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इन 10 विदेशी फिल्मों ने की थी 'गंदी बात', इसलिए लगा भारत में बैन

स्टीवन स्पीलबर्ग की एक्शन एडवेंचर फिल्म इंडियाना जोन्स एंड द टेम्पल डूम को भारतीय सभ्यता और संस्कृति को गलत तरीके से पेश करने के कारण रिलीज़ नहीं करने दिया गया।

By Manoj KhadilkarEdited By: Published: Tue, 22 May 2018 06:39 PM (IST)Updated: Mon, 28 May 2018 05:07 PM (IST)
इन 10 विदेशी फिल्मों ने की थी 'गंदी बात', इसलिए लगा भारत में बैन
इन 10 विदेशी फिल्मों ने की थी 'गंदी बात', इसलिए लगा भारत में बैन

मुंबई। इन दिनों देश में डेडपूल 2 की धूम है। बेबाक बोलने और अपने तरीके से काम करने वाले इस किरदार को उसके भाषा के कारण इंडिया में रिलीज़ पर ए सर्टिफिकेट भी दिया गया है। लीड रोल करने वाले रायन रेनोल्ड्स की आवाज़ को हिंदी में डब करने वाले रणवीर सिंह भी कह चुके हैं कि वो परदे पर गाली देना चाहते थे इसलिए इस फिल्म की डबिंग की। लेकिन क्या आपको पता है कि देश में 1978 से अब तक कई विदेशी फिल्मों की रिलीज़ पर उनकी भाषा और अश्लीलता के कारण बैन किया गया है।

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साल 1978 में मीर ज़र्ची ने निर्देशन में बनी फिल्म ‘आई स्पिट ऑन योर ग्रेव’ को रिलीज़ से मना कर दिया गया था। केमिल केटोन स्टारर ये फिल्म रेप और रिवेंज ड्रामा थी। फिल्म के सीन्स आपत्ति का कारण बने थे l साल 2010 में इस फिल्म का रीमेक भी बना था जिसने बॉक्स ऑफ़िस पर अच्छी कमाई की थी।

ब्लू जैस्मिन को भारत में न दिखाए जाने की वजह सिर्फ़ इगो था। साल 2013 में जब इस फिल्म को भारत में रिलीज़ किया जाना था तब सेंसर बोर्ड ने कहा था कि फिल्म के हर उस सीन में डिस्क्लेमर लगाया जाय जिसमें धूम्रपान दिखाया गया है। लेकिन निर्देशक वूडी एलन अड़ गए तो बैन हो गई फिल्म। इस ब्लैक कॉमेडी में केट ब्लैंचेट और सैली हॉकिन्स ने लीड रोल निभाया था।

रॉबर्ट डी-नीरो और जैक एफ्रों की फिल्म डर्टी ग्रैंडपा को इस फिल्म के डायलॉग और अश्लीलता के चलते रिलीज़ की अनुमति नहीं मिली। सेंसर बोर्ड ने माना की ये फिल्म भारतीय दर्शकों के लिए ठीक नहीं है।

तीन साल पहले बाकी देशों में रिलीज़ हुआ सैम टेलर का एरोटिक ड्रामा ‘फिफ्टी शेड्स ऑफ ग्रे’ भारतीय सेंसर को कई मामलों में अनुचित लगा और इस कारण बेहद प्रताड़ना से भरे दृश्यों वाली डकोटा जॉनसन और जेमी डोर्नन की इस फिल्म को रिलीज़ नही होने दिया गया ।

साल 2015 में आई गेट हार्ड वैसे तो एक कॉमेडी फिल्म थी लेकिन ये फिल्म सेंसर बोर्ड तक पहुंची ही नहीं क्योंकि ये पहले ही पता चल गया था कि इसमें से भारत में सीन्स कट जाएंगे। जो कि यहां की सेंसर को मान्य नहीं होते।

अमानवीय यौन प्रताड़ना दृश्यों के चलते साल 2011 में आई ‘द गर्ल विथ द ड्रैगन टैटू’ को भारत में रिलीज़ करने की अनुमति नहीं दी गई। डैनियल क्रेग स्टारर ये फिल्म रिलीज़ हो सकती थी लेकिन निर्देशक डेविड फिन्चर ने सीन्स हटाने से मना कर दिया।

द ह्यूमन सेंटिपेड, कहानी एक जर्मन सर्जन की थी जो तीन पर्यटकों को किडनैप कर उनकी प्रताड़ित करता है। टॉम सिक्स के निर्देशन में बनी इस फिल्म को वीभत्स सीन के चलते सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि ऑस्ट्रेलिया और ब्रिटेन में भी बैन किया गया था।

स्टीवन स्पीलबर्ग की एक्शन एडवेंचर फिल्म इंडियाना जोन्स एंड द टेम्पल डूम को भारतीय सभ्यता और संस्कृति को गलत तरीके से पेश करने के कारण रिलीज़ नहीं करने दिया गया। हेरिसन फोर्ड ने इस फिल्म में लीड रोल किया था।

जानवरों के प्रति हिंसा को लेकर 1981 में आई केनिबल फेरोक्स को भारत सहित 31 देशों ने अपने यहां रिलीज़ पर रोक लगा दी थी।

रुगारो डेओडाटो के निर्देशन में बनी फिल्म केनिबल होलोकास्ट एक हॉरर फिल्म थी, लेकिन सेंसर बोर्ड को उस फिल्म में बहुत ही ज़्यादा हिंसा और वीभत्स सीन लगे और फिल्म को बैन कर दिया गया। कोलंबिया के जंगलों में शूट हुई इस इटेलियन फिल्म को दुनिया के कई देशों में बैन किया था।

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