्रिपाठी का। दैैनिक जागरण डॉट कॉम के लाइट्स कैमरा एक्शन एंटरटेनमेंट शो में पंकज त्रिपाठी ने जागरण डॉट कॉम के एंटरटेनमेंट एडिटर से खास बातचीत में अपनी जिंदगी से जुड़े राज खोले और सिनेमा को लेकर चर्चा की। इस पूरे इंटरव्यू का वीडियो नीचे दी गई लिंक पर क्लिक करके देख सकते हैं - 

loksabha election banner

पंकज त्रिपाठी कहते हैं कि, जो सफलता आज मिली है उसके पीछे हारने वाला एक लंबा वक्त और लंबी लड़ाई शामिल है। मेरे जैसे लाखों लड़कों की वजह से आज मैं यहा हूं। अगर मनोज बाजपेयी नहीं बनते अभिनेता तो मैं नहीं बनता। क्योंकि मुझे प्रेरणा वहीं से मिली।

माता-पिता के रिएक्शन को लेकर पंकज बताता हैं कि वे सिनेमा नहीं देखते हैं। हां, कई बार आस-पास के लोग या परिजन लैपटॉप में फिल्म दिखा देते हैं। पिताजी (उम्र 94) को कलेक्टर या जज जैसे पदाधिकारियों से काफी लगाव था और वे मुझे डॉक्टर बनाना चाहते थे। लेकिन आज जब वे मेरा इंटरव्यू किसी अखबार में पढ़ते हैं तो उनकी उम्र 3-4 महीने और बढ़ जाती है जो मेरे लिए बड़ी बात है। 

अपने अलग स्टाइल को लेकर पंकज ने बताया कि, मकबूल जैसी फिल्म देखने के बाद लगा कि मैं कर सकता हूं। इस फिल्म में इरफान खान की जबरदस्त परफॉर्मेंस थी। इसके अलावा शाहरुख़ खान मेरे फेवरेट हैं। मैं सभी एक्टर्स को देखता था और उनकी खासियत को खास तौर पर देखने की कोशिश करता था। फिर लगा कि यह सब तो प्रसिद्ध हैं और अपनी-अपनी अलग स्टाइल है इनकी। ऐसे में मुझे भी अलग करना होगा। फिर लोकल इज़ ग्लोबल वाले कंसेप्ट पर मैंने काम किया। मैं जहां का था वही की लोकल बात को मैंने अपनाया और मेरे अंदर यूनीक चीज को सर्च किया जो दुनिया से अलग हो। मैं अपनी ओरिजिनलिटी की तरफ ज्यादा ध्यान देने लगा और अपना फ्लेवर क्रिएट करने लगा। यही से असल शुरुआत हुई।  

यह भी पढ़ें: मेरे प्यारे प्राइममिनिस्टर का ट्रेलर रिलीज, बच्चे ने लिखा प्रधानमंत्री को खत


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.