पलटन के सेट पर हर्षवर्धन और अर्जुन में हुई इस वजह से दोस्ती
अर्जुन रामपाल के दादाजी ब्रिगेडियर गुरदयाल सिंह ने स्वतंत्र भारत की पहली आर्टिलरी गन भारतीय सेना के लिए डिजाइन की थीl
रूपेशकुमार गुप्ता, मुंबईl जे पी दत्ता की फिल्म पलटन में काम कर रहे फिल्म अभिनेता हर्षवर्धन राणे और अर्जुन रामपाल के बीच हथियारों के कारण गहरी दोस्ती हो गई, जिसे वो आगे भी कायम रखना चाहेंगे।
फिल्म पलटन में हर्षवर्धन और अर्जुन आर्मी अफसर हैं। गौरतलब है कि फिल्म भारत और चीनी सेनाओं के बीच युद्ध पर आधारित होने के चलते सभी कलाकारों ने आयुध और बंदूकों पर बहुत अच्छी चर्चा कीl इसके अलावा सभी कलाकार एक दूसरे के भूमिकाओं को अच्छा और वास्तविक लगने के लिए मदद भी करते नजर आए l खास बात यह है कि हर्षवर्धन कपूर और अर्जुन रामपाल की दोस्ती, इस फिल्म में इस्तेमाल किये गए अत्याधुनिक हथियारों पर चर्चा करने के कारण हुई। इस फिल्म में इन दोनों के अलावा सोनू सूद जैकी श्रॉफ सिद्धार्थ कपूर सोनल चौहान और ईशा गुप्ता की अहम भूमिका हैl इस बारे में बताते हैं कि ’गन पर चर्चा करते समय हर्षवर्धन राणे को पता चला कि अर्जुन को स्माल मशीन गन पसंद है, जो कि कुछ सेकेंड में ढेरों बुलेट चलाती हैl वही हर्षवर्धन राणे को स्नाइपर पसंद है, जो कि फायरिंग की धड़कन मानी जाती हैl
कई लोगों को नहीं पता होगा कि अर्जुन रामपाल के दादाजी ब्रिगेडियर गुरदयाल सिंह ने स्वतंत्र भारत की पहली आर्टिलरी गन भारतीय सेना के लिए डिजाइन की थीl जिसके चलते फिल्म अभिनेता अर्जुन रामपाल पर गन के बारे में अधिक पता हैl साथ ही वो यह भी जानते हैं कि इन्हें चलाया कैसे जाता हैंl इसके अलावा हर्षवर्धन राणे ने उनके स्कूली दिनों में गन शूटिंग का अभ्यास किया है, विशेषकर तब जब वह NCC के कैडेड थे l हर्षवर्धन राणे के पिता के पास 4 राइफल है और वो उनके साथ शूटिंग का अभ्यास किया करते थेl इस बारे में बताते हुए हर्षवर्धन राणे कहते हैं,’मैंने और अर्जुन रामपाल ने एक अभिनेता के तौर पर बहुत अच्छी बॉन्डिंग कीl गन पर चर्चा करते समय मजा आयाl अर्जुन रामपाल ने मुझे गन की छोटी-छोटी बातों को समझने में मदद की l उनके साथ अनुभव अच्छा रहा और मैं इन यादों को जिंदगी भर सहेज कर रखूंगाl’ यह फिल्म 7 सितंबर को रिलीज हो रही है।
ये कहानी भारत और चीन के बीच 1962 में हुए युद्ध के ठीक पांच साल बाद चीन की सेना ने एक बार फिर भारतीय सीमा में हमला किया था। चीन ने ऐसा इसलिए किया था क्योंकि भारतीय सेना उस समय नाथू ला से सेबू ला तक फेंसिंग कर रही थी और चीन की सेना ये नहीं चाहती थी। साथ ही चीन की सेना पर 62 की जंग जीतने का घमंड था और उसी जीत का दंभ भरते हुए चीनी सेना ने आक्रमण कर दिया। अचानक हुए इस हमले से भारतीय सेना स्तब्ध थी और इस कारण शुरू में कई सैनिक शहीद हो गए। लेकिन तुरंत भारतीय सेना ने अपने को संभाला और जवाबी कार्रवाई की। इंडियन आर्मी की इस कार्रवाई से चीन के हौसले पस्त हो गए और उन्होंने सीज़फायर का ऐलान कर दिया।
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