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Kader Khan Birth Anniversary:​ अमिताभ बच्चन की वजह से अधूरी रह गई कादर खान की ये आखिरी ख्वाहिश

इंडस्ट्री पर अपनी प्रतिभा के बल पर राज करने वाले कादर खान की एक ख्वाहिश अधूरी रह गई। उन्होंने जिंदा रहते एक ख्वाहिश देखा था लेकिन उसे पूरा किए बिना ही इस दुनिया से चले गए। आज हम आपको उनके जीवन के उन पहलुओं से रू-ब-रू कराने जा रहे हैं।

By Priti KushwahaEdited By: Published: Thu, 22 Oct 2020 03:52 PM (IST)Updated: Fri, 23 Oct 2020 08:02 AM (IST)
Kader Khan Birth Anniversary:​ अमिताभ बच्चन की वजह से अधूरी रह गई कादर खान की ये आखिरी ख्वाहिश
Kader Khan Birth Anniversary Know About Actor Unfulfilled Wish Due To Amitabh Bachchan (Photo- Mid Day)

नई दिल्ली,जेएनएन। 'विजय दीनानाथ चौहान, पूरा नाम विजय दीनानाथ चौहान, बाप का नाम, दीनानाथ चौहान, मां का नाम, सुहासिनी चौहान, गांव मांडवा, उम्र 36 साल...'। ऐसे ही शानदार डायलॉग लिखने वाले दिग्गज अभिनेता कादर खान इंडस्ट्री के उन लीजेंड्स में शुमार हैं, जो बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे। उन्होंने अपने अभिनय से इंडस्ट्री को एक अलग ही पहचान दिलाई। वो न सिर्फ एक बेहतरीन एक्टर, बल्कि एक शानदार कॉमेडियन, स्क्रिप्ट राइटर और डायलॉग राइटर भी थे। आज भी लोगों की जुबान पर उनके डायलॉग जिंदा हैं। कई फिल्मों की सफलता के पीछे कादर खान के दमदार डायलॉग का बहुत बड़ा रोल रहा है।

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वहीं, कई स्टार को सुपरस्टार बनाने के पीछे भी कादर के डायलॉग का ही हाथ रहा है। ऐसी ही शानदार और प्रतिभा के धनी कादर खान की 22 अक्टूबर को बर्थ एनिवर्सरी मनायी जाती है। हालांकि, फिल्म इंडस्ट्री पर अपनी प्रतिभा के बल पर राज करने वाले एक्टर की एक ख्वाहिश अधूरी रह गई है। उन्होंने जिंदा रहते हुए एक ख्वाब देखा था, लेकिन उसे पूरा किए बिना ही उन्होंने इस दुनिया को अलविदा कह दिया। इस लेख में हम आपको उनके जीवन के उन पहलुओं से रू-ब-रू कराने जा रहे हैं, जिनके बारे में शायद ही आप वाकिफ हों।  

जानें, क्यों ​जोर-जोर से​ चिल्लाते थे कब्रिस्तान में   

कादर खान का जन्म 22 अक्टूबर, 1937 में काबुल, अफगानिस्तान में हुआ था, लेकिन उनकी फैमिली बाद में मुंबई के पास स्थित कमाठीपुरा में आकर बस गई थी। कादर खान ने भले ही काफी कामयाबी पाई हो, लेकिन उनका बचपन बेहद गरीबी में गुजरा था। उनके परिवार की माली हालत बेहद खराब थी। उनकी मां उन्हें किसी बड़े स्कूल में न भेजकर, पास की ही एक मस्जिद में पढ़ने के लिए भेजती थीं, जहां से वो भागकर पास के एक कब्रिस्तान में चले जाते थे। ऐसा वो अक्सर ही किया करते थे। यहां पर आकर कादर खान जोर-जोर से चिल्लाते थे। वो ऐसा इसलिए करते थे, क्योंकि वो दिनभर जो भी कुछ सीखते थे, उसका रियाज वह कब्रिस्तान में चिल्ला—चिल्ला कर करते थे, लेकिन उन्हें इस बात का जरा भी इल्म न था कि एक दिन यहीं से उनकी किस्मत ऐसी करवट लेगी कि वह सिफर से शिखर तक पहुंच जाएंगे। 

 

दिलीप कुमार ने दिया ब्रेक

एक दिन कादर खान कब्रिस्तान में चिल्ला रहे थे। तभी एक शख्स की नजर उन पर पड़ी। उसने पास जाकर पूछा कि तुम क्या कर रहे हो, इस पर उन्होंने कहा कि मैं दिन भर में जो भी अच्छी बात पढ़ता हूं, उसे यहां आकर उसका रियाज़ करता हूं। ये शख्स कोई और नहीं, बल्कि अशरफ खान थे, जो खुद फिल्मों में अभिनय किया करते थे। अशरफ को कादर की बात इतनी जमी कि उन्हें तुरंत अपने प्ले में काम करने का ऑफर दे दिया। वहीं कादर ने भी अशरफ को निराश नहीं किया। उन्होंने खुद को साबित किया। वहीं एक प्ले के दौरान एक्टर दिलीप कुमार की नज़र भी कादर के अभिनय पर पड़ी और उन्होंने कादर को अपनी फिल्म 'सगीना' के लिए कास्ट कर लिया। वहीं, एक्टर ने अपनी असल जिंदगी के किस्से को फिल्म 'मुकद्दर के सिकंदर' में भी दिखाया है। आपको बता दें कि इस फिल्म के डायलॉग कादर खान ने ही लिखे थे। कादर ने 300 फिल्मों में अभिनय और कुछ 250 फिल्मों के डायलॉग लिखे हैं।

अधूरी रह गई अ​खिरी ख्वाहिश  ​ 

इंडस्ट्री में कादर खान और अमिताभ बच्चन की जोड़ी ने काफी धमाल मचाया था। दोनों ने कई फिल्मों में एक साथ काम किया। इसमें 'अदालत', 'सुहाग', 'मुकद्दर का सिकंदर', 'नसीब' और 'कुली' जैसी कामयाब फिल्में शामिल हैं। वहीं अमिताभ की कई सुपरहिट फिल्मों जैसे 'अमर अकबर एंथनी', 'सत्ते पे सत्ता' और 'शराबी' के डायलॉग भी कादर खान ने ही लिखे हैं। लेकिन वह हमेशा से ही अमिताभ बच्चन को लेकर एक फिल्म बनाने का सपना देखते थे। ये ख्वाहिश उनकी मौत के साथ ही अधूरी रह गई।

एक इंटरव्यू में कादर ने बताया था कि वह अमिताभ, जया प्रदा और अमरीश पुरी को लेकर फिल्म 'जाहिल' बनाना चाहता था, जिसका डायरेक्शन वह खुद करना चाहते थे। वहीं फिल्म 'कुली' की शूटिंग के दौरान अमिताभ को चोट लग गई और फिर वह महीनों अस्पताल में भर्ती रहे। जब तक वह ठीक होकर लौटे, मैं अपनी दूसरी फिल्मों में बहुत ज्यादा व्यस्त हो गया। वहीं अमिताभ राजनीति में चले गए। इस तरह कादर खान और अमिताभ की यह फिल्म हमेशा के लिए डिब्बाबंद हो गई।

 

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We fondly remember the great actor and dialogue writer #KaderKhan on his 82nd birth anniversary 🙏. He started his Bollywood innings penning praiseworthy dialogues and soon turned into a popular character actor portraying various roles ranging from a villain to a doting father to a comedian. Khan is considered one of the most versatile actors of the industry. #Aankhein #Taqdeerwala #CoolieNo1 #KanoonApnaApna #PataalBhairavi #HeroNo1 #BaapNumbariBetaDusNumbari #NachnewaleGaanewale #Chalbaaz #BolRadhaBol #Hum

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ये हैं फेमस डायलॉग... 

जिंदा हैं वो लोग जो मौत से टकराते हैं, मुर्दों से बदतर हैं वो लोग जो मौत से घबराते हैं... 

सुख तो बेवफा है, चंद दिनों के लिए आता है और चला जाता है  

इस थप्पड़ की गूंज सुनी तुमने? 

विजय दीनानाथ चौहान, पूरा नाम विजय दीनानाथ चौहान, बाप का नाम, दीनानाथ चौहान, मां का नाम, सुहासिनी चौहान, गांव मांडवा, उम्र 36 साल। 

हम जहां खड़े होते हैं लाइन वहीं से शुरू होती है। 

जिंदगी में तूफ़ान आए, क़यामत आए लेकिन दोस्ती में दरार न आने पाए। 

क़त्ल करते हैं हाथ में तलवार भी नहीं।  

दुनिया मेरा घर है, बस स्टैंड मेरा अड्डा है। 

मोहब्बत को समझना है तो प्यारे खुद मोहब्बत कर..किनारे से कभी अंदाज-ए-तूफ़ान नहीं होता । 

दुनिया की कोई जगह इतनी दूर नहीं जहां जुर्म के पांव में कानून..अपनी फौलादी जंजीरें पहना न सके।


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