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फिल्म वर्कर बॉडी और प्रोड्यूसर्स हड़ताल टालने के लिए निकालेंगे रास्‍ता!

द फेडरेशन ऑफ वेस्टर्न इंडिया सिने एम्प्लाइज ने 6 मई से हड़ताल पर जाने की बात की थी। वे बुधवार को प्रोड्यूसर्स से मुलाकात करेंगे, ताकि उनकी मांगों को लेकर चर्चा की जा सके।

By Tilak RajEdited By: Published: Wed, 29 Apr 2015 07:46 AM (IST)Updated: Wed, 29 Apr 2015 09:02 AM (IST)
फिल्म वर्कर बॉडी और प्रोड्यूसर्स हड़ताल टालने के लिए निकालेंगे रास्‍ता!

मुंबई। द फेडरेशन ऑफ वेस्टर्न इंडिया सिने एम्प्लाइज ने 6 मई से हड़ताल पर जाने की बात की थी। वे बुधवार को प्रोड्यूसर्स से मुलाकात करेंगे, ताकि उनकी मांगों को लेकर चर्चा की जा सके।

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वर्कर्स बॉडी ने भत्तों को नए समझौते के अनुसार बढ़ाने की मांग की थी, जबकि प्रोड्यूसर्स इस बात को लेकर तैयार नहीं थे। सूत्रों ने बताया कि यह मीटिंग बीच का रास्ता निकालने के उद्देश्य से की जा रही है।

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एफडब्ल्यूआईसीई के प्रेसीडेंट कमलेश पांडे ने बताया, 'हमारे साथ जुड़ा हुआ कोई भी एसोसिएशन हड़ताल के फेवर में नहीं है। हम केवल एमओयू को नया किए जाने का इंतजार कर रहे हैं। भत्तों में बढ़ोतरी के मुद्दे पर फेडरेशन और प्रोड्यूसर्स एसोसिएशन के बीच बातचीत हो चुकी थी। यह एक मार्च की बात है। मगर अब तक नए एमओयू को लेकर किसी तरह की प्रतिक्रिया नहीं आई है।'

एक प्रोड्यूसर ने नाम न छापे जाने की शर्त पर कहा, 'फिलहाल प्रोड्यूसर्स ने एग्रीमेंट को साइन करने से मना कर दिया है क्योंकि काम्पिटिशन कमीशन ऑफ इंडिया के द्वारा फिल्म एंड टीवी इंडस्ट्री की फंक्शनिंग और एमओयू के मामले पर इंक्वायरी बैठी है। एक फिल्म प्रोड्यूसर ने केस भी फाइल किया है। इस स्थिति में एमओयू कैसे साइन किया जा सकता है।'

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पांडे ने कहा, 'प्रोड्यूसर्स एसोसिएशन इस बात को एक बहाने के तौर पर इस्तेमाल कर रही हैं ताकि उन्हें भत्तों में बढ़ोतरी न करना पड़े। मगर महंगाई की दर को देखते हुए यह बढ़ोतरी गलत नहीं है।'

प्रोड्यूसर्स का आरोप है कि फेडरेशन के द्वारा 50 भत्ते बढ़ाए जाने की मांग की जा रही है। इंडस्ट्री अभी जिस दौर से गुजर रही है वैसी स्थिति में तो यह संभव ही नहीं है। कुछ ही फिल्में बॉक्स ऑफिस पर अच्छा प्रदर्शन कर रही हैं।

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लेकिन फेडरेशन के महासचिव दिलीप पिठवा ने कहा, 'उन्हें सबसे पहले बात करने की कोशिश करना चाहिए, ताकि किसी तरह का नेगोशिएट किया जा सके। एक प्रोड्यूसर यदि एक्टर के स्पॉट बॉय को हर दिन के लिए दस हजार रुपए दे सकता है, तो हमारा स्पॉट बॉय 18 हजार रुपए महीना क्यों नहीं पा सकता।'

औसत रूप से हर दिन 400 शूट्स होते हैं। इनमें फिल्म्स एंड टीवी दोनों शामिल हैं। सूत्र ने बताया, 'यदि काम रुकता है तो टीवी इंडस्ट्री को हर दिन पांच करोड़ रुपए का नुकसान होगा। जहां तक सवाल फिल्मों का है तो कोई भी इस आंकड़ें को नहीं बता सकता। प्रोड्यूसर्स के लिए भी यह संभव नहीं होगा कि वो शूटिंग कैंसल करते हुए एक्टर की डेट्स के साथ समझौता करें।'

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