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Birthday Special: 'ख़ामोश!' के अलावा ये भी हैं शत्रुघ्न सिन्हा के यादगार डायलॉग्स

अपने हाथों को जिस अंदाज़ में हवा में घुमाकर शत्रुघ्न यह डायलॉग बोलते थे, लोग आज भी इन्हें याद करते हैं।

By Shikha SharmaEdited By: Published: Sat, 09 Dec 2017 02:49 PM (IST)Updated: Sat, 09 Dec 2017 03:25 PM (IST)
Birthday Special: 'ख़ामोश!' के अलावा ये भी हैं शत्रुघ्न सिन्हा के यादगार डायलॉग्स
Birthday Special: 'ख़ामोश!' के अलावा ये भी हैं शत्रुघ्न सिन्हा के यादगार डायलॉग्स

मुंबई। बॉलीवुड इंडस्ट्री के अभिनेता और भाजपा के वरिष्ठ नेता शत्रुघ्न सिन्हा आज याने 9 दिसम्बर को अपना जन्मदिन मना रहे हैं। शत्रुघ्न ने बॉलीवुड में साल 1969 में फ़िल्म 'प्यार ही प्यार' में एक विलेन के रूप में डेब्यू किया था। शत्रुघ्न ने अपने फ़िल्मी करियर में 'पारस', 'दोस्त', 'काला पत्थर' और 'दोस्ताना' जैसी बेहतरीन फ़िल्मों में काम किया। शत्रुघ्न को  बेस्ट एक्टर के अवार्ड्स के अलावा 'नेशनल किशोर कुमार सम्मान', 'लाइफ टाइम अचिवेमेंट अवार्ड' और IIFA 2014 में भारतीय सिनेमा में अपने बेहतरीन योगदान के अवार्ड से भी नवाज़ा गया था। कमाल की एक्टिंग के साथ साथ शत्रुघ्न अपने एक ख़ास अंदाज़ की डायलॉग डिलीवरी के लिए भी जाने जाते हैं।

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एक से बढ़कर एक कमाल के डायलॉग और जब शत्रुघ्न इसे अपने अंदाज़ में पेश करते थे तो थिएटर में तालियां बजने लगती थीं। उनका वर्ल्ड फेमस डायलॉग है - ख़ामोश! अपने हाथों को जिस अंदाज़ में हवा में घुमाकर शत्रुघ्न यह डायलॉग बोलते थे, लोग आज भी इन्हें याद करते हैं। वैसे, आपको बता दें कि इसके अलावा शत्रुघ्न के ऐसे कई डायलॉग्स हैं जो आज भी लोग याद करते हैं। आइये उनके जन्मदिन पर इन बेहतरीन डायलॉग्स को याद किया जाए।

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1. पहली ग़लती माफ़ कर देता हूं...दूसरी बर्दाश्त नहीं करता (असली नकली)

2. जब दो शेर आमने सामने खड़े हों तो भेड़िये उनके आस पास नहीं रहते (बेताज बादशाह)

3. जली को आग कहते हैं, बुझी को राख कहते हैं... जिस राख से बारूद बने उसे विश्वनाथ कहते हैं (विश्वनाथ)

4.अमीरों से गरीबों की हड्डियां तो चबाई जा सकती हैं... उनके घर की रोटियां नहीं (हमसे ना टकराना)

 

5. जिसके सर पर तुझ जैसे दोस्त का साया हो, उसके लिए बनकर आई मौत, उसके दुश्मनों की मौत बन जाती है (नसीब)


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