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पर्दे के 'संस्कारी बाबूजी' फ़िल्मों में बन चुके हैं विलेन, Me Too केस में लगे थे गंभीर आरोप

आलोक नाथ की संस्कारी छवि को तब चोट पहुंची जब उन पर एक स्क्रीन राइटर ने शारीरिक उत्पीड़न के आरोप लगाये थे।

By Manoj VashisthEdited By: Published: Wed, 10 Jul 2019 03:17 PM (IST)Updated: Wed, 10 Jul 2019 03:17 PM (IST)
पर्दे के 'संस्कारी बाबूजी' फ़िल्मों में बन चुके हैं विलेन, Me Too केस में लगे थे गंभीर आरोप
पर्दे के 'संस्कारी बाबूजी' फ़िल्मों में बन चुके हैं विलेन, Me Too केस में लगे थे गंभीर आरोप

नई दिल्ली, जेएनएन। आज (10 जुलाई) वेटरन एक्टर आलोक नाथ का जन्मदिन है। फ़िल्मों में अपने किरदारों के ज़रिए आलोक नाथ ने बड़े और छोटे पर्दे पर अपने किरदारों से संस्कारी बाबूजी की छवि बनायी। एक ऐसा पिता जो संस्कारों की डोर से पूरे परिवार को बांधकर रखता है।

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आलोक नाथ की इस ऑन स्क्रीन इमेज को तब धक्का पहुंचा, जब Me Too आंदोलन में उनका नाम आया और एक जानी-मानी लेखिका ने उन पर शारीरिक उत्पीड़न का आरोप लगाया। बहरहाल, आलोक नाथ ने अपने करियर में 140 फ़िल्में और 15 से भी ज़्यादा टीवी सीरियल्स किए, जिसमें से उनके ज्यादातर किरदार ‘बाबूजी’ के रहे हैं। उनके बारे में कुछ खास दिलचस्प बातें।

जन्म और शिक्षा

देश की राजधानी दिल्ली में 10 जुलाई 1956 को आलोक नाथ का जन्म हुआ। आलोक नाथ के पिता एक डॉक्टर थे और मां हाउसवाइफ़ थीं। आलोक नाथ के पिता यही चाहते थे कि उनकी तरह ही वो भी एक डॉक्टर बने। आलोक नाथ ने अपनी स्कूलिंग और ग्रेजुएशन की पढ़ाई दिल्ली से ही की। कॉलेज के दिनों में एक्टिंग में रुझान होने की वजह से वह कॉलेज के रुचिका थिएटर ग्रुप से जुड़े। इसके बाद उन्होंने तीन साल तक नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा में पढ़ाई की, जहां उन्होंने एक्टिंग के गुर सीखे।

करियर की शुरुआत

कहते हैं कि 1980 में कॉस्टिंग डायरेक्टर डॉली ठाकुर फ़िल्म ‘गांधी’ में एक छोटे से किरदार की तलाश में नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा गयीं थीं, जहां कई लोगों का ऑडिशन लेने के बाद उन्होंने आलोक नाथ को चुना। इस फ़िल्म के लिए उन्होंने आलोक नाथ को बीस हजार रुपये दिए थे। यहीं से उनका फ़िल्मी सफ़र शुरू हुआ।

एनएसडी से मुंबई का सफ़र

'गांधी' के बाद आलोक नाथ मुंबई आ गए। लेकिन, यहां राहें आसान नहीं थीं। दूसरी फ़िल्म के लिए उन्हें 5 साल तक संघर्ष करना पड़ा। इस दौरान उन्होंने 2 साल तक पृथ्वी थिएटर में नादिरा बब्बर के साथ अभिनय किया। इसी दौरान आलोक नाथ को ‘मशाल’ फ़िल्म में एक छोटे से रोल के लिए ऑफर आया, जिसको उन्होंने स्वीकार कर लिया। इसके बाद उन्हें छोटे, छोटे रोल मिलते रहे। 1988 में फ़िल्म 'क़यामत से क़यामत तक़' आते-आते आलोकनाथ ने अपनी एक अलग पहचान बना ली थी।

हमेशा से नहीं थे संस्कारी

आज एक संस्कारी बापू के रूप में अपनी पहचान बना चुके आलोक नाथ अपने करियर के शुरुआत में हीरो भी रहे हैं। लेकिन, 1987 में 'कामाग्नि' में आलोकनाथ बहुत रोमांटिक और हॉट सींस करते भी नजर आए थे। आलोकनाथ 'विनाशक', 'षड्यंत्र' और 'बोल राधा बोल' जैसी कई फ़िल्मों में विलेन के रोल में भी नजर आ चुके हैं।

जीतेंद्र का पिता बनने से किया इंकार

आलोक नाथ ने 140 फ़िल्मों में से 95 प्रतिशत फ़िल्मों में ‘बाबूजी’ का किरदार निभाया है। लेकिन, क्या आप जानते हैं एक बार उन्होंने पिता बनने से इंकार कर दिया था- उन्हें जीतेंद्र के पिता बनने का ऑफर मिला था। 

आलोक नाथ की कुछ यादगार फ़िल्मों में - 'मैंने प्यार किया', 'हम आपके हैं कौन', 'विवाह', 'एक विवाह ऐसा भी' शामिल हैं। फ़िल्मों के साथ ही आलोक नाथ छोटे परदे पर भी सक्रिय रहे हैं। 'हमलोग, 'बुनियाद जैसी दर्जनों सीरियल में उम्दा अभिनय भी किया। आलोक नाथ इस साल अजय देवगन की फ़िल्म दे दे प्यार दे में भी उनके पिता के रोल में नज़र आये थे।

Me Too में आया नाम

आलोक नाथ की संस्कारी छवि को तब चोट पहुंची, जब उन पर एक स्क्रीन राइटर ने शारीरिक उत्पीड़न के आरोप लगाये थे। यह मामला अदालत तक पहुंचा था और आलोक नाथ को इस मामले में ज़मानत करवानी पड़ी थी। हालांकि बाद में उन्हें न्यायालय से राहत मिल गयी।


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