1 जुलाई से होगा जागरण फिल्म फेस्टिवल के सातवें संस्करण का आगाज
एक जुलाई जागरण फिल्म फेस्टिवल के सातवां संस्करण का आगाज दिल्ली स्थित सिरी फोर्ट ऑडिटोरियम से होने रहा है।
मुंबई(अमित कर्ण)। जागरण फिल्म फेस्टिवल सिनेप्रेमियों के लिए वार्षिक कार्यक्रम बन चुका है। एक जुलाई से उसका सातवां संस्करण नई दिल्ली स्थित सिरी फोर्ट ऑडिटोरियम में शुरू हो रहा है। इस बार भी फेस्टिवल में बेहतरीन फिल्मों का पैकेज है। इस बार फेस्टिवल महान फिल्मकार वी शांताराम की फिल्मों को समर्पित है। एक जुलाई से लेकर पांच जुलाई तक उनकी सात बेमिसाल फिल्में दिखाई जाएंगी।
फेस्टिवल की ओपनिंग फिल्म ‘दो आंखें बारह हाथ’ है। इसके अलावा उनकी ‘शकुंतला’, ‘डॉ. कोटनिस की अमर कहानी’ और ‘नवरंग’ प्रमुख फिल्में हैं। रेट्रोस्पेक्टिव खंड नसीरुद्दीन शाह की फिल्मों से गुलजार होगा। उनकी ‘जिंदाभाग’, ‘निशांत’, ‘गोधुलि’, ‘त्रियाचरित्र’ और अन्य फिल्में दिखाई जाएंगी।
फेस्टिवल में इनके अलावा कई देशों की फिल्में दिखाई जाएंगी। इस अवसर पर सिने जानकार और प्रमुख सिनेमा हस्तियों की परिचर्चाएं भी हैं। फेस्टिवल के पहले दिन फिल्म जर्नलिम पर दैनिक जागरण के फिल्म एडीटर अजय ब्रह्मात्मज और मशहूर फिल्म समीक्षक मयंक शेखर की वर्कशॉप है। ‘जिंदा भाग’ की स्क्रीनिंग से पहले नसीरुद्दीन शाह के साथ बातचीत का एक सेशन भी होगा।
दैनिक जागरण ने छह साल पहले फैसला किया कि अपने फुटप्रिंट एरिया के दर्शकों के लिए वह बेहतरीन फिल्मों का एक पैकेज तैयार करेगा। इसमें देश-विदेश की फिल्मों के साथ शॉर्ट फिल्म और अन्य किस्म की फिल्में भी रहेंगी। इरादा यह है कि दिल्ली और मुंबई जैसे महानगरों के बाहर के दर्शक भी कलात्मक फिल्मों से परिचित हों।
सिनेमा मनोरंजन है, लेकिन यह उसके साथ ही ज्ञान और सौंदर्य का संवर्धन भी करता है। पॉपुलर फिल्मों की चपेट में रहने से लोग सिनेमा के कलात्मक स्वरूप से वंचित रह जाते हैं। दिल्ली और आसपास के सिने प्रेमी मराठी फिल्मों का आनंद लेने से रह जाते हैं। उनके लिए विशेष रूप से ‘सैराट’ और ‘नटसम्राट’ की स्पेशल स्क्रीनिंग होगी। इतना ही नहीं, जो लोग फिल्म निर्माण में रुचि रखते हैं, उनके लिए इस पर विस्तृत सेशन भी है कि पैसे कैसे जुटाएं। लिहाजा आप चाहते हैं कि यह मौका आप के हाथों से न निकले तो ‘बुक माय शो’ की वेबसाइट पर जाएं और फेस्टिवल में अपनी जगह पक्की करें।
इस फेस्टिवल की महत्ता रेखांकित करते हुए नसीरुद्दीन शाह कहते हैं, ‘यह एक ऐसा मंच है, जो न सिर्फ सिने प्रेमियों को आमंत्रित करता है, बल्कि सिनेमा के प्रति प्यार भी पैदा करता है। इसकी कायनात में नई और पुरानी दुनिया की फिल्में समायोजित हो जाती हैं। मैं इस मंच के जरिए नई पीढ़ी के सिनेप्रेमियों से संवाद करने को उत्सुक हूं। ’बकौल फिल्म निर्देशक-संवाद लेखक तिग्मांशु धूलिया, ‘यह मेरे लिए सिर्फ फेस्टिवल मात्र नहीं है। यह मेरे लिए सिने आंदोलन है। यह हमें अपनी जड़ों से जोड़ने और किस्सागोई के देसी तरीके से अवगत कराता है।’ फिल्म निर्देशक सुधीर मिश्र बताते हैं, ‘मैं इसके पहले संस्करण से जुड़ा रहा हूं। यह क्वालिटी फिल्मों के भूखे लोगों की भूख मिटाता है।’