हिंदी मीडियम वाले इरफ़ान खुद स्कूल में थे Back bencher, लेकिन मैथ्स में थे best
इरफ़ान ने यह भी बताया कि वह खुद कभी बैक बेंचर्स बन कर पीछे नहीं बैठने लगे थे। बल्कि उन्हें पीछे बैठा दिया गया था फर्स्ट स्टैंडर्ड से तो वह वही बैठने लगे।
अनुप्रिया वर्मा, मुंबई। इरफ़ान ने बॉलीवुड को हॉलीवुड में भी बड़ी पहचान दिलाई है। उनकी हिंदी भाषा पर ही नहीं, कई और भाषाओं पर भी कमांड है। साथ ही वह देश-दुनिया की खबरों से भी राब्ता रखते हैं। लेकिन जब वह खुद स्कूल में थे, तो उन्हें पढ़ाई में उतनी दिलचस्पी नहीं थी। यह राज खुद इरफ़ान ने खोला है।
इरफ़ान बताते हैं कि उन्हें स्कूल कारखाने की तरह लगता था, जहां सुबह जाओ तो शाम को ही घर वापस आने का मौका मिलता था। सुबह छह बजे जाते थे। शाम छह बजे शाम में वापस आते थे। इरफ़ान कहते हैं कि वह बैक बेंचर्स थे। स्कूल में क्या पढ़ाई हो रही है या क्या पढ़ाया जा रहा है, इससे उन्हें कोई मतलब नहीं होता था। मैं सोता रहता था। 30-40 बच्चे होते थे और सब आगे बैठते थे। हम पीछे बैठे होते थे। हमें पता नहीं होता था कि क्या हो रहा है क्या नहीं। इरफ़ान बताते हैं कि वह बैंक बेंचर्स थे। किसी तरह परीक्षा के पांच दिनों पहले पढ़ाई करके पास हो जाते थे। लेकिन वह शरारती नहीं थे। स्कूल में काफी शर्मिले थे और कभी भी कोई गलत काम नहीं करते थे। इरफ़ान बताते हैं कि वह गणित विषय में काफी अच्छे थे।
यह भी पढ़ें: 19 साल के बाद टूट रही है डायरेक्टर-राइटर की जोड़ी, हंसल-अपूर्व हुए अलग
इरफ़ान ने यह भी बताया कि वह खुद कभी बैक बेंचर्स बन कर पीछे नहीं बैठने लगे थे। बल्कि उन्हें पीछे बैठा दिया गया था फर्स्ट स्टैंडर्ड से तो वह वही बैठने लगे। इरफ़ान कहते हैं कि मैं अब भी शर्मिला हूं। एक्टर बनने से थोड़ी सी झिझक कम हुई है। यह कह सकता हूं। इरफ़ान की फिल्म 'हिंदी मीडियम' 19 मई को रिलीज़ होगी।